कांग्रेस पार्टी को वरिष्ठ नेता लगातार छोड़कर जा रहे हैं. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस पर कहा कि पार्टी को 'आत्मनिरीक्षण' की जरूरत है और भारत और कांग्रेस के बीच एक 'फासला' दिखाई दे रहा है. मनीष तिवारी उन 23 शीर्ष कांग्रेस नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने दो साल पहले पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठनात्मक परिवर्तन की मांग की थी.
वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी की कड़ी आलोचना के बाद पार्टी छोड़ दी है, वहीं एक अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी आनंद शर्मा ने "आत्म-सम्मान" का हवाला देते हुए पार्टी पैनल से इस्तीफा दे दिया है.
न्यूज एजेंसी ANI ने तिवारी के हवाले से लिखा है, 'दो साल पहले हम में से 23 ने सोनिया गांधी को लिखा था कि पार्टी की स्थिति चिंताजनक है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए. उस पत्र के बाद कांग्रेस ने सभी विधानसभा चुनाव हारे हैं. अगर कांग्रेस और भारत की एक सोच थी, तो अब ऐसा लगता है कि उनकी अलग सोच हो गई.'
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दो साल पहले कांग्रेस आलाकमान की एक बैठक का जिक्र करते हुए पंजाब के आनंदपुर साहिब से सांसद ने कहा, '1885 से भारत और कांग्रेस के बीच मौजूद समन्वय में फासला नजर आ रहा है. आत्मनिरीक्षण की जरूरत है. मुझे लगता है कि अगर 20 दिसंबर, 2020 को सोनिया गांधी के आवास पर हुई बैठक की सहमति बन गई होती तो यह स्थिति नहीं आती.'
#WATCH | Congress MP M Tewari says, "Don't want to go into merits of Mr Azad's letter, he'd be in best position to explain...But strange that people who don't have capacity to fight a ward poll, were "chaprasis" of Congress leaders when give "gyaan" about party it's laughable..." pic.twitter.com/9dKLO2y2S8
— ANI (@ANI) August 27, 2022
तिवारी ने आज़ाद की ओर से कांग्रेस प्रमुख को लिखे गए विस्फोटक इस्तीफे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि 'इस पर हंसी आती है कि जिन लोगों में वार्ड का चुनाव लड़ने की क्षमता नहीं है, वे ज्ञान दे रहे हैं.'
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पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह 42 साल से कांग्रेस के साथ हैं और उन्हें "प्रमाणपत्र" की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, 'हमें किसी से प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है. मैंने इस पार्टी को 42 साल दिए हैं. मैंने पहले भी यह कहा है. हम इस संस्था (कांग्रेस) के किरायेदार नहीं हैं, हम सदस्य हैं. अब, यदि आप हमें बाहर निकालने की कोशिश करते हैं, यह अलग मामला है.'
बता दें, कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देते हुए गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी पर निशाना साधा था. उन्होंने राहुल गांधी पर "बचकाना व्यवहार", "अपरिपक्वता" और "अनुभवहीन चाटुकारों की मंडली" को पार्टी चलाने देने के लिए आरोप लगाया. उन्होंने सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कहा था कि कांग्रेस पार्टी ऐसी जगह पहुंच गई, जहां से वापस आना मुमकिन नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा था कि अब पार्टी 'रिमोट कंट्रोल' से चल रही है.
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