
इन दिनों महाराष्ट्र की राजनीतिक फिजा में एक अलग बयार बह रही है. लोगों को पता ही नहीं चल पा रहा है कि कौन किसके साथ है. महाविकास अघाड़ी (एमवीए) में शामिल दल बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति में शामिल दलों की तारीफ कर रहे हैं. एमवीए के दल अपने गठबंधन सहयोगी की आलोचना में जरा भी देर नहीं लगा रहे हैं. लोग यह भी समझ नहीं पा रहे हैं कि महायुति में शामिल दल एक साथ हैं या अलग-अलग. दरअसल हाल के दिनों का महाराष्ट्र का राजनीतिक घटनाक्रम बहुत कुछ कह रहा है. उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कई सरकारी बैठकों का बहिष्कार कर चुके हैं. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे के मुख्यमंत्री कार्यकाल में लिए गए कुछ फैसलों की जांच के आदेश दिए हैं. उनके इस कदम की उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने तारीफों के पुल बांध दिए हैं. दिल्ली में घटी कुछ घटनाओं ने भी राज्य में राजनीतिक चर्चाओं को गर्म कर दिया है.इनसे यह भी पता चलता है कि महाराष्ट्र के दोनों गठबंधनों में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है.
सामना में फडणवीस का सम्मान
'सामना' उद्धव ठाकरे की शिवसेना का मुखपत्र है. इस अखबार ने बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तारीफों के पुल बांधे. वहीं उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को निशाने पर लिया गया है. अखबार ने लिखा है कि शिंदे के मुख्यमंत्री रहते हुए काले कारनामों को खत्म करने का पवित्र कार्य शुरू हो गया है.अखबार ने लिखा कि फडणवीस ने मंत्रियों ने उनके ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी(ओएसडी) और निजी सचिव (पीएस) नियुक्त करने का अधिकार छीनकर अच्छा कदम उठाया है.

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कह चुके हैं कि उन्हें हल्के में न लिया जाए.
अखबार ने लिखा,''मंत्रियों ने पीए और ओएसडी के जो नाम पास करने के लिए मुख्यमंत्री को भेजे, उनमें से 16 नाम मुख्यमंत्री ने सीधे तौर पर नकार दिए. ये 16 लोग पिछली शिंदे सरकार में मंत्रियों के ओएसडी बनकर दलाली और फिक्सिंग कर रहे थे. इन फिक्सर्स को फडणवीस ने खारिज कर दिया. मंत्रियों के पीए और ओएसडी नियुक्त करने की शक्तियां छीन लीं. फिक्सर की नियुक्ति नहीं होने देने की मुख्यमंत्री की भूमिका ठीक है. इन 16 फिक्सरों में से 12 फिक्सरों के नाम शिंदे गुट के मंत्रियों ने आगे बढ़ाए थे. ऐसे फिक्सर की जरूरत मंत्रियों को क्यों होनी चाहिए? अखबार ने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका भ्रष्टाचार मिटाने की है.'सामना'ने लिखा कि तीन साल पहले महाराष्ट्र में शिंदे का राज फिक्सिंग से ही अवतरित हुआ था. इससे राज्य में फिक्सरों और दलालों की भरपूर पैदावार हुई. मौजूदा मुख्यमंत्री ने इस फसल को काटने का निर्णय लिया है.
बधाई हो देवा भाऊ...
ऐसा पहली बार नहीं है कि 'सामना' ने मुख्यमंत्री फडणवीस की तारीफ की है. इससे पहले जनवरी के पहले हफ्ते में इस अखबार की एक संपादकीय का शीर्षक था, 'बधाई हो देवा भाऊ'. दरअसल देवेंद्र फडणवीस को 'देवा भाऊ' के नाम से भी पुकारा जाता है. इस संपादकीय में लिखा था,''गढ़चिरौली में गरीबी की वजह से नक्सलवाद बढ़ा.युवा पढ़-लिखकर 'पकौड़े' तलने की जगह हाथों में बंदूकें लेकर आतंक मचाने, दहशत फैलाने ओर अग्रसर हुए. इस संघर्ष में केवल खून ही बहा. पुलिस वाले भी मारे गए और बच्चे भी मारे गए. अब अगर मुख्यमंत्री गढ़चिरौली में इस तस्वीर को बदलने का निर्णय लेते हैं तो हम उन्हें बधाई देते हैं. हमें उम्मीद है कि फडणवीस गढ़चिरौली में कुछ नया करेंगे और आदिवासियों की जिंदगी बदल देंगे. अगर गढ़चिरौली में संविधान का राज आ रहा है तो मुख्यमंत्री फडणवीस प्रशंसा के पात्र हैं. ''

