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पप्पू हैं कि मानते नहीं... बार-बार अपमान फिर भी क्यों कांग्रेस महान?

मंच नहीं देते हैं, सीट नहीं देते हैं, राहुल की गाड़ी पर बैठने से मना कर देते हैं, लेकिन पप्पू तो पप्पू हैं. पप्पू हैं कि मानते नहीं. पप्पू यादव को बार-बार अनदेखी झेलनी पड़ रही है, लेकिन उन्होंने राहुल गांधी के सम्मान में कोई कमी नहीं रखी है.

  • पप्पू यादव को बार-बार किनारे किए जाने के बावजूद वे राहुल गांधी के समर्थन में अपनी कोशिशें जारी रखे हुए हैं.
  • पप्पू यादव ने कहा कि राहुल गांधी के रहते संविधान, लोकतंत्र और देश सुरक्षित हैं और युवा उनके साथ खड़े हैं.
  • कांग्रेस में विलय, राहुल गांधी की प्रशंसा के बावजूद पप्पू यादव पार्टी में अलग-थलग और सीमित स्थान पर दिखते हैं.
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नई दिल्ली:

बिहार की राजनीति में आजकल एक सवाल पूछा जा रहा है कि बार-बार किनारे किए जाने के बावजूद पप्पू यादव मानते क्यों नहीं है. पप्पू यादव को तीन हफ्ते के भीतर फिर एक बार राहुल के काफिले में चल रही गाड़ी से उतरने को मजबूर होना पड़ा, लेकिन वो अपनी कोशिशों में कमी नहीं होने दे रहे हैं.

पटना में महागठबंधन की वोटर अधिकार यात्रा का समापन समारोह चल रहा था. मंच पर राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और दीपंकर भट्टाचार्य से लेकर मुकेश सहनी तक मौजूद थे, लेकिन पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव मंच के नीचे साउंड सिस्टम के नजदीक कुर्सी पर बैठकर कोल्ड ड्रिंक पी रहे थे.

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राहुल गांधी की यात्रा के दौरान वैन से उतरे पप्पू यादव

सवाल उठता है कि पप्पू यादव मंच पर क्यों नहीं थे? इसका जवाब एक वीडियो के जरिए समझा जा सकता है. पप्पू यादव का ये वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वो वैन की सीट पर बैठने को लेकर बहस करते दिख रहे हैं. इस दौरान हुई तीखी बहस के बाद पप्पू वैन से उतर गए.

ये वैन राहुल गांधी की वैन के ठीक पीछे चल रही थी और इसमें महागठबंधन के कई नेता सवार थे. कहा जा रहा है कि पप्पू यादव इस वैन में गांधी मैदान के पास ही सवार हुए थे. वो वैन में जिस सीट पर बैठे थे, सुरक्षा कारणों से उन्हें वहां बैठने से मना किया जा रहा था. वॉलंटियर पप्पू को उसी वैन में दूसरी सीट पर शिफ्ट होने का आग्रह कर रहे थे. पप्पू यादव इसी बात से नाराज हो गए और वैन से उतर गए.

पप्पू यादव की कई बार अनदेखी का आरोप

ये पहली बार नहीं था, इससे पहले भी पप्पू यादव की अनदेखी हुई है. 1 सितंबर को पप्पू को राहुल गांधी के पीछे चल रही वैन की सीट से हटाया गया. इसके पहले 9 जुलाई को पप्पू यादव को राहुल गांधी की गाड़ी में सवार होने से रोका गया. पप्पू यादव बिहार बंद के दौरान राहुल गांधी की गाड़ी पर चढ़ना चाह रहे थे, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें धक्का दे दिया.

मंच नहीं देते हैं, सीट नहीं देते हैं, राहुल की गाड़ी पर बैठने से मना कर देते हैं, लेकिन पप्पू तो पप्पू हैं. पप्पू हैं कि मानते नहीं. पप्पू यादव को बार-बार अनदेखी झेलनी पड़ रही है, लेकिन उन्होंने राहुल गांधी के सम्मान में कोई कमी नहीं रखी है. पप्पू के बयान से आपको इसका अंदाजा मिल जाएगा.

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पप्पू यादव ने कहा कि जब तक राहुल गांधी हैं, तब तक संविधान सुरक्षित है, लोकतंत्र सुरक्षित है, जनतंत्र सुरक्षित है. देश सुरक्षित है. आज पूरा बिहार, इंडिया गठबंधन के नेता, पूरे देश के युवा राहुल गांधी को एक विश्वास के साथ देख रहे हैं. बिहार के युवा भी राहुल गांधी के विचारों के साथ खड़े हैं.

पप्पू यादव ने चुनाव से पहले अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय किया

हम आखिर ऐसा क्यों बोल रहे हैं कि पप्पू के प्रयास में कोई कमी नहीं है, फिर भी पप्पू के लिए जगह नहीं है. शुरुआत पूर्णिया में लोकसभा चुनाव से हुई. जब पप्पू यादव ने चुनाव से पहले अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय किया, लेकिन वहां की सीट कांग्रेस को मिली ही नहीं और पप्पू यादव को पूर्णिया से टिकट नहीं दिया गया. बावजूद इसके पप्पू यादव जीते और उन्होंने बिहार में राहुल गांधी को गठबंधन का नेता बताया. यहां तक कि पप्पू यादव ने तेजस्वी को भी जननायक कहा.

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अलग-थलग दिखते हैं पप्पू यादव

इन सबके बावजूद सार्वजनिक रूप से पप्पू यादव को वो जगह कांग्रेस की तरफ से नहीं मिली है, जिसकी इच्छा वो रखते हैं. पार्टी का कांग्रेस में विलय, गांधी परिवार की तारीफ और राहुल गांधी को बार-बार नेता बताने के बाद भी पप्पू यादव पार्टी में अलग-थलग दिखते हैं. इसीलिए ये बात बार-बार कही जा रही है कि पप्पू हैं कि मानते ही नहीं.

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