
महाकुंभ की प्रमुख आवाज़ रही हर्षा रिछारिया ने हाल ही में एनडीटीवी के साथ एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में अपने जीवन की यात्रा, संघर्ष और अचानक मिले सार्वजनिक पहचान को लेकर खुलकर बातचीत की. इस इंटरव्यू में उन्होंने बेझिझक स्वीकार किया कि महाकुंभ ने उनकी ज़िंदगी पूरी तरह से बदल दी है. एक ऐसी दिशा में जिसे उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी.
उन्होंने कहा कि पहले मेरी ज़िंदगी बहुत स्मूद थी, हर्षा कहती हैं कि मुझे पता होता था कि महीने में इतने शोज़ करूंगी, उतना पेमेंट मिलेगा. कोई ट्रोलिंग नहीं, कोई सवाल नहीं, कोई उम्मीद नहीं... सब कुछ संतुलित था. लेकिन महाकुंभ के मंच से उन्हें जो व्यापक पहचान मिली, उसने जैसे उनकी पूरी दिनचर्या, सोच और ज़िम्मेदारियों की परिभाषा ही बदल दी.
हर्षा रिछारिया ने कहा कि पहचान मिलने के साथ लोगों की उम्मीदें और निगाहें भी बदल गईं. अब लोग एक उम्मीद की नज़र से देखते हैं. वह जिम्मेदारी वाली नज़र मेरी पूरी दुनिया बदल देती है. वे यह भी स्वीकार करती हैं कि यह परिवर्तन आसान नहीं रहा. और इस पूरी प्रक्रिया में उन्होंने भावनात्मक और मानसिक स्तर पर कई “अप्स एंड डाउन्स” का सामना किया.
हर्षा अपने अनुभव को "रोलर कोस्टर राइड" कहती हैं. वे कहती हैं, “कभी बहुत ऊपर, कभी बहुत नीचे… यह उतार-चढ़ाव पहली बार महसूस कर रही हूं. कभी लगता है सब कुछ ठीक है, तो कभी लगता है क्यों हुआ ये सब? इंटरव्यू में उन्होंने यह भी बताया कि महाकुंभ से पहले ही उन्होंने निर्णय ले लिया था कि वह एंकरिंग छोड़ देंगी और धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ेंगी. “महादेव ने इतनी पहचान दी... अब मैं उसे व्यर्थ नहीं जाने देना चाहती.
आज जब वह सोशल मीडिया पर ट्रोल होती हैं, सवालों के घेरे में आती हैं, या समर्थन और आलोचना दोनों का सामना करती हैं, तो भी वह पीछे नहीं हटतीं. उन्होंने अपनी नई भूमिका को एक "धार्मिक जिम्मेदारी" के रूप में स्वीकार किया है.
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