बागपत के सांसद सत्यपाल सिंह का पुलिस कमिश्नर से लेकर राजनेता तक का सफर शानदार और बेदाग रहा है
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में होने वाले फेरबदल को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. कई मंत्रियों से इस्तीफे लिए जा चुके हैं. कई नए चेहरों को इस में जगह मिल सकती है. वैसे तो नए चेहरों में कई नाम सुर्खियों में हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा बागपत से बीजेपी सांसद सत्यपाल सिंह के नाम की है. पश्चिमी यूपी से जाट समुदाय का चेहरा रहे केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान अपना इस्तीफा सौंप चुके हैं. इसलिए उनकी खाली जगह पर मुंबई के सुपर कॉप रहे एसपी सिंह को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है. उनके नाम को इस बात से भी बल मिल रहा है क्योंकि एक सप्ताह पहले उन्होंने प्रधानमंत्री से मुलाकात भी की थी.
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सत्यपाल सिंह की बात करें तो अभीतक के सफर में उन्होंने अपनी हर जिम्मेदारी को बखूबी अंजाम दिया है और उसे एक ख़ास मुकाम तक पहुंचाया है. चाहे पढ़ाई का क्षेत्र रहा या फिर नौकरी का, राजनीतिक क्षेत्र रहा हो या फिर सामाजिक जिम्मेदारी का सत्यपाल सिंह हर कसौटी पर खरे उतरे हैं.
बनना चाहते थे वैज्ञानिक
सत्यपाल सिंह का 29 नवंबर, 1955 को बागपत के बसौली गांव में हुआ था. पुलिस सेवा में जाने से पहले वे एक वैज्ञानिक बनना चाहते थे. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से कैमिस्ट्री में एमफिल की डिग्री हासिल की. नागपुर यूनिवर्सिटी से उन्होंने नक्सलिज्म पर शोध भी किया. 1980 में महाराष्ट्र कैडर से उनका चयन भारतीय पुलिस सेवा में हुआ.
पढ़ें: कामकाज की एक्सेल शीट देखकर पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने लिया मंत्रियों को हटाने का फैसला
महाराष्ट्र में विभिन्न जगहों पर तैनात रहते हुए अपनी जिम्मेदारियों को बड़े ही शानदार ढंग से पूरा किया. मुंबई के अपराध प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने संगठित अपराध सिंडिकेट की रीढ़ को तोड़ने का काम किया. 1990 के दशक में मुंबई में छोटा राजन, छोटा शकील और अरुण गवली गिरोहों का आतंक था. पुलिस सेवा के दौरान उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किए. 2012 में वे मुंबई पुलिस कमिश्नर बने.
राजनीतिक सफर
31 जनवरी, 2014 को सत्यपाल सिंह ने अपना इस्तीफा सौंप दिया और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के लिए आवेदन किया. महाराष्ट्र सरकार ने भी उनका आवेदन बिना किसी देरी के स्वीकार कर लिया. इसके बाद 2 फरवरी को उन्होंने मेरठ में भारतीय जनता पार्टी की एक रैली में गुजरात के मुख्यमंत्री तथा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह तथा यूपी बीजेपी के प्रभारी अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली.
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में उन्हें तत्कालीन नागर विमानन मंत्री तथा राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष अजित सिंह के खिलाफ बागपत लोकसभा सीट से खड़ा किया. सत्यपाल सिंह ने यह सीट दो लाख से अधिक मतों से जीतकर रिकॉर्ड कायम किया. बीजेपी ने इस सीट पर पहली बार जीत हासिल की. जबकि अजित सिंह का इस सीट पर 1989 से कब्जा था.
खेल प्रेमी
सत्यपाल सिंह ने बागपत के जोहरी गांव में एक शूटिंग क्लब की स्थापना की थी. यह गांव देश को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज देता रहा है. शूटिंग क्लब की स्थापना 1998 में की गई. हर साल यहां एक टूर्नामेंट आयोजित करवाने के लिए सिंह अपना एक महीने का वेतन दिया करते थे. यह क्लब देश को 400 से अधिक निशानेबाज दे चुका है, जो सेना, बीएसएफ, विभिन्न प्रांतों की पुलिस आदि में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
VIDEO: केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार
एक लेखक
सत्यपाल सिंह ने दो पुस्तकें भी लिखी हैं, जो कि बेस्ट सेलर साबित हुई हैं. इनमें से एक नक्सल के खतरे से निपटने के ऊपर है और दूसरी 'तलाश इंसान की' नामक विषय पर लिखी गई सच्चाई की खोज पर है. इस पुस्तक की एक लाख से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं और कई भाषाओं में इसका अनुवाद हुआ है. कई और अन्य पुस्तकों पर उनका काम चल रहा है. इनमें एक भारतीय पुलिस पर भी है.
