उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की एक अदालत ने बुधवार को 48 साल के शख्स को उसकी दो बेटियों की गवाही के आधार पर उम्रकैद की सजा सुनाई. बेटियों ने उक्त शख्स और कुछ अन्य रिश्तेदारों ने साल 2016 में अपनी मां को जिंदा जलाते देखा था. दोनों बेटियां तान्या और लतिका बंसल, जो अब 18 और 20 साल की हैं, का कहना है कि उन्हें खुशी है कि अदालत में 6 साल की कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद उनके पिता मनोज बंसल को सजा मिली. अपने बयान में उन्होंने कहा, " मेरे पिता ने मेरी मां की हत्या केवल इसलिए की थी क्योंकि वो बेटे को जन्म नहीं दे पा रही थी. मेरी मां ने हमें बहुत मुश्किल से पाला था. लेकिन उस आदमी ने उसे जिंदा जला दिया. हमारे लिए वह सिर्फ एक राक्षस है."
उन्होंने कहा, " छह साल की लड़ाई के बाद, उन्हें सजा मिलना हमारे लिए राहत की बात है. जब घटना हुई थी तो मुझे और मेरी बहन को एक कमरे में बंद कर दिया गया था. हम इस बात के चश्मदीद गवाह हैं कि कैसे हमारे पिता और दूसरे लोगों ने मेरी मां को जिंदा जला दिया." बता दें कि अनु बंसल (मृतका) ने साल 2000 में आरोपी मनोज से शादी की थी.
दोनों को दो बेटियां हुईं. लेकिन आरोपी को बेटे की लालस थी. इसे पूरा करके के लिए उसने कथित तौर पर पांच बार जबरन अनु का गर्भपात कराया. साथ ही उसे उसके पति और रिश्तेदारों द्वारा बार-बार प्रताड़ित किया गया. वहीं, 14 जून, 2016 को आरोपी ने उसे जिंदा जला दिया. गंभीर रूप से जलने से 20 जून को उसकी मौत हो गई.
मामले में अनु की मां ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी. उनकी बड़ी बेटी लतिका ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिखकर मामले में न्याय की गुहार लगाई थी. उस पत्र के कुछ अंश उन्हीं के खून से लिखे गए थे. सजा के दौरान अदालत में मौजूद बहनों के बारे में पूछे जाने पर लतिका ने कहा, " हमने उससे कुछ नहीं कहा, लेकिन उसने हमें ताना मारते हुए कहा - अब आपको अच्छा महसूस करना चाहिए."
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