नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
पटना:
बिहार के भागलपुर जिले में सरकारी विभागों के बैंक में एक स्वयंसेवी संस्था 'सृजन' के खाते में जमा राशि अब 400 करोड़ से अधिक हो गई है. इस मामले में अब तक सात लोगों को गिरफ़्तार किया गया हैं. जिनमें कई ज़िला अधिकारियों के निजी सचिव रहे प्रेम कुमार शामिल हैं. अभी तक इस मामले की जांच जिला पुलिस और आर्थिक अपराध इकाई संयुक्त रूप से कर रही है. हर एक दिन इस मामले में एक नया ख़ुलासा हो रहा है. अभी तक राज्य सरकार ये नहीं बता रही कि आख़िर कितनी राशि जो सृजन के खाते में बैंकों से ट्रांसफर हुई वो वापस आई और कितनी राशि सृजन के पास अभी भी है. लेकिन इस मामले में बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडियन बैंक के अधिकारियों की मिलीभगत थी और जल्द उनके अधिकारियों की गिरफ़्तारी भी होगी.
एनजीओ घोटाला
जांच रिपोर्ट पर गौर करें तो 'सृजन' के खातों में सबसे अधिक सरकारी राशि का फर्जी तरीके से ट्रांसफर तत्कालीन जिलाधिकारी वीरेंद्र कुमार यादव के समय हुआ. वीरेंद्र यादव जुलाई 2014 से अगस्त 2015 तक जिला अधिकारी रहे.
उनके दौरान जिला भू-अर्जन कार्यालय का 270 करोड़ रुपये व मुख्यमंत्री नगर विकास योजना की 12 करोड़ 20 लाख रुपया गया. इसी तरह जिलाधिकारी वंदना प्रेयसी के कार्यकाल में अवैध तरीके से जिला नजारत का 15 करोड़ रुपये सृजन खाता में गया है. वर्तमान जिलाधिकारी आदेश तितरमारे के फर्जी हस्ताक्षर से पांच करोड़ रुपये सृजन के खाता में दिया गया, जबकि सृजन ने बिना किसी निर्देश के सरकारी खाता में 20 करोड़ से अधिक की राशि आरटीजीएस कर दी.
वीरेंद्र यादव हाल के दिनों में भोजपुर जिले में एक और भूमि घोटाला के सिलसिले में चर्चा में थे.
पढ़ें: नीतीश कुमार को लालू प्रसाद यादव का जवाब, वह खुद ही लालची हैं, हमें क्या सिखाएंगे
सीबीआई जांच की मांग
राजद अध्यक्ष, लालू यादव जो इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से करने की मांग कर रहे हैं, उनसे सता के गलियारे में सब जानते हैं कि वीरेंद्र की नज़दीकी रही है. लालू यादव ने उन्हें पटना का ज़िला अधिकारी बनाने के लिए नीतीश कुमार पर काफ़ी दबाव बनाया था लेकिन नीतीश ने उनके ट्रैक रिकॉर्ड के मद्देनज़र ऐसा नहीं किया था.
लेकिन 'सृजन' की संस्थापक मनोरमा देवी जिनका इस साल फरवरी में देहांत हो गया, उनके साथ कई भाजपा नेताओं के फ़ोटो वायरल हुए हैं. इनमें केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने स्वीकार किया कि वो सृजनी के भागलपुर स्थित दफ्तर गए थे लेकिन संस्थान के कार्यकलाप के बारे में उन्हें अंदाजा नहीं था.
VIDEO: भागलपुर में एनजीओ घोटाला
वहीं पूर्व सांसद शाहनवाज हुसैन का कहना है कि वो कई बार वहां गए क्योंकि यहां पर हजारों महिलाओं के प्रशिक्षण का कार्यक्रम चलता था, जहां उन्हें स्थानीय सांसद होने के नाते आमंत्रण दिया जाता था लेकिन उन्होंने कभी किसी को सिफ़ारिश नहीं की. हालांकि शाहनवाज के करीबी विपिन शर्मा नामक एक भाजपा नेता का नाम सुर्खियों में हैं जिन्होंने इस संस्था से करोड़ों कर्ज लेकर भागलपुर शहर में कई कारोबार शुरू किए.
एनजीओ घोटाला
जांच रिपोर्ट पर गौर करें तो 'सृजन' के खातों में सबसे अधिक सरकारी राशि का फर्जी तरीके से ट्रांसफर तत्कालीन जिलाधिकारी वीरेंद्र कुमार यादव के समय हुआ. वीरेंद्र यादव जुलाई 2014 से अगस्त 2015 तक जिला अधिकारी रहे.
उनके दौरान जिला भू-अर्जन कार्यालय का 270 करोड़ रुपये व मुख्यमंत्री नगर विकास योजना की 12 करोड़ 20 लाख रुपया गया. इसी तरह जिलाधिकारी वंदना प्रेयसी के कार्यकाल में अवैध तरीके से जिला नजारत का 15 करोड़ रुपये सृजन खाता में गया है. वर्तमान जिलाधिकारी आदेश तितरमारे के फर्जी हस्ताक्षर से पांच करोड़ रुपये सृजन के खाता में दिया गया, जबकि सृजन ने बिना किसी निर्देश के सरकारी खाता में 20 करोड़ से अधिक की राशि आरटीजीएस कर दी.
वीरेंद्र यादव हाल के दिनों में भोजपुर जिले में एक और भूमि घोटाला के सिलसिले में चर्चा में थे.
पढ़ें: नीतीश कुमार को लालू प्रसाद यादव का जवाब, वह खुद ही लालची हैं, हमें क्या सिखाएंगे
सीबीआई जांच की मांग
राजद अध्यक्ष, लालू यादव जो इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से करने की मांग कर रहे हैं, उनसे सता के गलियारे में सब जानते हैं कि वीरेंद्र की नज़दीकी रही है. लालू यादव ने उन्हें पटना का ज़िला अधिकारी बनाने के लिए नीतीश कुमार पर काफ़ी दबाव बनाया था लेकिन नीतीश ने उनके ट्रैक रिकॉर्ड के मद्देनज़र ऐसा नहीं किया था.
शाहनवाज हुसैन और गिरिराज सिंह (फाइल फोटो)
लेकिन 'सृजन' की संस्थापक मनोरमा देवी जिनका इस साल फरवरी में देहांत हो गया, उनके साथ कई भाजपा नेताओं के फ़ोटो वायरल हुए हैं. इनमें केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने स्वीकार किया कि वो सृजनी के भागलपुर स्थित दफ्तर गए थे लेकिन संस्थान के कार्यकलाप के बारे में उन्हें अंदाजा नहीं था.
VIDEO: भागलपुर में एनजीओ घोटाला
वहीं पूर्व सांसद शाहनवाज हुसैन का कहना है कि वो कई बार वहां गए क्योंकि यहां पर हजारों महिलाओं के प्रशिक्षण का कार्यक्रम चलता था, जहां उन्हें स्थानीय सांसद होने के नाते आमंत्रण दिया जाता था लेकिन उन्होंने कभी किसी को सिफ़ारिश नहीं की. हालांकि शाहनवाज के करीबी विपिन शर्मा नामक एक भाजपा नेता का नाम सुर्खियों में हैं जिन्होंने इस संस्था से करोड़ों कर्ज लेकर भागलपुर शहर में कई कारोबार शुरू किए.
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