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मुंबई:
घाटकोपर किडनैपिंग कांड में तक़रीबन डेढ़ महीने से निंदा झेल रही मुंबई पुलिस ने आख़िरकार सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर उनसे एक करोड़ 40 लाख रुपये भी बरामद कर लिए हैं।
मुंबई क्राइम ब्रांच के मुखिया सयुंक्त पुलिस आयुक्त अतुल कुलकर्णी ने इस सफलता को बेहतरीन जांच का नतीजा बताया। उन्होंने बताया कि शातिर अपराधियों ने पुलिस से बचने के लिए गजब की सावधानी बरती थी। यहां तक कि पीड़ित परिवार को फिरौती के लिए फ़ोन करने के लिए वो छिपे हुए ठिकाने से 10 से 20 किलोमीटर दूर जाकर फ़ोन करते और एक बार फोन कर सिमकार्ड नष्ट कर देते। इसके बावजूद उनके अधिकारियों ने तिनका-तिनका जोड़ कर जांच को अंजाम दिया।
घाटकोपर के एक बड़े भवन निर्माता के 25 साल के बेटे को 11 मार्च की रात अगवा कर 2 करोड़ की फिरौती मांगी गई थी। मामला तिलक नगर पुलिस थाने में दर्ज कर क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया। लेकिन घरवालों और खुद पुलिस को भी डर था कि पकड़े जाने के डर से अपहर्ता कहीं उनके बेटे की हत्या ना कर दे। इसलिए पुलिस दूर रहकर सावधानी से सुराग तलाशती रही। इस बीच अपहर्ताओं ने युवक को पहले मुरबाड़ फिर नासिक में वनी ले जाकर एकांत जगह पर रखा। दोनों जगहों पर उन्होंने युवक का वीडियो बनाकर उसके परिवार वालों को भेजा ताकि उन्हें भरोसा हो सके कि बेटा उन्हीं के कब्जे में है और जिंदा है।
तक़रीबन एक महीने बाद 13 अप्रैल को उन्होंने परिवार से मुंबई में 2 करोड़ की फिरौती की रकम वसूली और उसके 8 घंटे बाद युवक को नासिक में छोड़ दिया। मुंबई पुलिस के लिए ये केस एक चुनौती बन गया था और फिरौती देकर छूटने से पुलिस की निंदा भी होने लगी थी।
क्राइम ब्रांच के मुखिया अतुल कुलकर्णी के मुताबिक युवक की सुरक्षा हमारी पहली जरूरत थी। एक बार लड़का घर आ गया तो हमने जोर शोर से तलाश शुरू की। सबसे पहले लड़के और उसके परिवार को भरोसे में लिया गया और कई बार की पूछ ताछ के बाद एक बहुत ही कमजोर सुराग मिला।
लड़के ने बताया कि अपहर्ताओं में से एक को उसने कहते हुए सुना था कि उसे लड़का हुआ है और उसे देखने मुंबई जाना है। जांच अधिकारी श्रीपाद काले के मुताबिक इसके बाद आरोपी तक पहुचने में उन्हें सिर्फ 2 दिन लगे।
पुलिस ने एक आरोपी को बेटा होने का सुराग मिलते ही सबसे पहले मुंबई के 27 बीएमसी वार्डों से जानकारी निकाली कि उस दौरान कितने एप्लीकेशन जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आये हैं। लेकिन उस जानकारी से कोई खास सफलता नहीं मिली। फिर पूर्वी मुंबई के तक़रीबन 50 से भी ज्यादा बीएमसी के प्रसुति गृहों में जांच केंद्रित की गई। हाल ही में पिता बने सभी के बारे में जानकारी निकाली गई।
उनके लोकेशन के बारे में पता किया गया तो मनीष गांगुर्डे का लोकेशन एक दिन मुंबई का मिला और बाकी दिन नासिक में वनी का। अस्पताल ने भी बताया कि पिता सिर्फ एक दिन देखने आया था। बस फिर क्या था पुलिस ने मनीष को हिरासत में ले लिया और उसके बाद एक-एक कर सभी धरे गए।
इस किडनैपिंग कांड का मुखिया अजित अपराजित नाम का शख्स है। अजित ने मेकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है और उसकी पत्नी वकील है। अजित ने फिरौती की 50 लाख रुपये की रकम अपनी पत्नी भारती के बैंक लॉकर में रखा था। पुलिस ने भारती को भी आरोपी बनाया है।
पूछताछ में पता चला है कि इस गिरोह ने इसके पहले 2 और किडनैपिंग की थी। एक में 80 लाख और एक में 20 लाख रुपये की रकम बतौर फिरौती वसुला था। इसके अलावा टूरिस्ट कार को किराये पर लेकर लूटपाट भी कर चुके हैं। जांच टीम में शामिल एक पुलिसवाले ने बताया कि टीवी में आने वाले कुछ क्राइम शो देखकर अपहर्ताओं को पता था कि फोन का इस्तेमाल करने से वो पकड़े जा सकते हैं। इसलिए उन्होंने उत्तर प्रदेश से फर्जी नामों से कई सिम कार्ड मंगवाए थे।
