फाइल फोटो
पटना:
बिहार विधान परिषद में शुक्रवार को शिक्षकों की समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रतिपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी के बीच तीखी नोक-झोंक हो गई।
विपक्ष के हंगामे के चलते बीच सभापति अवधेश नारायण सिंह ने सदन की कार्यवाही समय से पहले ही भोजनावकाश के लिए अपराह्न दो बजे तक स्थगित कर दी।
बिहार विधान परिषद में शून्यकाल में भाजपा सदस्य नवल किशोर राय, कृष्ण कुमार सिंह और रजनीश कुमार ने ठेके पर बहाल शिक्षकों के वेतनमान एवं उनके स्थानांतरण तथा वित्तरहित स्कूलों और कॉलेजों में पिछले चार सालों से लंबित अनुदान पर विचार-विमर्श को लेकर कार्यस्थगन प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव को सभापति ने नामंजूर कर दिया, जिसके बाद भाजपा सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगे।
सदन में मौजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार विधानमंडल के वर्तमान सत्र के दौरान शिक्षकों को लेकर कई प्रकार की मांग बार-बार सामने आयी है और लोग अपनी-अपनी मांगों को लेकर अपने ढंग से आंदोलन कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने सभापति से कहा कि आसन तारीख और समय तय कर दे तो सरकार को इस पर चर्चा करने में आपत्ति नहीं है। वहीं सभापति ने कहा कि वह इस पर विचार करेंगे। इस पर विपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि इस विषय पर सदन में चर्चा की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस बारे में सरकार को निर्णय करना है, सदन को अवगत कराना है और उसे लागू करना है। अगर इसमें कोई कठिनाई हो तो शिक्षकों के संघ की बैठक बुलाई जानी चाहिए।
इस बीच भाजपा सदस्यों का हंगामा जारी था। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने उनकी नारेबाजी का विरोध किया। नीतीश ने कहा कि सरकार जरूरत के अनुसार निर्णय करेगी। उन्होंने विपक्ष पर समस्याओं को लेकर सदन में चर्चा से बचने का आरोप लगाया।
इस हंगामे के कारण सभापति ने सदन की कार्यवाही अपराह्न दो बजे लंच ब्रेक तक के लिए स्थगित कर दी। बाद में अपने कक्ष में सुशील ने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री शिक्षकों की समस्याओं का निदान करने के बजाय सदन में उन पर चर्चा की बात कह कर इस मुद्दे को टालना चाहते थे।
विपक्ष के हंगामे के चलते बीच सभापति अवधेश नारायण सिंह ने सदन की कार्यवाही समय से पहले ही भोजनावकाश के लिए अपराह्न दो बजे तक स्थगित कर दी।
बिहार विधान परिषद में शून्यकाल में भाजपा सदस्य नवल किशोर राय, कृष्ण कुमार सिंह और रजनीश कुमार ने ठेके पर बहाल शिक्षकों के वेतनमान एवं उनके स्थानांतरण तथा वित्तरहित स्कूलों और कॉलेजों में पिछले चार सालों से लंबित अनुदान पर विचार-विमर्श को लेकर कार्यस्थगन प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव को सभापति ने नामंजूर कर दिया, जिसके बाद भाजपा सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगे।
सदन में मौजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार विधानमंडल के वर्तमान सत्र के दौरान शिक्षकों को लेकर कई प्रकार की मांग बार-बार सामने आयी है और लोग अपनी-अपनी मांगों को लेकर अपने ढंग से आंदोलन कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने सभापति से कहा कि आसन तारीख और समय तय कर दे तो सरकार को इस पर चर्चा करने में आपत्ति नहीं है। वहीं सभापति ने कहा कि वह इस पर विचार करेंगे। इस पर विपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि इस विषय पर सदन में चर्चा की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस बारे में सरकार को निर्णय करना है, सदन को अवगत कराना है और उसे लागू करना है। अगर इसमें कोई कठिनाई हो तो शिक्षकों के संघ की बैठक बुलाई जानी चाहिए।
इस बीच भाजपा सदस्यों का हंगामा जारी था। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने उनकी नारेबाजी का विरोध किया। नीतीश ने कहा कि सरकार जरूरत के अनुसार निर्णय करेगी। उन्होंने विपक्ष पर समस्याओं को लेकर सदन में चर्चा से बचने का आरोप लगाया।
इस हंगामे के कारण सभापति ने सदन की कार्यवाही अपराह्न दो बजे लंच ब्रेक तक के लिए स्थगित कर दी। बाद में अपने कक्ष में सुशील ने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री शिक्षकों की समस्याओं का निदान करने के बजाय सदन में उन पर चर्चा की बात कह कर इस मुद्दे को टालना चाहते थे।
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