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NDTV की मुहिम 'स्कूल फीस की फांस', हर साल निजी स्कूलों में फीस बढ़ोतरी कितनी जायज़?

मध्यप्रदेश के जबलपुर में एक साल पहले तक स्कूलों और शिक्षा माफिया का गठजोड़ बेधड़क चल रहा था. नियमों की अनदेखी हो रही थी, किताबें मनमाने दामों पर बेची जा रही थीं और फीस के नाम पर अभिभावकों को लूटा जा रहा था. लेकिन NDTV ने इस खेल को सबसे पहले उजागर किया और उसके बाद जो हुआ, वह मिसाल बन गया. अगर आप भी इस मुहिमा का हिस्सा बनना चाहते हैं तो इस 7303388311 नंबर पर मैसेज कर सकते हैं

स्कूलों का नया सत्र शुरू हो गया है... बड़े और अच्छे स्कूलों में अपने बच्चों के दाखिले के लिए अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है. वहीं पहले से स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों के माता पिता लगातार हो रही फीस बढ़ोतरी को लेकर परेशान हैं. इस बीच लोकल सर्कल्स की एक रिपोर्ट आई. जिसमें 42 फीसदी पेरेंट्स ने कहा कि बीते तीन सालों में 50 से 80 फीसदी तक स्कूल फीस बढ़ाई गई है.

आज की NDTV की मुहिम है- स्कूल फीस की फांस

अपनी इस ख़ास मुहिम के तहत हम देश के न सिर्फ बड़े शहरों बल्कि छोटे शहरों के अभिभावकों की परेशानी साझा कर रहे हैं... साथ ही अलग अलग राज्यों की सरकारों की प्रतिक्रिया दिखाएंगे... साथ ही जिक्र करेंगे प्रशासन की ओर से लिए जा रहे ऐक्शन के बारे में... 

मध्यप्रदेश के जबलपुर में एक साल पहले तक स्कूलों और शिक्षा माफिया का गठजोड़ बेधड़क चल रहा था. नियमों की अनदेखी हो रही थी, किताबें मनमाने दामों पर बेची जा रही थीं और फीस के नाम पर अभिभावकों को लूटा जा रहा था. लेकिन NDTV ने इस खेल को सबसे पहले उजागर किया और उसके बाद जो हुआ, वह मिसाल बन गया.

2-3 घंटे में 250-300  शिकायतें आई

जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कहा कि इसमें एनडीटीवी को सबसे पहले साधुवाद दूंगा. उन्होंने इस मुद्दे को उठाया था. लगातार इससे खबरें आ रही थी कि पेरेंट्स को ठगा जा रहा है. मुख्यमंत्री जी तक शिकायतें पहुंची उन्होंने भी ट्वीट से निर्देश भी जारी किए. जब मैंने कलेक्टर कार्यालय में देखा तो शिकायत थी ही नहीं. मोटे तौर पर समझ में आया कि लोग जो यह शिकायत करने से डर रहे हैं. तब मैंने अपना व्हाट्सऐप नंबर जारी किया कि लोग निर्भय हो शिकायत कर सकते हैं, उनके नाम गुप्त रखे जाएंगे. इसका नतीजा ये हुआ कि 2-3 घंटे में 250-300  शिकायत आ गई.

शिकायतों से पता चला कि किस तरह का गठजोड़ चल रहा है. हमने पुस्तक विक्रेताओं के यहां छापे मारे, स्कूलों की जांच की, उनकी ऑडिट और बैलेंस शीट खंगाली. तब जाकर पता चला कि यह बहुत बड़ा गोरखधंधा चल रहा है. यह सिर्फ फीस तक सीमित नहीं था, बल्कि पुस्तक विक्रेताओं और यूनिफॉर्म विक्रेताओं के साथ मिलकर मोनोपॉली बनाई जा रही थी. कमीशनखोरी हो रही थी, फर्जी किताबें बेची जा रही थीं, बस्तों का वजन बढ़ाया जा रहा था, और किताबों की कीमतें आसमान छू रही थीं.