मुंबई क्राइम ब्रांच के मुखिया सयुंक्त पुलिस आयुक्त अतुल कुलकर्णी ने इस सफलता को बेहतरीन जांच का नतीजा बताया। उन्होंने बताया कि शातिर अपराधियों ने पुलिस से बचने के लिए गजब की सावधानी बरती थी। यहां तक कि पीड़ित परिवार को फिरौती के लिए फ़ोन करने के लिए वो छिपे हुए ठिकाने से 10 से 20 किलोमीटर दूर जाकर फ़ोन करते और एक बार फोन कर सिमकार्ड नष्ट कर देते। इसके बावजूद उनके अधिकारियों ने तिनका-तिनका जोड़ कर जांच को अंजाम दिया।
घाटकोपर के एक बड़े भवन निर्माता के 25 साल के बेटे को 11 मार्च की रात अगवा कर 2 करोड़ की फिरौती मांगी गई थी। मामला तिलक नगर पुलिस थाने में दर्ज कर क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया। लेकिन घरवालों और खुद पुलिस को भी डर था कि पकड़े जाने के डर से अपहर्ता कहीं उनके बेटे की हत्या ना कर दे। इसलिए पुलिस दूर रहकर सावधानी से सुराग तलाशती रही। इस बीच अपहर्ताओं ने युवक को पहले मुरबाड़ फिर नासिक में वनी ले जाकर एकांत जगह पर रखा। दोनों जगहों पर उन्होंने युवक का वीडियो बनाकर उसके परिवार वालों को भेजा ताकि उन्हें भरोसा हो सके कि बेटा उन्हीं के कब्जे में है और जिंदा है।
तक़रीबन एक महीने बाद 13 अप्रैल को उन्होंने परिवार से मुंबई में 2 करोड़ की फिरौती की रकम वसूली और उसके 8 घंटे बाद युवक को नासिक में छोड़ दिया। मुंबई पुलिस के लिए ये केस एक चुनौती बन गया था और फिरौती देकर छूटने से पुलिस की निंदा भी होने लगी थी।
क्राइम ब्रांच के मुखिया अतुल कुलकर्णी के मुताबिक युवक की सुरक्षा हमारी पहली जरूरत थी। एक बार लड़का घर आ गया तो हमने जोर शोर से तलाश शुरू की। सबसे पहले लड़के और उसके परिवार को भरोसे में लिया गया और कई बार की पूछ ताछ के बाद एक बहुत ही कमजोर सुराग मिला।
लड़के ने बताया कि अपहर्ताओं में से एक को उसने कहते हुए सुना था कि उसे लड़का हुआ है और उसे देखने मुंबई जाना है। जांच अधिकारी श्रीपाद काले के मुताबिक इसके बाद आरोपी तक पहुचने में उन्हें सिर्फ 2 दिन लगे।
पुलिस ने एक आरोपी को बेटा होने का सुराग मिलते ही सबसे पहले मुंबई के 27 बीएमसी वार्डों से जानकारी निकाली कि उस दौरान कितने एप्लीकेशन जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आये हैं। लेकिन उस जानकारी से कोई खास सफलता नहीं मिली। फिर पूर्वी मुंबई के तक़रीबन 50 से भी ज्यादा बीएमसी के प्रसुति गृहों में जांच केंद्रित की गई। हाल ही में पिता बने सभी के बारे में जानकारी निकाली गई।
उनके लोकेशन के बारे में पता किया गया तो मनीष गांगुर्डे का लोकेशन एक दिन मुंबई का मिला और बाकी दिन नासिक में वनी का। अस्पताल ने भी बताया कि पिता सिर्फ एक दिन देखने आया था। बस फिर क्या था पुलिस ने मनीष को हिरासत में ले लिया और उसके बाद एक-एक कर सभी धरे गए।
इस किडनैपिंग कांड का मुखिया अजित अपराजित नाम का शख्स है। अजित ने मेकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है और उसकी पत्नी वकील है। अजित ने फिरौती की 50 लाख रुपये की रकम अपनी पत्नी भारती के बैंक लॉकर में रखा था। पुलिस ने भारती को भी आरोपी बनाया है।
पूछताछ में पता चला है कि इस गिरोह ने इसके पहले 2 और किडनैपिंग की थी। एक में 80 लाख और एक में 20 लाख रुपये की रकम बतौर फिरौती वसुला था। इसके अलावा टूरिस्ट कार को किराये पर लेकर लूटपाट भी कर चुके हैं। जांच टीम में शामिल एक पुलिसवाले ने बताया कि टीवी में आने वाले कुछ क्राइम शो देखकर अपहर्ताओं को पता था कि फोन का इस्तेमाल करने से वो पकड़े जा सकते हैं। इसलिए उन्होंने उत्तर प्रदेश से फर्जी नामों से कई सिम कार्ड मंगवाए थे।
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