तपती गर्मी, कड़ाके की सर्दी, सूखा, बाढ़ भारत इन सब खतरों से गुजर रहा है. वहीं अंदेशा यह जताया जा रहा है कि भारत में ऐसी गर्मी पड़ेगी जैसी पहले कभी नहीं पड़ी थी. तापमान अगर महज 2 डिग्री भी बढ़ा तो भारत के लिए तबाही का यह कारण बन जाएगा. अंदेशा यह है कि गर्मियों का मौसम और लंबा हो जाएगा. 2050 आते-आते देश में 100 दिन खतरनाक गर्मी पड़ेगी. चक्रवाती तूफान देश के दोनों ही तटों पर जल्दी-जल्दी आएंगे. मॉनसून का अनुमान लगाना भी लगभग मुश्किल हो जाएगा. इस समस्या का टालने या रोकने के लिए फौरन ही कुछ करने की जरूरत है.
एनडीटीवी की तरफ से 'द ग्रेट क्लाइमेट चेंज चैलेंज' को लेकर लगातार चर्चाएं की जा रही है. एनडीटीवी ने इस मुद्दे पर शोध करने वाले योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया से बात की है. उन्होंने कहा कि हमने 'नेट जीरो' के टार्गेट को रखा है 2070 तक. यह बहुत ही अच्छा कदम है. यह टफ है. लेकिन 2070 काफी लंबा समय है. अगर हम ठान लें तो हम कर सकते हैं. भारत ने नवीकरणीय उर्जा पर काफी काम किया है.
सबसे महत्वपूर्ण है बिजली उत्पादन के क्षेत्र में ही सबसे अधिक CO2 का उत्सर्जन होता है. क्योंकि अधिकतर कोयला अधारित प्रोजेक्ट हैं. हमें इस क्षेत्र में कोयला से अपने आप को शिफ्ट करना होगा. हमें सौर ऊर्जा और पवन उर्जा पर शिफ्ट करने की जरूरत है.
"इलेक्ट्रिक वाहन पर जोर देने की जरूरत है"
अहलूवालिया ने कहा कि हम बस से लेकर अधिकतर ट्रांसपोर्ट को इलेक्ट्रिक वाहन में बदल सकते हैं. इसकी शुरुआत हुई है इसे हम बढ़ा सकते हैं. रोड पर हमें वाहनों को कम करना होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन के कैपिटल कॉस्ट अधिक होते हैं लेकिन उसके संचालन में कम खर्च होते हैं. सरकार को इसमें बैलेंस बनाने पर ध्यान देना चाहिए.
"क्लाइमेट चेंज के खतरों को समझना होगा"
आम नागरिकों को पता होना चहिए कि क्लाइमेट चेंज कितना खतरनाक है और इसे हम कितना कंट्रोल कर सकते हैं. हमें इसके लिए क्या प्रयास करने चाहिए. कंट्रोल करने के लिए हमारे हाथ में एक ही चीज है वो है कार्बन एमिशन को कम करना है.
कार्बन टैक्स क्या है?
हमारे देश की पर्यावरण नीति है कि अगर प्रदूषण के लिए हर्जाना देने की जरूरत होगी तो वो प्रदूषण फैलाने वाले को देना होगा. कार्बन टैक्स के तहत कहा जाता है कि कोयला जैसे उत्पादों के उपयोग पर टैक्स लगा दिया जाएगा तो उसके उपयोग में गिरावट आएगी. कार्बन टैक्स से मिलने वाले पैसों का उपयोग हमें पर्यावरण को बचाने के लिए कर सकते हैं.
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