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निठारी कांड: आरोपी मोनिंदर पंढेर और सुरेंद्र कोली को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा

7 मई 2006 को निठारी की एक युवती को पंढेर ने नौकरी दिलाने के बहाने बुलाया था. इसके बाद युवती वापस घर नहीं लौटी. युवती के पिता ने नोएडा के सेक्टर-20 थाने में गुमशुदगी का केस दर्ज कराया था.

निठारी कांड: आरोपी मोनिंदर पंढेर और सुरेंद्र कोली को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा
निठारी कांड के आरोपी मोनिंदर पंढेर और सुरेंद्र कोली.

नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड मामले में मुख्य आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को बरी किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के कोली और पंढेर को बरी करने के फैसले को बरकरार रखा. सर्वोच्च अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 16 अक्टूबर 2023 को सुनाए गए फैसले को बरकरार रखा, जिसमें कोली को 12 मामलों और पंढेर को 2 मामलों में सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए हाईकोर्ट के निर्णय को सही ठहराया है. फिलहाल अदालत ने पंढेर को पूरी तरह से बरी कर दिया है, जबकि कोली एक लंबित मामले में जेल में है.

सुप्रीम कोर्ट पिछले साल केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर याचिकाओं सहित अलग-अलग याचिकाओं पर विचार करने के लिए सहमत हुआ था. इसमें 16 अक्टूबर, 2023 को कोली को बरी करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी.

कोली के वकील ने पहले सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसके खिलाफ सबूत एक इकबालिया बयान है, जो मामले में उसकी पुलिस हिरासत के कई दिनों बाद दर्ज किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका एक पीड़ित के पिता द्वारा दायर की गई थी, जिसमें हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई. कोली को निचली अदालत ने 28 सितंबर, 2010 को मौत की सजा सुनाई थी. मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके घरेलू सहायक कोली पर उत्तर प्रदेश के निठारी में अपने पड़ोस के लोगों, जिनमें ज़्यादातर बच्चे थे, के साथ यौन हमला और हत्या का आरोप था.

  • उच्च न्यायालय ने उन्हें मृत्युदंड के मामले में बरी कर दिया और कहा कि अभियोजन पक्ष उनके अपराध को "उचित संदेह से परे" साबित करने में विफल रहा और इसे एक "विफल" जाँच बताया
  • कोली को 12 मामलों में और पंढेर को दो मामलों में दी गई मृत्युदंड की सज़ा को पलटते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा कि यह जाँच "ज़िम्मेदार एजेंसियों द्वारा जनता के विश्वास के साथ विश्वासघात" से कम नहीं है
  • उच्च न्यायालय ने कोली और पंढेर द्वारा दायर कई अपीलों को स्वीकार कर लिया, जिन्होंने गाजियाबाद स्थित सीबीआई अदालत द्वारा दी गई मृत्युदंड की सज़ा को चुनौती दी थी
  • 2007 में दोनों के खिलाफ कुल 19 मामले दर्ज किए गए थे, और सीबीआई ने सबूतों के अभाव में तीन मामलों में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी
  • कोली को शेष 16 मामलों में से तीन में बरी कर दिया गया और एक मामले में उसकी मृत्युदंड की सज़ा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया
  • 29 दिसंबर, 2006 को राष्ट्रीय राजधानी से सटे नोएडा के निठारी स्थित पंढेर के घर के पीछे एक नाले से आठ बच्चों के कंकाल मिलने के बाद यह हत्याकांड प्रकाश में आया
  • घर के आसपास के इलाके में नालों की और खुदाई और तलाशी के दौरान और भी कंकाल मिले
  • इनमें से ज़्यादातर अवशेष उन बच्चों और युवतियों के थे जो उस इलाके से लापता हो गए थे
  • सीबीआई ने अपराध के 10 दिनों के भीतर ही मामले को अपने हाथ में ले लिया और उसकी तलाशी के परिणामस्वरूप और भी मानव अवशेष बरामद हुए

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2023 में दोनों को बरी किया था

बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2023 में मोनिंदर सिंह पंढेर को दो मामलों में और उसके घरेलू सहायक सुरेंद्र कोली को 12 मामलों में बरी किया था. बलात्कार और हत्या के दोषी सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को सबूतों के अभाव में बरी किया गया था. हाई कोर्ट के फैसले के बाद निठारी कांड का आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर जेल से रिहा हो गया था.

2006 में 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल नाले में मिले थे 

उल्लेखनीय है कि 7 मई 2006 को निठारी की एक युवती को पंढेर ने नौकरी दिलाने के बहाने बुलाया था. इसके बाद युवती वापस घर नहीं लौटी. युवती के पिता ने नोएडा के सेक्टर-20 थाने में गुमशुदगी का केस दर्ज कराया था. इसके बाद 29 दिसंबर 2006 को निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले में पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे.

पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था. बाद में निठारी कांड से संबंधित सभी मामले सीबीआई को स्थानांतरित कर दिए गए थे.

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