स्वाइन फ्लू के मरीज़ों की लगातार बढ़ती तादाद ने केंद्र सरकार को परेशानी में डाल दिया है। नेशनल क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी (एनसीएमसी) ने बुधवार को एक बैठक की, जिसमें राज्य सरकारों के निर्देश दिए गए कि स्वाइन फ्लू को लेकर वे किसी भी तरह की ढिलाई न बरतें। देशभर में अब तक इस बीमारी से 703 लोगों की मौत हो चुकी है।
मिली जानकारी के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्रालय से कहा गया है कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि मरीज़ों और उनके परिजनों से कोई भी लैब या अस्पताल टेस्ट के नाम पर ज़्यादा रकम न ले। उर्वरक मंत्रालय को इस बात का ध्यान रखने के लिए कहा गया है कि सभी वैक्सीन बाज़ार में आसानी से उपलब्ध हों।
सरकार ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को भी खास निर्देश दिए हैं कि वह इस बीमारी को लेकर - उसके कारणों और इलाज़ से जुड़ी - सभी जानकारियों का प्रचार सही ढंग से करे।
वैसे, सरकार ने आश्वासन दिया है कि लोगों को डरने की ज़रूरत नहीं है। कैबिनेट सेक्रेटरी अजित सेठ ने कहा, "हर तरह की दवाइयां मार्केट में उपलब्ध हैं... जिन लोगों की मौत हुई, उन्होंने दरअसल अस्पताल पहुंचने में देर की थी...", लेकिन सरकार की दलील फिलहाल खोखली लग रही है, क्योंकि लोगों को कई राज्यों में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, और कहीं पर मास्क उपलब्ध नहीं हैं, कहीं सही दवाइयां।
बैठक में कैबिनेट सचिव, राज्य के मुख्य सचिवों और स्वास्थ्य से जुड़े अफसरों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हिस्सा लिया। राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और हरियाणा के अधिकारी शामिल हुए। सभी राज्यों के अफसरों ने कहा कि दवाइयों की कोई कमी नहीं है, सिर्फ हरियाणा और महाराष्ट्र ने कुछ दवाइयों की दरख्वास्त की है। कैबिनेट सचिव ने सभी राज्यों से कहा कि उन केमिस्टों के खिलाफ कार्रवाई भी करें, जो दवाइयां नहीं बेच रहे हैं।
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