गॉर्ड ऑफ ऑनर लेते हुए सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत
नई दिल्ली:
थल सेना के 27वें प्रमुख बनने के बाद जनरल विपिन रावत ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर सख्त चेतावनी दी और कहा, हम अमन चाहते हैं लेकिन मजबूर किया गया गया तो सरहद पर ताकत के इस्तेमाल से परहेज नहीं करेंगे. जनरल रावत ने भी कहा कि वह अपने उन दो वरिष्ठ अधिकारियों के फैसले का सम्मान करते है जिन्होंने सेना के लिए पद पर बने रहकर काम करने का फैसला किया है.
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी थल सेना के प्रमुख बनने के बाद जनरल रावत को साउथ ब्लॉक में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. पदभार संभालते ही नाम लिए बगैर सीमापार के दुश्मनों को उन्होंने चेतावनी दे डाली, लेकिन ये भी कहा कि हमारी कोशिश तो शांति बनाने की रहेगी, कोई इसे कमजोरी ना समझे. वजह भी है सेना को पिछले साल अपने 63 जवानों को खोना पड़ा है और पाकिस्तान की ओर से करीब 225 दफा युद्धविराम का उल्लंघन हुआ है.
सरकार ने दो अधिकारियों की वरिष्ठता को नजरअंदाज कर मेरिट के आधार पर जनरल विपिन रावत को थल सेना अध्यक्ष बनाया है. सेना की पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और दक्षिणी कमान ने जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हारिज मौजूदा सेना प्रमुख से वरिष्ठ हैं. इससे पहले ऐसा हुआ है तो वरिष्ठ अफसरों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन इन दोनों अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया. उन्होंने नए थल सेनाध्यक्ष को पूरा सहयोग देते हुए अपनी जिम्मेदारियों को निभाने की बात कही है.
नए सेना प्रमुख ने कहा कि सेना की दूरदर्शिता और प्राथमिकताओं में कोई बदलाव नहीं होगा. इंफ्रेट्री से आए जनरल रावत ने कहा कि उनकी नजर में सेना का हर जवान बराबर है चाहे वो किसी भी पलटन का हो. जनरल रावत ने कहा, ऐसे समय बड़ी जिम्मेदारी है जब सरहद पार चुनौतियां कम होने के बजाए लगातार बढ़ रही हैं और सेना के अंदर सरकार के कई फैसलों को लेकर नाराजगी है.
मसलन अभी तक सेना में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें नहीं लागू की गई हैं और ग्रेड को लेकर सिविल अधिकारियों के साथ उनके मतभेद बने हुए हैं. बावजूद इसके नए सेना प्रमुख से काफी उम्मीदें है क्योंकि उन्हें जम्मू-कश्मीर से लेकर चीन सीमा में काम करने का काफी तजुर्बा है और वे चुनोतियों से निपटने में बेहतर साबित होंगे.
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी थल सेना के प्रमुख बनने के बाद जनरल रावत को साउथ ब्लॉक में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. पदभार संभालते ही नाम लिए बगैर सीमापार के दुश्मनों को उन्होंने चेतावनी दे डाली, लेकिन ये भी कहा कि हमारी कोशिश तो शांति बनाने की रहेगी, कोई इसे कमजोरी ना समझे. वजह भी है सेना को पिछले साल अपने 63 जवानों को खोना पड़ा है और पाकिस्तान की ओर से करीब 225 दफा युद्धविराम का उल्लंघन हुआ है.
सरकार ने दो अधिकारियों की वरिष्ठता को नजरअंदाज कर मेरिट के आधार पर जनरल विपिन रावत को थल सेना अध्यक्ष बनाया है. सेना की पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और दक्षिणी कमान ने जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हारिज मौजूदा सेना प्रमुख से वरिष्ठ हैं. इससे पहले ऐसा हुआ है तो वरिष्ठ अफसरों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन इन दोनों अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया. उन्होंने नए थल सेनाध्यक्ष को पूरा सहयोग देते हुए अपनी जिम्मेदारियों को निभाने की बात कही है.
नए सेना प्रमुख ने कहा कि सेना की दूरदर्शिता और प्राथमिकताओं में कोई बदलाव नहीं होगा. इंफ्रेट्री से आए जनरल रावत ने कहा कि उनकी नजर में सेना का हर जवान बराबर है चाहे वो किसी भी पलटन का हो. जनरल रावत ने कहा, ऐसे समय बड़ी जिम्मेदारी है जब सरहद पार चुनौतियां कम होने के बजाए लगातार बढ़ रही हैं और सेना के अंदर सरकार के कई फैसलों को लेकर नाराजगी है.
मसलन अभी तक सेना में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें नहीं लागू की गई हैं और ग्रेड को लेकर सिविल अधिकारियों के साथ उनके मतभेद बने हुए हैं. बावजूद इसके नए सेना प्रमुख से काफी उम्मीदें है क्योंकि उन्हें जम्मू-कश्मीर से लेकर चीन सीमा में काम करने का काफी तजुर्बा है और वे चुनोतियों से निपटने में बेहतर साबित होंगे.
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