नई दिल्ली:
छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी नेताओं के काफिले पर हमले के चार से पांच दिन पहले 40 से 50 की संख्या में नक्सली उस इलाके में डेरा डाले हुए थे। नक्सलियों इस दौरान कई बार वहां के बाजार में भी पहुंचे थे। फोरेंसिक रिपोर्ट से पता चला है कि नक्सिलयों ने हमले के लिए 30 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया था।
इस हमले को नक्सलियों के दो ग्रुप ने मिलकर अंजाम दिया था। पहला और बड़ा ग्रुप आंध्र−उड़ीसा जोनल कमेटी का था, जबकि छत्तीसगढ़ के माओवादियों का भी छोटा ग्रुप इस हमले में शामिल था।
छत्तीसगढ़ के माओवादी हमले के बाहरी घेरे में मौजूद थे। खबर यह भी है कि हमले के बाद ये नक्सली दो गुटों में बंटकर उड़ीसा के कोरापुट के जंगलों की तरफ भाग गए थे।
इन नक्सलियों को उड़ीसा के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने भी देखा था, लेकिन जंगली इलाका होने की वजह से उन पर कार्रवाई नहीं हो पाई थी।
इस हमले को नक्सलियों के दो ग्रुप ने मिलकर अंजाम दिया था। पहला और बड़ा ग्रुप आंध्र−उड़ीसा जोनल कमेटी का था, जबकि छत्तीसगढ़ के माओवादियों का भी छोटा ग्रुप इस हमले में शामिल था।
छत्तीसगढ़ के माओवादी हमले के बाहरी घेरे में मौजूद थे। खबर यह भी है कि हमले के बाद ये नक्सली दो गुटों में बंटकर उड़ीसा के कोरापुट के जंगलों की तरफ भाग गए थे।
इन नक्सलियों को उड़ीसा के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने भी देखा था, लेकिन जंगली इलाका होने की वजह से उन पर कार्रवाई नहीं हो पाई थी।
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