हमने अब तक करीब 35 स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की है. 275 करोड़ रुपये की फीस वृद्धि को वापस करने का आदेश दिया गया. स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट में जांच की गई और गड़बड़ियां पकड़ी गईं.”

कुछ किताबें बिना ISBN नंबर की थीं. 500 रुपये की किताब 5000 रुपये में बेची जा रही थी. जिला प्रशासन ने सबसे पहले इन रैकेट्स पर शिकंजा कसा. चुनिंदा दुकानों में ही स्कूल की किताबें मिलती थीं, वो भी मनमाने दामों पर. कुछ विक्रेता अपनी स्टेशनरी प्रिंट करा रहे थे, और नाम की स्लिप तक सैकड़ों रुपये में बेची जा रही थी. 

कई किताबें फर्जी और बिना ISBN नंबर की थीं

जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी ने कहा कि शुरुआत में शिकायतें आईं, और मीडिया ने इसे उठाया. NDTV ने इस मुद्दे को प्रमुखता से कवर किया. फिर कलेक्टर ने अपना व्हाट्सएप नंबर दिया. शिकायतें आने पर शो-कॉज नोटिस जारी किए गए. माननीय मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कलेक्टरों को जांच के निर्देश दिए. जांच में पुस्तक विक्रेताओं की गड़बड़ियां सामने आईं. कई किताबें फर्जी और बिना ISBN नंबर की थीं. इसके बाद अभिभावकों को राहत देने के लिए पुस्तक मेला आयोजित किया गया. इसे लोगों ने बहुत सराहा. जबलपुर के इस मॉडल को देखकर 23 अप्रैल 2024 को मध्य प्रदेश सरकार ने हर जिले में पुस्तक मेला आयोजित करने का आदेश दिया. हमने सितंबर में गणवेश मेला भी लगाया.

जबलपुर में अब तक 84 लोगों के खिलाफ एफआईआर

सीबीएसई ने भी इस कार्रवाई के बाद नोटिफिकेशन जारी किया कि कक्षा 9 से 12 के लिए NCERT किताबें अनिवार्य हैं, और कक्षा 1 से 8 के लिए इन्हें लागू करने की सलाह दी. इस साल ज्यादातर स्कूलों ने NCERT किताबें अपनाईं. मध्य प्रदेश में सबसे अच्छा पुस्तक मेला जबलपुर में लगा, जिससे अभिभावकों को बड़ी राहत मिली. जबलपुर में अब तक 84 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, और 22 स्कूलों के प्राचार्य व प्रबंधन को जेल भेजा गया ये सभी बड़े और नामी स्कूल थे, जिनके मालिक कानून को ठेंगा दिखा रहे थे. गिरफ्तारी के बाद मामला निचली अदालत से हाई कोर्ट पहुंचा, लेकिन जमानत नहीं मिली. अंततः सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली.

पेरेंट्स संगठन के एडवोकेट सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि  सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि स्कूल शिक्षा कोई व्यवसाय नहीं है. स्कूलों, सरकारों और जनता को यह समझना होगा कि शिक्षा में पैसा कमाना लक्ष्य नहीं हो सकता. महंगी किताबें, महंगे बस्ते, और महंगी यूनिफॉर्म के खिलाफ यह लड़ाई लड़ी गई, जिसमें हमें काफी हद तक सफलता मिली. पिछले 21 साल से कुछ स्कूल मुनाफाखोरी कर रहे हैं. हम इसके खिलाफ केस लड़ रहे हैं. NDTV ने शुरू से हमारा साथ दिया. कोई दूसरा चैनल इस मुद्दे को राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर इतनी गंभीरता से नहीं उठाता. शिक्षा ही देश को आगे ले जाएगी, और इसके लिए बच्चों का शिक्षित होना सबसे जरूरी है.