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सत्यपाल सिंह की बात करें तो अभीतक के सफर में उन्होंने अपनी हर जिम्मेदारी को बखूबी अंजाम दिया है और उसे एक ख़ास मुकाम तक पहुंचाया है. चाहे पढ़ाई का क्षेत्र रहा या फिर नौकरी का, राजनीतिक क्षेत्र रहा हो या फिर सामाजिक जिम्मेदारी का सत्यपाल सिंह हर कसौटी पर खरे उतरे हैं.
बनना चाहते थे वैज्ञानिक
सत्यपाल सिंह का 29 नवंबर, 1955 को बागपत के बसौली गांव में हुआ था. पुलिस सेवा में जाने से पहले वे एक वैज्ञानिक बनना चाहते थे. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से कैमिस्ट्री में एमफिल की डिग्री हासिल की. नागपुर यूनिवर्सिटी से उन्होंने नक्सलिज्म पर शोध भी किया. 1980 में महाराष्ट्र कैडर से उनका चयन भारतीय पुलिस सेवा में हुआ.
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महाराष्ट्र में विभिन्न जगहों पर तैनात रहते हुए अपनी जिम्मेदारियों को बड़े ही शानदार ढंग से पूरा किया. मुंबई के अपराध प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने संगठित अपराध सिंडिकेट की रीढ़ को तोड़ने का काम किया. 1990 के दशक में मुंबई में छोटा राजन, छोटा शकील और अरुण गवली गिरोहों का आतंक था. पुलिस सेवा के दौरान उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किए. 2012 में वे मुंबई पुलिस कमिश्नर बने.
राजनीतिक सफर
31 जनवरी, 2014 को सत्यपाल सिंह ने अपना इस्तीफा सौंप दिया और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के लिए आवेदन किया. महाराष्ट्र सरकार ने भी उनका आवेदन बिना किसी देरी के स्वीकार कर लिया. इसके बाद 2 फरवरी को उन्होंने मेरठ में भारतीय जनता पार्टी की एक रैली में गुजरात के मुख्यमंत्री तथा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह तथा यूपी बीजेपी के प्रभारी अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली.
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में उन्हें तत्कालीन नागर विमानन मंत्री तथा राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष अजित सिंह के खिलाफ बागपत लोकसभा सीट से खड़ा किया. सत्यपाल सिंह ने यह सीट दो लाख से अधिक मतों से जीतकर रिकॉर्ड कायम किया. बीजेपी ने इस सीट पर पहली बार जीत हासिल की. जबकि अजित सिंह का इस सीट पर 1989 से कब्जा था.
खेल प्रेमी
सत्यपाल सिंह ने बागपत के जोहरी गांव में एक शूटिंग क्लब की स्थापना की थी. यह गांव देश को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज देता रहा है. शूटिंग क्लब की स्थापना 1998 में की गई. हर साल यहां एक टूर्नामेंट आयोजित करवाने के लिए सिंह अपना एक महीने का वेतन दिया करते थे. यह क्लब देश को 400 से अधिक निशानेबाज दे चुका है, जो सेना, बीएसएफ, विभिन्न प्रांतों की पुलिस आदि में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
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एक लेखक
सत्यपाल सिंह ने दो पुस्तकें भी लिखी हैं, जो कि बेस्ट सेलर साबित हुई हैं. इनमें से एक नक्सल के खतरे से निपटने के ऊपर है और दूसरी 'तलाश इंसान की' नामक विषय पर लिखी गई सच्चाई की खोज पर है. इस पुस्तक की एक लाख से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं और कई भाषाओं में इसका अनुवाद हुआ है. कई और अन्य पुस्तकों पर उनका काम चल रहा है. इनमें एक भारतीय पुलिस पर भी है.
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