विज्ञापन
This Article is From Jun 03, 2016

मथुरा में कैसे हुआ जवाहर बाग पर कब्जा, सवाल कई, लेकिन जवाब नहीं | तस्वीर ने बयां की कहानी

मथुरा में कैसे हुआ जवाहर बाग पर कब्जा, सवाल कई, लेकिन जवाब नहीं | तस्वीर ने बयां की कहानी
यहां की दीवार पर यह लिखा मिला...
मथुरा: मथुरा के कलेक्ट्रेट परिसर की दीवारों पर लिखी यह इबारत प्रशासन की विवशता की कहानी बयां कर रही है। जनवरी 2014 में डेढ़ हजार लोगों को मथुरा के प्रशासन ने दो दिन के लिए धरने की इजाजत दी थी, लेकिन दो साल बाद वही इजाजत और अनदेखी 21 लोगों की मौत का कारण बन गई।

रामवृक्ष यादव नाम के एक शख्स ने डेढ़ से दो हजार लोगों को इकट्ठा करके सुभाष चंद्र बोस और सत्याग्रह के नाम पर करोड़ों की जमीन कब्जा करने की सुनियोजित प्लानिंग की। उसके योजना में तड़के का काम मथुरा के कुछ स्थानीय नेताओं और भूमाफियाओं ने किया।

जानकार बताते हैं कि भू-माफियाओं की फंडिंग के चलते रामवृक्ष यादव ने जवाहर बाग के प्रवेश पर बाकायदा एक नाका लगाया और बाग में टहलने आने वालों से भारतीय नागरिक के प्रमाण मांगने शुरू किए, जिसने विरोध किया उसके साथ मारपीट की गई।

आजाद हिन्द बैंक से लेन-देन के नारे
यही नहीं आजाद हिन्द बैंक से लेन-देन के नारे लिखे गए। रामवृक्ष नाम के शख्स ने खुद को स्वाधीन सम्राट घोषित कर सिक्के चलाने की कोशिश की। कब्जा करने वाले इस मुख्य आरोपी पर दर्जनभर से ज्यादा मामले दर्ज होने के बावजूद इसे हटाने की ईमानदार कोशिश इन दो साल में नहीं की गई। स्टेट के रिट को चुनौती दी गई और प्रशासन वक्त बरबाद करता रहा।

रणनीति बनाकर काम नहीं किया
आखिरकार मथुरा के लोगों ने अदालत का सहारा लिया। मई महीने में हाईकोर्ट ने निर्देश दिए कि इस अतिक्रमण को तुरंत हटाया जाए और पचास हजार रुपए हर्जाने के रूप में वसूल किए जाएं। तब यह कार्रवाई हुई, लेकिन अगर पुलिस और स्थानीय खुफिया विभाग एक स्पष्ट रणनीति बनाकर काम करते तो शायद हमारे दो जांबाज पुलिस अधिकारियों की जान नहीं जाती।

इतने हथियार कहां से आए
सूत्र कहते हैं कि दो साल में कई डीएम आए लेकिन सब यही कोशिश करते रहे कि उनके  कार्यकाल में किसी तरह यह मामला चलता रहे। गलतियों की यही चिंगारी शोले के रूप में हमारे सामने आ गई। एडीजीपी दलजीत चौधरी बताते हैं कि जवाहर बाग में तलाशी के दौरान तमाम असलहा और देसी बम तक बरामद हुए हैं, लेकिन इस बात का कई जवाब नहीं है कि कलेक्ट्रेट परिसर के बगल में और सेना की छावनी से मुश्किल एक किमी की दूरी पर अपराधी और असलहा कैसे इकट्ठा हो गया।

यूपी सरकार की नाकामी
जवाहर बाग की नाकामी उप्र सरकार के लिए शर्मिंदगी का सबब बनी है, लेकिन हमें पता है कि इन घटनाओं से सीख लेने के बजाए हम इस पर राजनीतिक मुलम्मा चढ़ाकर इससे राजनीतिक फायदा लेने का जरिया बना देंगे।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
मथुरा, जवाहर बाग, अवैध कब्जा, Mathura, Jawahar Bag Clashes
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com