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This Article is From Feb 09, 2012

मुल्लापेरियार बांध : जयललिता ने पीएम को फिर लिखा पत्र

चेन्नई: तमिलनाडु को विश्वास में लिए बिना मुल्लापेरियार बांध पर फौरन जानकारी देने वाले निगरानी तंत्र के लिए केंद्र के साथ केरल की ‘एकतरफा’ कार्रवाई पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री जयललिता ने इसे संघीय और संवैधानिक ढांचे के सिद्धांत का ‘घोर उल्लंघन’ बताया है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भेजे एक पत्र में जयललिता ने केरल द्वारा बांध के लिए फौरन जानकारी देने वाला निगरानी तंत्र बनाए जाने का हवाला देते हुए इसे केरल में सुरक्षा को लेकर और डर बढ़ाने की कार्रवाई बताया है।

उन्होंने कहा कि खबरों में कहा गया है कि इस निगरानी तंत्र के लिए केरल ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ एक करार किया। जयललिता ने आरोप लगाया कि बांध सुरक्षा को लेकर केरल लगातार आशंकाएं फैलाने का काम कर रहा है जबकि उच्चतम न्यायालय ने 2006 में इसे सुरक्षित बताया और जलस्तर की सीमा 142 फुट तक निर्धारित की थी।

मुल्लापेरियार बांध और इसके ढांचे पर तमिलनाडु के अधिकार और रख-रखाव की बात रेखांकित करते हुए उन्होंने सिंह से विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय को केरल सरकार से किसी तरह के करार होने की स्थिति में उसे खत्म करने का आदेश देने को कहा है।

अपने चार दिसंबर 2011 के पत्र की याद दिलाते हुए जयललिता ने कहा है कि मुल्लापेरियार बांध के प्रबंधन में हस्तक्षेप के केरल की ‘एकतरफा’ कार्रवाई बांध स्थल पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती उनकी पुरानी मांग को बल देती है। उन्होंने कहा, ‘इस कारण से मैं आपसे अभी बांध स्थल पर सीआईएसएफ को तैनात करने का आग्रह करती हूं।’ केरल द्वारा 116 साल पुराने बांध के स्थान पर नया बांध निर्माण को लेकर दोनों राज्यों के बीच पिछले कुछ समय से तकरार काफी बढ गया है। तमिलनाडु इस बांध को नए बांध जितना ही सुरक्षित बता रहा है।

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