प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कॉर्बेट टाइग़र रिज़र्व से होकर सड़क बनाने की उत्तराखंड की महत्वाकांक्षी कंडी सड़क परियोजना पर राज्य सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है.
उत्तराखंड सरकार के उत्तराखंड इको टूरिज़्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने इसी साल मार्च में नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कंपनी - NBCC के साथ कोटद्वार से होकर रामनगर तक सड़क बनाने का क़रार किया था. इस 90 किलोमीटर लंबी सड़क के बनने से कोटद्वार से रामनगर तक की दूरी दो घंटे कम होने का दावा किया गया है. अभी गढ़वाल के कोटद्वार से कुमाऊं के रामनगर तक की दूरी 162 किलोमीटर है लेकिन कंडी मार्ग बनने के बाद ये दूरी 90 किलोमीटर रह जाएगी.
यह भी पढ़ें : 'भागो-भागो' : जब जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में सैलानियों के पीछे पड़ गया हाथी...
इस सड़क का क़रीब 50 किलोमीटर हिस्सा कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व से गुज़रेगा और इसी वजह से इस सड़क के बनने का विरोध किया जा रहा है. इस इलाके में घना जंगल है और वन्यजीवों की काफ़ी विविधता है. इसी मसले पर एक वकील गौरव बंसल की याचिका पर एनजीटी ने उत्तराखंड सरकार, वाइल्ड लाइफ़ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया, नेशनल बायोडायवर्सिटी अथॉरिटी, नेशनल टाइगर कंज़र्वेशन अथॉरिटी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. एनजीटी ने पूछा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए राज्य सरकार ने कैसे कोटद्वार से रामनगर तक सड़क बनाने का क़रार कर दिया. कोर्ट ने यह भी पूछा कि कैसे एक प्रशासनिक आदेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर सकता है.
VIDEO : पीछे पड़ा हाथी....
एनजीटी ने इस बारे में उत्तराखंड सरकार से दो हफ़्ते में जवाब मांगा है और याचिकाकर्ता गौरव बंसल को छूट दी है कि अगर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ कुछ करती है तो वो सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच में अपील कर सकते हैं. उत्तराखंड के वन मंत्री हरक सिंह रावत ने दावा किया था कि दो हज़ार करोड़ का ये प्रोजेक्ट अगले दो साल में पूरा हो जाएगा. उत्तराखंड सरकार ने दावा किया है कि वह इसे ग्रीन रोड के तौर पर बनाएगी ताकि वन्यजीवों और जंगल पर कम से कम असर पड़े. इसके तहत जिस इलाके में कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व और अमनगढ़ टाइगर रिज़र्व की सीमा आपस में जुड़ती है वहां 17 किलोमीटर लंबा फ़्लाईओवर बनाने का भी प्रावधान किया गया ताकि वन्यजीवों के आने-जाने में दिक्कत न हो. लेकिन उत्तराखंड सरकार की ये परियोजना एनजीटी के दखल के बाद अब खटाई में पड़ती दिख रही है.
उत्तराखंड सरकार के उत्तराखंड इको टूरिज़्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने इसी साल मार्च में नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कंपनी - NBCC के साथ कोटद्वार से होकर रामनगर तक सड़क बनाने का क़रार किया था. इस 90 किलोमीटर लंबी सड़क के बनने से कोटद्वार से रामनगर तक की दूरी दो घंटे कम होने का दावा किया गया है. अभी गढ़वाल के कोटद्वार से कुमाऊं के रामनगर तक की दूरी 162 किलोमीटर है लेकिन कंडी मार्ग बनने के बाद ये दूरी 90 किलोमीटर रह जाएगी.
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इस सड़क का क़रीब 50 किलोमीटर हिस्सा कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व से गुज़रेगा और इसी वजह से इस सड़क के बनने का विरोध किया जा रहा है. इस इलाके में घना जंगल है और वन्यजीवों की काफ़ी विविधता है. इसी मसले पर एक वकील गौरव बंसल की याचिका पर एनजीटी ने उत्तराखंड सरकार, वाइल्ड लाइफ़ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया, नेशनल बायोडायवर्सिटी अथॉरिटी, नेशनल टाइगर कंज़र्वेशन अथॉरिटी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. एनजीटी ने पूछा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए राज्य सरकार ने कैसे कोटद्वार से रामनगर तक सड़क बनाने का क़रार कर दिया. कोर्ट ने यह भी पूछा कि कैसे एक प्रशासनिक आदेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर सकता है.
VIDEO : पीछे पड़ा हाथी....
एनजीटी ने इस बारे में उत्तराखंड सरकार से दो हफ़्ते में जवाब मांगा है और याचिकाकर्ता गौरव बंसल को छूट दी है कि अगर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ कुछ करती है तो वो सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच में अपील कर सकते हैं. उत्तराखंड के वन मंत्री हरक सिंह रावत ने दावा किया था कि दो हज़ार करोड़ का ये प्रोजेक्ट अगले दो साल में पूरा हो जाएगा. उत्तराखंड सरकार ने दावा किया है कि वह इसे ग्रीन रोड के तौर पर बनाएगी ताकि वन्यजीवों और जंगल पर कम से कम असर पड़े. इसके तहत जिस इलाके में कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व और अमनगढ़ टाइगर रिज़र्व की सीमा आपस में जुड़ती है वहां 17 किलोमीटर लंबा फ़्लाईओवर बनाने का भी प्रावधान किया गया ताकि वन्यजीवों के आने-जाने में दिक्कत न हो. लेकिन उत्तराखंड सरकार की ये परियोजना एनजीटी के दखल के बाद अब खटाई में पड़ती दिख रही है.
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