बिहार के सीएम नीतीश कुमार का फाइल फोटो
पटना:
बिहार में इन दिनों हर मुद्दे पर राजनीति तेज है, यहां तक कि भूकंप में मारे गए लोगों की लाशों पर भी राजनीति करने से बच नहीं रहे नेता।
बिहार में 70 लोग पिछले एक महीने के दौरान भूकंप के झटके या घर गिरने के कारण मारे गए। बिहार सरकार ने अपने आपदा प्रबंधन के नियमों में बदलाव करते हुए हर मृतक के परिवार को मौत के 24 घंटे के भीतर 4 लाख रुपये दिए, लेकिन बीजेपी चुनावी साल में मुआवजे की बढ़ी राशि का श्रेय नीतीश कुमार को नहीं लेने देना चाहती। इसके चलते बिहार और झारखंड से केंद्रीय मंत्री हर परिवार से इन दिनों मिल रहे हैं।
सबसे पहले केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप ने घोषणा की कि प्रधानमंत्री राहत कोष से भी प्रभावित परिवारवालों को दो लाख दिया जाएगा, लेकिन उसके एक दिन बाद सोमवार को वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने दरबंगा में घोषणा की कि न केवल दो लाख प्रभावित परिवारवालों को दिया जा रहा है, बल्कि उनका दावा है कि बिहार सरकार ने जो 4 लाख दिया है, उसमें से तीन लाख केंद्र की राशि है।
दोनों बयानों के बाद निश्चित रूप से बिहार सरकार खासकर नीतीश कुमार ने पहले कहा कि प्रधानमंत्री राहतकोष या मुख्यमंत्री राहतकोष से किसी को भी कोई राशि देने का श्रेय न किसी राजनीतिक दल और न केंद्र या राज्य सरकार को दिया जाना चाहिए, बल्कि यह एक ट्रस्ट है और उसके ट्रस्टी होते हैं, लेकिन नीतीश ने चुटकी ली कि भूकंप पीड़ितों के बहाने केंद्रीय मंत्री अपने सगे-संबंधियों से मिल रहे हैं और होटल में बैठकर संवादाता सम्मलेन संबोधित करते हैं।
नीतीश ने यहां तक कह डाला कि बीजेपी के नेता हों या मंत्री सबको श्रेय लेने में महारत हासिल है और ये कलाकार लोग हैं, कुछ भी बोल सकते हैं, लेकिन नीतीश की मानें तो आखिर केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा को या तो सच्चाई मालूम नहीं या वह जानबुझकर श्रेय लेने की होड़ में झूठ बोल रहे हैं, लेकिन चुनावी वर्षा में कोई भी श्रेय लेने का मौका खोना नहीं चाहता।
जानकारों की मानें तो इन सबके पीछे नीतीश कुमार की मुआवजा नीति है, जिसे उन्होंने बढ़ाकर 4 लाख कर दिया बल्कि स्थानीय प्रशासन से 24 घंटे के अंदर राशि का वितरण करा दिया, जिससे बीजेपी सरकार के ऊपर कोई आरोप नहीं लगा सकी, लेकिन अब केंद्रीय मंत्रियों के दौरे के माध्यम से श्रेय लेने की दौड़ लगा रही है।
वहीं बीजेपी नेता भी दबी जुबान से मानते हैं कि चाहे भूकंप पीड़ितों का मामला हो या किसानों की आत्महत्या का मसला हो, फ़िलहाल बिहार सरकार की मुआवजे की नीति में कोई मीनमेख नहीं निकाला जा सकता। आत्महत्या के लिए मजबूर किसानों के परिवार वालों के लिए नीतीश कुमार ने 4 लाख का फिक्स्ड डिपॉजिट विधवा के लिए और एक लाख रुपये कर्ज़ चुकाने के लिए देने की घोषणा की है, जिससे इस साल के 1 अप्रैल से प्रभावी कर दिया है।
बिहार में 70 लोग पिछले एक महीने के दौरान भूकंप के झटके या घर गिरने के कारण मारे गए। बिहार सरकार ने अपने आपदा प्रबंधन के नियमों में बदलाव करते हुए हर मृतक के परिवार को मौत के 24 घंटे के भीतर 4 लाख रुपये दिए, लेकिन बीजेपी चुनावी साल में मुआवजे की बढ़ी राशि का श्रेय नीतीश कुमार को नहीं लेने देना चाहती। इसके चलते बिहार और झारखंड से केंद्रीय मंत्री हर परिवार से इन दिनों मिल रहे हैं।
सबसे पहले केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप ने घोषणा की कि प्रधानमंत्री राहत कोष से भी प्रभावित परिवारवालों को दो लाख दिया जाएगा, लेकिन उसके एक दिन बाद सोमवार को वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने दरबंगा में घोषणा की कि न केवल दो लाख प्रभावित परिवारवालों को दिया जा रहा है, बल्कि उनका दावा है कि बिहार सरकार ने जो 4 लाख दिया है, उसमें से तीन लाख केंद्र की राशि है।
दोनों बयानों के बाद निश्चित रूप से बिहार सरकार खासकर नीतीश कुमार ने पहले कहा कि प्रधानमंत्री राहतकोष या मुख्यमंत्री राहतकोष से किसी को भी कोई राशि देने का श्रेय न किसी राजनीतिक दल और न केंद्र या राज्य सरकार को दिया जाना चाहिए, बल्कि यह एक ट्रस्ट है और उसके ट्रस्टी होते हैं, लेकिन नीतीश ने चुटकी ली कि भूकंप पीड़ितों के बहाने केंद्रीय मंत्री अपने सगे-संबंधियों से मिल रहे हैं और होटल में बैठकर संवादाता सम्मलेन संबोधित करते हैं।
नीतीश ने यहां तक कह डाला कि बीजेपी के नेता हों या मंत्री सबको श्रेय लेने में महारत हासिल है और ये कलाकार लोग हैं, कुछ भी बोल सकते हैं, लेकिन नीतीश की मानें तो आखिर केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा को या तो सच्चाई मालूम नहीं या वह जानबुझकर श्रेय लेने की होड़ में झूठ बोल रहे हैं, लेकिन चुनावी वर्षा में कोई भी श्रेय लेने का मौका खोना नहीं चाहता।
जानकारों की मानें तो इन सबके पीछे नीतीश कुमार की मुआवजा नीति है, जिसे उन्होंने बढ़ाकर 4 लाख कर दिया बल्कि स्थानीय प्रशासन से 24 घंटे के अंदर राशि का वितरण करा दिया, जिससे बीजेपी सरकार के ऊपर कोई आरोप नहीं लगा सकी, लेकिन अब केंद्रीय मंत्रियों के दौरे के माध्यम से श्रेय लेने की दौड़ लगा रही है।
वहीं बीजेपी नेता भी दबी जुबान से मानते हैं कि चाहे भूकंप पीड़ितों का मामला हो या किसानों की आत्महत्या का मसला हो, फ़िलहाल बिहार सरकार की मुआवजे की नीति में कोई मीनमेख नहीं निकाला जा सकता। आत्महत्या के लिए मजबूर किसानों के परिवार वालों के लिए नीतीश कुमार ने 4 लाख का फिक्स्ड डिपॉजिट विधवा के लिए और एक लाख रुपये कर्ज़ चुकाने के लिए देने की घोषणा की है, जिससे इस साल के 1 अप्रैल से प्रभावी कर दिया है।
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