सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सिनेमेटोग्राफी एक्ट में बड़े बदलाव से जुड़ा प्रस्तावित बिल संसद के शीत सत्र में पेश किया जाएगा. सरकार फिल्मों के प्रमाणन की प्रक्रिया को लेकर किसी भी तरह के विवाद में नहीं पड़ना चाहती, जैसा कि हाल ही में पहलाज निहलानी की अध्यक्षता में हुआ था. फिल्म प्रमाणन की पूरी प्रक्रिया पर फिर से काम किया जाएगा और इसे बदल दिया जाएगा.
इसके लिए दो समितियां बनाई जाएंगी, रिव्यू कमेटी और मॉनिटर कमेटी. सदस्यों का चुनाव राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग आदि से किया जाएगा. मनोचिकित्सक भी समिति का हिस्सा होंगे.
फिल्मों को चार तरह की श्रेणियों में सर्टिफिकेट दिए जाएंगे. ये हैं U12+, U15+, A and A+ (बहुत ज्याद हिंसा और सेक्स सीन होने की स्थिति में). फिल्मों में बदलाव करने या काट-छांट करने का अधिकार किसी को भी नहीं होगा. मॉनिटर कमेटी एक दिन में दो से ज्यादा फिल्में नहीं देखेगी.
वैसे निर्माता जिन्हें तुरंत ही क्लियरेंस चाहिए उनके लिए एक तत्काल कैटेगरी भी होगी. इसके लिए उन्हें अतिरिक्त भुगतान करना होगा. प्रमाणन के जरिए जो राशि इकट्ठी होगी वह श्रम मंत्रालय के पास जाएगी और उसका इस्तेमाल फिल्म निर्माण में लगे कामगारों की भलाई के लिए किया जाएगा.
एक और सुधार फिल्मों में धूम्रपान से संबंधित चेतावनी से जुड़ा है. वर्तमान में धूम्रपान के हरेक सीन के वक्त चेतावनी दिखाई जाती है. इसकी जगह फिल्म की शुरुआत में ही चेतावनी दिखानी होगी. धूम्रपान से जुड़ी एक लघु फिल्म शुरुआत में ही दिखानी होगी.
सरकार का कहना है कि इसके पीछे विचार यही है कि लोग खुद निर्णय लें कि वे क्या देखना चाहते हैं. सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने एनडीटीवी से कहा, ''लोग खुद फैसला करें कि वे क्या देखना चाहते हैं. जनता क्या देखे इसमें सरकार की भूमिका न रही है, न है न रहेगी.''
इसके लिए दो समितियां बनाई जाएंगी, रिव्यू कमेटी और मॉनिटर कमेटी. सदस्यों का चुनाव राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग आदि से किया जाएगा. मनोचिकित्सक भी समिति का हिस्सा होंगे.
फिल्मों को चार तरह की श्रेणियों में सर्टिफिकेट दिए जाएंगे. ये हैं U12+, U15+, A and A+ (बहुत ज्याद हिंसा और सेक्स सीन होने की स्थिति में). फिल्मों में बदलाव करने या काट-छांट करने का अधिकार किसी को भी नहीं होगा. मॉनिटर कमेटी एक दिन में दो से ज्यादा फिल्में नहीं देखेगी.
वैसे निर्माता जिन्हें तुरंत ही क्लियरेंस चाहिए उनके लिए एक तत्काल कैटेगरी भी होगी. इसके लिए उन्हें अतिरिक्त भुगतान करना होगा. प्रमाणन के जरिए जो राशि इकट्ठी होगी वह श्रम मंत्रालय के पास जाएगी और उसका इस्तेमाल फिल्म निर्माण में लगे कामगारों की भलाई के लिए किया जाएगा.
एक और सुधार फिल्मों में धूम्रपान से संबंधित चेतावनी से जुड़ा है. वर्तमान में धूम्रपान के हरेक सीन के वक्त चेतावनी दिखाई जाती है. इसकी जगह फिल्म की शुरुआत में ही चेतावनी दिखानी होगी. धूम्रपान से जुड़ी एक लघु फिल्म शुरुआत में ही दिखानी होगी.
सरकार का कहना है कि इसके पीछे विचार यही है कि लोग खुद निर्णय लें कि वे क्या देखना चाहते हैं. सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने एनडीटीवी से कहा, ''लोग खुद फैसला करें कि वे क्या देखना चाहते हैं. जनता क्या देखे इसमें सरकार की भूमिका न रही है, न है न रहेगी.''
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