मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक लोकसभा में पास हो गया है. इस विधेयक में यातायात नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है. विधेयक इससे पहले राज्य सभा में लंबित था और 16वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद यह निरस्त हो गया था. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस बिल की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए संसद में बताया कि विधेयक के माध्यम से राज्यों के अधिकार में कोई दखल देने का इरादा नहीं है, इसके प्रावधानों को लागू करना राज्यों की मर्जी पर निर्भर है और केंद्र की कोशिश राज्यों से सहयोग करने, परिवहन व्यवस्था में बदलाव लाने और दुर्घटनाओं को कम करने की है.
विधेयक में सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में काफी सख्त प्रावधान रखे गये हैं. किशोर नाबालिगों द्वारा वाहन चलाना, बिना लाइसेंस, खतरनाक ढंग से वाहन चलाना, शराब पीकर गाड़ी चलाना, निर्धारित सीमा से तेज गाड़ी चलाना और निर्धारित मानकों से अधिक लोगों को बिठाकर अथवा अधिक माल लादकर गाड़ी चलाने जैसे नियमों के उल्लंघन पर कड़े जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
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मोटर वाहन संशोधन बिल 2019 के मुताबिक तेज़ रफ़्तार गाड़ी चलाने पर जुर्माना 500 रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये कर दिया गया है. सीट बेल्ट और हेलमेट न पहनने पर पहले 100 रुपये जुर्माना देना होता था जिसे अब बढ़ाकर 1000 रुपये कर दिया गया है. मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चलाने पर अब 1000 रु के बजाय 5000 रु जुर्माना होगा. शराब पीकर गाड़ी चलाने पर जुर्माना 2000 रुपए से बढ़ाकर 10 हज़ार रुपए कर दिया गया है. बिना लाइसेंस गाड़ी चलाने पर जुर्माना 500 रु से बढ़ाकर 5000 रुपए कर दिया गया है. बिना इंश्योरेंस के गाड़ी चलाने पर जुर्माना 1000 रु से बढ़ाकर 2000 रु कर दिया गया है. बिल के तहत सड़क दुर्घटना में अगर किसी की मौत होती है तो न्यूनतम मुआवज़ा 25 हज़ार के बजाय अब दो लाख रुपए होगा. सड़क दुर्घटना में किसी को गंभीर रूप से घायल करने पर न्यूनतम मुआवज़ा साढ़े बारह हज़ार से बढ़कर अब 50 हज़ार होगा. वहीं अगर नाबालिग गाड़ी चलाते हुए पकड़ा जाता है तो उसके माता-पिता और गाड़ी के मालिक को दोषी माना जाएगा और गाड़ी का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा. अगर नाबालिग ड्राइवर की गाड़ी से किसी की मौत हो जाती है तो उसके माता-पिता को सज़ा होगी.
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नए क़ानून में उन लोगों को प्रोत्साहित करने की कोशिश की गई है जो सड़क दुर्घटना में मदद के लिए आगे आते हैं. ऐसे लोगों को तंग न किया जाए इसके प्रावधान इस बिल में किए गए हैं. अब ड्राइविंग लाइसेंस बनाने या वाहन का रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए आधार कार्ड ज़रूरी होगा. वैसे हादसों के बढ़ने की एक वजह ये भी है कि गाड़ियों की तादाद सड़कों के मुक़ाबले काफ़ी तेज़ी से बढ़ी है.
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बता दें भारत में हर रोज़ औसतन 400 लोगों की मौत सड़क हादसे में होती है. 50 फीसदी हादसों में मरने वाले उम्र 14 से 35 साल के बीच होती है. 66 फीसदी सड़क हादसे तेज़ रफ़्तार की वजह से होते हैं. साथ ही 5 फीसदी सड़क हादसे शराब पीकर गाड़ी चलाने से होते हैं.
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