NDTV ने शिक्षा माफिया और स्कूलों की सांठगांठ पर 50 से अधिक रिपोर्टें दिखाईं, जिनका असर ज़मीनी स्तर पर दिखा. हालांकि, मामला हाई कोर्ट में होने के कारण अभी तक फीस वापसी नहीं हो सकी है.

एनडीटीवी की मुहिम कैसे रंग लाई

NDTV की मुहिम से प्रेरित होकर जिला प्रशासन ने पुस्तक मेला आयोजित किया, जहां सस्ती दरों पर किताबें, यूनिफॉर्म, और शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध कराई गई. 10 दिनों में 200 करोड़ का कारोबार हुआ, और शिक्षा माफिया की कमर टूट गई. इस साल जबलपुर के 90% स्कूलों ने NCERT किताबें अपनाईं, जो एक बड़ी सफलता है. मध्य प्रदेश सरकार ने 27 अप्रैल 2024 को पत्र जारी कर सभी जिला कलेक्टरों को कम से कम तीन दिवसीय पुस्तक मेला आयोजित करने के निर्देश दिए.

जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कहा कि पुस्तक मेले के जरिए पारदर्शी तरीके से लोगों को किताबें मिलीं. पिछले साल हमने मेला लगाया था, और इस बार बड़े स्तर पर तैयारी की. किताबों की जानकारी वेबसाइट पर डाली गई, और जनवरी तक लोगों को खरीद का मौका मिला. मेले से बहुत फायदा हुआ.  कॉम्पिटिटिव रेट पर किताबें और कॉपियां मिलीं. करीब 200 करोड़ से ज्यादा का व्यापार हुआ.

प्रशासन की कार्रवाई और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की रोक के बावजूद अभिभावकों को अभी तक कोई बड़ा लाभ नहीं मिला. अरबों रुपये की अतिरिक्त फीस की वापसी अनिश्चित है. पेरेंट्स एसोसिएशन इस मुद्दे को लगातार उठा रहा है, लेकिन हाई कोर्ट की आड़ में स्कूल फीस वापस करने को तैयार नहीं हैं.

पेरेंट्स एसोसिएशन ने क्या कुछ कहा

पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिन गुप्ता ने कहा कि कई सालों से अभिभावक फीस और अनावश्यक किताबों के खिलाफ लड़ रहे हैं. कई कार्रवाइयां हुईं, लेकिन अभी तक ठोस परिणाम नहीं मिला. 3 लाख से ज्यादा छात्र इससे प्रभावित हैं. हमारी लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक अभिभावकों को न्याय नहीं मिलता. मैं NDTV को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने इस मुद्दे को उठाया. उम्मीद है कि जल्द ही फीस वापसी के आदेशों पर अमल होगा, और लोगों को राहत मिलेगी.

जिला प्रशासन की ताबड़तोड़ कार्रवाई और नामी स्कूल संचालकों को जेल भेजे जाने से निजी स्कूल संचालक संघ नाराज है. उनका कहना है कि सरकार बिना सोचे-समझे कार्रवाई कर रही है. 

निजी स्कूल संचालक संघ अध्यक्ष ने कहा कि प्रशासन की कार्रवाइयों के दो पहलू हैं. एक सकारात्मक, जैसे पुस्तक मेला, जिसका हम स्वागत करते हैं. दूसरा नकारात्मक, जहां बिना आधार के स्कूलों पर एफआईआर दर्ज की गईं और प्राचार्यों को जेल भेजा गया. कोर्ट ने भी इसे गलत ठहराया. अब शायद प्रशासन को समझ आ रहा होगा कि सकारात्मक कदमों को बढ़ावा देना चाहिए. बिना कानून का अध्ययन किए ताबड़तोड़ एफआईआर और जेल भेजना गलत था. इससे गलत संदेश गया. दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन स्कूलों को टारगेट करना ठीक नहीं.  

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