महाराष्ट्र सरकार अंग्रेज़ी और मराठी के दो साहित्यकारों की लड़ाई में मराठी मानुष का साथ देती दिख रही है, और सलमान रुश्दी तथा ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता भालचंद्र नेमाड़े के बीच हुई 'तू-तू-मैं-मैं' की वजह से रुश्दी से खफा हो गई है।
दरअसल विवाद तब शुरू हुआ, जब नेमाड़े ने सलमान रुश्दी को साहित्यकार मानने से इनकार कर दिया। इसके जवाब में सलमान रुश्दी ने नेमाड़े को गाली दी, जिसे बिल्कुल भी सराहा नहीं गया। राज्य सरकार के सांस्कृतिक मंत्री विनोद तावड़े ने मुंबई में एक संवाददाता सम्मेलन कर रुश्दी का निषेध किया, और यहां तक कहा कि ऐसी भाषा का इस्तेमाल करने के खिलाफ राज्य के गृह विभाग को कार्रवाई करनी चाहिए।
हालांकि इस विवाद पर साहित्यजगत से भी प्रतिक्रिया आई हैं, लेकिन किसी ने भी सरकारी दखल का स्वागत नहीं किया है। साहित्यकार किरण नगरकर ने एनडीटीवी इंडिया से बात करते हुए कहा है कि साहित्यकारों की बदजुबानी को नजरअंदाज कर देना चाहिए। पाठक खुद ऐसे साहित्यकारों को अपने से दूर रखेंगे, इसलिए फिर सरकार को दखल देने की कोई ज़रूरत नहीं है।
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