जज की टिप्पणी के बाद घमासान मच गया है.
नई दिल्ली:
मेघालय उच्च न्यायालय के जस्टिस एस आर सेन ने एक मामले पर फैसला देते हुए टिप्पणी की है कि 'भारत को हिंदू राष्ट्र' होना चाहिए था. जज के इस फैसले के बाद सियासी गलियारे में हलचल मच गई है. जज ने कहा था कि भारत को बंटवारे के वक्त हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था. साथ ही उन्होंने कहा कि भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनने से रोकना चाहिए. इसके बाद कई दलों के नेताओं कि टिप्पणी आई है. जस्टिस सेन की इस टिप्पणी पर असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करके निशाना साधा है तो राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने ओवैसी पर सवाल उठाए हैं
ओवैसी ने ट्वीट करते हुए कहा, 'उनका एक ही काम था कि जिस संविधान के जरिए वे जज बने हैं उसे पढ़ें. लेकिन उन्होंने मित्रों के लिए गाना गाने का रास्ता चुना. यह फैसला कानून और संविधान विशेषज्ञ द्वारा लिखे गए किसी कागजात के बजाय व्हॉट्सऐप पर भेजे गए किसी मैसेज जैसा लग रहा है.' ओवैसी के ट्वीट पर आरएसएस प्रचारक और राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने उन पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, 'ओवैसी भारत में आईएसआईएस के पोस्टल एड्रेस हैं. वो सॉफ्ट तरीक से आईएसआईएस की विचारधारा से ताल्लुक रखते हैं. ओवैसी देश में धर्म के आधार पर ध्रुवीकरण करने के सबसे बड़े एजेंट साबित हो रहे हैं.'
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वहीं अन्य राज्यसभा सांसद केटीएस तुलसी ने इस पर कहा, 'संविधान की प्रस्तावना में लिखा है कि 'भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र' है. ये जज के लिए जो आचार संहिता है, उसका उल्लंघन है. जज को ऐसा राजनीतिक बयान देने से बचना चाहिए था.' एनसीपी नेता माजिद मेनन ने कहा, 'संविधान के खिलाफ फैसला देने वाले मेघालय हाईकोर्ट के जज को तुरंत हटाया जाना चाहिए. उनसे इस्तीफा लिया जाए. जज ने संविधान के खिलाफ बात की है.'
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इनके अलावा शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, 'मैं मानता हूं कि इस देश की भावना है कि हिंदू राष्ट्र बने. बंटवारा धार्मिक आधार पर हुआ है. जो बचा है वो वो हिंदू राष्ट्र है.'
क्या थी जस्टिस की टिप्पणी
जस्टिस सेन ने टिप्पणी की थी, 'जैसा कि हम सब जानते हैं कि भारत विश्व का सबसे बड़ा देश था. पहले यह पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में नहीं बंटा हुआ था. पहले ये सब एक ही देश था और इनका नेतृत्व हिंदू साम्राज्य करता था लेकिन फिर भारत में मुगल आए और उन्होंने अलग-अलग हिस्सों पर कब्जा कर लिया और देश पर राज करना शुरू कर दिया. इस दौरान जबरन लोगों का धर्म परिवर्तन करवाया गया.'
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इसके साथ ही जस्टिस ने कहा, 'इसके बाद अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम पर भारत आए और राज करना शुरू कर दिया. उन्होंने जब भारत के लोगों पर अत्याचार करना शुरू किया तो स्वतंत्रता आंदोलन शुरू हुआ. साल 1947 में भारत को आजादी मिली और यह दो देशों पाकिस्तान और भारत में बंट गया. पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक देश घोषित कर लिया और भारत का बंटवारा धर्म के नाम पर हुआ है तो इसे हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था, लेकिन यह एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना रहा.'
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ओवैसी ने ट्वीट करते हुए कहा, 'उनका एक ही काम था कि जिस संविधान के जरिए वे जज बने हैं उसे पढ़ें. लेकिन उन्होंने मित्रों के लिए गाना गाने का रास्ता चुना. यह फैसला कानून और संविधान विशेषज्ञ द्वारा लिखे गए किसी कागजात के बजाय व्हॉट्सऐप पर भेजे गए किसी मैसेज जैसा लग रहा है.' ओवैसी के ट्वीट पर आरएसएस प्रचारक और राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने उन पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, 'ओवैसी भारत में आईएसआईएस के पोस्टल एड्रेस हैं. वो सॉफ्ट तरीक से आईएसआईएस की विचारधारा से ताल्लुक रखते हैं. ओवैसी देश में धर्म के आधार पर ध्रुवीकरण करने के सबसे बड़े एजेंट साबित हो रहे हैं.'
नालासोपारा हथियार मामले के आरोपी बना रहे थे आतंकी गिरोह, भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की चल रही थी साजिश
His Honour had one job: to READ the Constitution by which he was made a judge. Instead, he's chosen to sing paens for Mitron. This judgment looks more like a Whatsapp forward than a document written by someone trained in rule of law & Constitution.https://t.co/Urj1n7uFSA
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 12, 2018
वहीं अन्य राज्यसभा सांसद केटीएस तुलसी ने इस पर कहा, 'संविधान की प्रस्तावना में लिखा है कि 'भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र' है. ये जज के लिए जो आचार संहिता है, उसका उल्लंघन है. जज को ऐसा राजनीतिक बयान देने से बचना चाहिए था.' एनसीपी नेता माजिद मेनन ने कहा, 'संविधान के खिलाफ फैसला देने वाले मेघालय हाईकोर्ट के जज को तुरंत हटाया जाना चाहिए. उनसे इस्तीफा लिया जाए. जज ने संविधान के खिलाफ बात की है.'
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इनके अलावा शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, 'मैं मानता हूं कि इस देश की भावना है कि हिंदू राष्ट्र बने. बंटवारा धार्मिक आधार पर हुआ है. जो बचा है वो वो हिंदू राष्ट्र है.'
क्या थी जस्टिस की टिप्पणी
जस्टिस सेन ने टिप्पणी की थी, 'जैसा कि हम सब जानते हैं कि भारत विश्व का सबसे बड़ा देश था. पहले यह पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में नहीं बंटा हुआ था. पहले ये सब एक ही देश था और इनका नेतृत्व हिंदू साम्राज्य करता था लेकिन फिर भारत में मुगल आए और उन्होंने अलग-अलग हिस्सों पर कब्जा कर लिया और देश पर राज करना शुरू कर दिया. इस दौरान जबरन लोगों का धर्म परिवर्तन करवाया गया.'
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इसके साथ ही जस्टिस ने कहा, 'इसके बाद अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम पर भारत आए और राज करना शुरू कर दिया. उन्होंने जब भारत के लोगों पर अत्याचार करना शुरू किया तो स्वतंत्रता आंदोलन शुरू हुआ. साल 1947 में भारत को आजादी मिली और यह दो देशों पाकिस्तान और भारत में बंट गया. पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक देश घोषित कर लिया और भारत का बंटवारा धर्म के नाम पर हुआ है तो इसे हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था, लेकिन यह एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना रहा.'
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