निर्भया रेप मामले में सीजेआई एसए बोबडे ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया है. सीजेआई ने निजी वजहों से यह फैसला लिया है. अब बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की दूसरी बेंच इस पर सुनवाई करेगी. नई पीठ का गठन भी बुधवार को ही किया जाएगा. साल 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया रेप कांड में दोषी पाए गए अक्षय कुमार सिंह की पुनर्विचार याचिका पर मंगलवार को चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच सुनवाई करना था.
अक्षय सिंह चार दोषियों में से एक है जिसने फांसी की सजा पर फिर विचार करने की याचिका दी है. इससे पहले 9 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप मामले में तीन दोषियों मुकेश, विनय और पवन की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी. दोषी अक्षय कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पुनर्विचार अर्जी में कई अजीबोगरीब दलीलें भी दी हैं. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है दिल्ली गैस चेंबर में तब्दील हो चुकी है. यहां का पानी जहरीला हो चुका है और ऐसे में जब खराब हवा और पानी के चलते उम्र पहले से ही कम से कम होती जा रही है फिर फांसी की सजा की जरूरत क्या है.
Chief Justice of India (CJI) recuses himself from hearing the Nirbhaya rape case on personal grounds. https://t.co/vzclJUbgbf
— ANI (@ANI) December 17, 2019
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यही नहीं अक्षय कुमार की तरफ से दायर पुनर्विचार अर्जी में वेद पुराण और उपनिषद में लोगों की हजारों साल तक जीने का हवाला दिया गया है. अर्जी में कहा गया है इन धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक सतयुग में लोग हजारों साल तक जीते थे. त्रेता युग में भी एक एक आदमी हज़ार साल तक जीता था लेकिन अब कलयुग में आदमी की उम्र 50-60 से साल तक सीमित रह गई है. बहुत कम लोग 80-90 साल की उम्र तक पहुंच पाते हैं. जब कोई व्यक्ति जीवन की कड़वी सच्चाई और विपरीत परिस्थितियों से गुजरता है तो वो एक लाश से बेहतर और कुछ नहीं होता.
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