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस कह चुके हैं कि वो किसी भी दबाव के आगे झुकने वाले नहीं हैं.
दरअसल यह केवल पीए-पीएस या ओएसडी की नियुक्ति से जुड़ा मसला नहीं है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पिछले कुछ दिनों में एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री रहते लिए गए कुछ फैसलों की जांच या समीक्षा के आदेश दिए हैं. कुछ फैसलों को निरस्त भी किया है.इनके अलावा शिंदे गुट के कुछ नेताओं से या तो सुरक्षा वापस ले ली गई है या घटा दी गई है. वहीं नासिक और रायगढ़ जिलों के पालक मंत्रियों की नियुक्ति को लेकर भी बीजेपी और शिवसेना आमने-सामने हैं.इस वजह से वो पिछले कई दिनों में कई सरकारी बैठकों का बहिष्कार कर चुके हैं. ताजा मामला बुधवार का है. सरकार ने अगले साल नासिक और त्रयंबकेश्वर में लगने वाले कुंभ की तैयारियों के लिए बैठक बुलाई थी. इसमें न तो एकनाथ शिंदे शामिल हुए न दूसरे उपमुख्यमंत्री अजित पवार. इससे पहले इसी तरह की एक बैठक शिंदे ले चुके हैं.यहां तक कि शिंदे कई बार कैबिनेट की बैठक में ऑनलाइन भी शामिल हुए. बीजेपी और शिवसेना की इस नूराकुश्ती में अजित पवार की एनसीपी ने भी एंट्री मारी है. हालांकि वो उतने आक्रामक नहीं हैं, जितना शिंदे हैं. पवार अपने कदम आगे-पीछे देखकर उठा रहे हैं.
एकनाथ शिंदे का बागी रुख
शिंदे सरकारी बैठकों के बहिष्कार तक ही नहीं रुके. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि उन्हें लोग हल्के में लेने की कोशिश न करें.शिंदे ने मुंबई में 21 फरवरी नागपुर में कहा था,''जब आपने (विपक्ष) 2022 में हल्के में लिया, तो हमने तांगा पलटी कर दिया. हमने सरकार बदल दी. हम आम लोगों की इच्छाओं की सरकार लाए. विधानसभा में अपने पहले भाषण में मैंने देवेंद्र फडणवीस से कहा था कि 200 से ज्यादा सीटें मिलेंगी और हमें 232 सीटें मिलीं. इसलिए मुझे हल्के में मत लीजिए, जो लोग इस संकेत को समझना चाहते हैं, वे इसे समझ लें, और मैं अपना काम करता रहूंगा.'' शिंदे के यह बयान उनकी कार को उड़ाने की धमकी के बाद आया था.इससे फडणवीस परेशान नहीं हुए.उन्होंने दृढ़ता से कहा कि कोई भी नाराज क्यों न हों वो दागी लोगों की नियुक्तियों को मंजूरी नहीं देंगे.

दिल्ली सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में एकनाथ शिंदे से मिलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.
क्या बीएमसी चुनाव से पहले बदल जाएगी महाराष्ट्र की राजनीति
महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना और एनसीपी की महायुती ने 230 से अधिक सीटों से जीत दर्जकर प्रचंड बहुमत की सरकार बनाई थी. लेकिन सरकार बनने के साथ ही महायुती में खटपट की खबरें आने लगीं.कहा यह गया कि मुख्यमंत्री पद पर रहने के बाद उपमुख्यमंत्री बनाए जाने से शिंदे खुश नहीं हैं. वहीं शिवसेना जिस तरह से देवेंद्र फणडवीस की तारीफ कर रही है, उससे लगता है कि बीएमसी चुनाव से पहले महाराष्ट्र में नए समीकरण बन सकते हैं. फडणवीस भी कड़े कदम भी इसलिए उठा रहे हैं कि बीएमसी चुनाव में उनकी छवि एक कड़क और भ्रष्टाचार विरोधी नेता के रूप में बने. क्योंकि एनसीपी के दोनों धड़ों की एकता की भी खबरें आ रही हैं. कहा यह जा रहा है कि परिवार के स्तर पर ही इस एकता की कोशिश की जा रही है. नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में जिस तरह से पीएम नरेंद्र मोदी एनसीपी नेता शरद पवार की फिक्र करते हुए नजर आए थे, उस तस्वीर को भी महाराष्ट्र की राजनीति में किसी बदलाव की आहट के रूप में देखा गया था.मुख्यमंत्री फडणवीस महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे से मुलाकात कर चुके हैं. ऐसी खबरें हैं कि बीजेपी और मनसे बीएमसी चुनाव में गठबंधन करेंगी.इस तरह से फडणवीस ने शिंदे को संदेश देने की कोशिश की थी. महाराष्ट्र की राजनीति के हालिया घटनाक्रम बीएमसी चुनाव से पहले राजनीति में किसी बड़ी करवट के संकेत दे रहे हैं. महाराष्ट्र की राजनीति किस करवट बैठेगी, इसके लिए हमें अभी इंतजार करना होगा.
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