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एयर इंडिया को बैग पहुंचाने में लग गए 100 से ज्‍यादा घंटे, बरसे लोकल सर्किल्‍स के फाउंडर

लोकल सर्किल्स के फाउंडर सचिन तापड़िया ने एयर इंडिया पर अपने भाई सिद्धार्थ तापड़िया के चेक्ड इन बैगेज को पहुंचाने मे 100 घंटे की देरी का आरोप लगाया है. साथ ही कहा कि ऐसा लगता है कि एयर इंडिया का सिस्टम अभी भी 1970-1980 वाला है. 

एयर इंडिया को बैग पहुंचाने में लग गए 100 से ज्‍यादा घंटे, बरसे लोकल सर्किल्‍स के फाउंडर
सचिन तापड़िया ने कहा कि एयर इंडिया के साथ यह अनुभव काफी खराब था.
नई दिल्‍ली :

विमानों में आने जाने वाले यात्रियों को अक्सर अपने सामान के खोने या देरी से मिलने का डर रहता है. ऐसी ही एक शिकायत लोकल सर्किल्स के फाउंडर सचिन तापड़िया (Sachin Taparia) ने की है. सचिन तापड़िया ने एयर इंडिया (Air India) पर अपने भाई सिद्धार्थ तापड़िया के चेक्ड इन बैगेज को पहुंचाने मे 100 घंटे की देरी का आरोप लगाया है. सचिन तापड़िया का कहना है कि सोशल मीडिया के ज़रिए काफी मशक्कत के बाद उनके भाई को अपना बैगेज मिल पाया है. इस घटना पर एयर इंडिया ने प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि उन्हें इस असुविधा के लिए बहुत अफसोस है. इस मामले में सचिन तापड़िया ने एनडीटीवी के साथ बातचीत की. 

सचिन तापड़िया ने कहा, "लोकल सर्किल्स ने लगभग तीन महीने पहले एक नेशनल सर्वेक्षण किया था, जिसमें एयर इंडिया के साथ में जो भी लोगों को दिक्कतें हुई उनके बारे में हमने पूछा था और उसमें 38 फीसदी लोगों ने यह कहा था कि उन्‍हें तीन साल में एक बार या एक बार से अधिक बैगेज रिलेटेड इश्यूज हुए. यह सर्वे फरवरी-मार्च के महीने का था और हमने खुद अब यह एक्सपीरियंस किया है. यह एक्सपीरियंस काफी काफी खराब था. उन्‍होंने इसे लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्‍ट भी की है. 


ये है पूरा मामला 

उन्‍होंने बताया कि इस मामले में 2 जुलाई को मेरे छोटे भाई का सामान आना था लेकिन जब वो नहीं आया तो हमने एयर इंडिया में कंप्‍लेन की. दोहा से दिल्ली की सीधी उड़ान है और जब वह सामान अगले दिन भी नहीं आया तो हमने इस बारे में जानकारी की. उस बैग में एपल के एयर टैग्‍स थे, उससे हमें  लोकेशन पता चली कि 3 जुलाई को भी बैग अभी भी दोहा में ही है. इसके बाद एयर इंडिया के कुछ अधिकारियों को टैग करते हुए कंप्‍लेन की. इस पर एयर इंडिया का रेस्‍पोंस आया कि जिस एयरलाइन को हमें बैग देना था, उसने अभी हमें बैग नहीं दिया है. हमने आपकी कंप्लेंट ले ली है लेकिन इस पर अभी तक कुछ किया नहीं है. हम आज कोशिश करते हैं. चार जुलाई को भी सामान नहीं आया हालांकि हमें पता चला कि सामान दिल्‍ली पहुंच गया है, लेकिन अभी तक डिलीवर नहीं हुआ है. दिल्ली में आकर फिर एयर इंडिया ने उस सामान को खो दिया. उन्‍हें पता था कि तीन बैग कौनसे हैं, उसका टैग नंबर पता था. एयर इंडिया दिल्‍ली जैसे शहर में जहां पर उनका हब है वे खुद के सैटअप में ही सामान को ढूंढ नहीं पाए. सामान 6 जुलाई को दोपहर में 100 घंटे बाद डिलीवर किया गया. 

एयर इंडिया में कहीं भी किसी भी तरह की ट्रैकिंग नहीं :  तापड़िया

उन्‍होंने कहा कि एयर इंडिया में कहीं भी किसी भी तरह की ट्रैकिंग नहीं है और कोई सिस्टम ऑटोमेशन नहीं था. बस ऐसा था कि आप उस इश्‍यू को एस्केलेट कर रहे हैं और एग्जीक्यूटिव्स को टैग कर रहे हैं तो एक सोशल मीडिया टीम से कोई आपको फोन करेगा और फिर ऑनलाइन पोस्ट करेगा कि देखिए हमने आपसे बात कर ली है. 

एयर इंडिया का सिस्टम अभी भी 1970-1980 वाला : तापड़िया

उन्‍होंने कहा कि अगर सिस्टम ही काम नहीं करेगा तो एक अच्छा एग्जीक्यूटिव भी उसके बारे में कुछ कर नहीं सकता. एयर इंडिया को इसके कारणों का विस्‍तार से पता लगाना होगा. अभी हम एआई, आरएफआईडी,  इंटरनेट ट्रैकिंग, रोबोटिक्स की जनरेशन में आ गए हैं लेकिन ऐसा लगता है कि एयर इंडिया का सिस्टम अभी भी 1970-1980 वाला है. 

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