भोपाल: मध्य प्रदेश में साइबर अपराध लगातार बढ़ रहे हैं. कोरोना काल में भी साइबर ठगों ने लोगों को नहीं बख्शा. लेकिन प्रदेश में अबतक साइबर लुटेरों को दबोचने के लिए ठोस रणनीति नहीं बन सकी है. संगठित साइबर क्राइम कंट्रोल यूनिट तक नहीं बनाई जा सकी है. मौजूदा बल को ट्रेनिंग देकर ही साइबर सेल का संचालन किया जा रहा है. सरकार ने खुद विधानसभा में माना है कि उसके पास साइबर एक्सपर्ट नहीं हैं.
सरकार ने कहा था हर थाने में साइबर डेस्क बनाई जाएगी. 2 साल में काम पूरा हो जाएगा, 10,000 पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. लेकिन आलम ये है कि राज्य साइबर सेल में शिकायतों की लंबी फेहरिस्त के बोझ तले दबी है. 4 साल में ही साइबर क्राइम के केस 17 गुना बढ़ चुके हैं, लेकिन स्टेट साइबर सेल में गिनती के अधिकारी हैं.
मध्य प्रदेश: साइबर अपराध के बारे में अहम जानकारी
- 1 जनवरी 2021 से 31 दिसंबर 2021 कोविड के वक्त 29 करोड़ से ज्यादा साइबर ठगी, सिर्फ 444 मामले दर्ज
- पिछले 4 सालों में 71 करोड़ रुपए से ज्यादा की साइबर ठगी
- 4 सालों में करीब 1643 मामले ही दर्ज
- 4 साल में ही साइबर क्राइम के केस 17 गुना बढ़ा
MP में साइबर अपराध: क्या कहते हैं बीजेपी विधानयक?
बीजेपी विधायक यशपाल सिसोदिया के सवाल पर सरकार घिर गई है. माना कि राज्य में साइबर एक्सपर्ट नहीं हैं. अब इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस शिवराज सरकार पर हमलावर है. बीजेपी विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने कहा, "मैंने मंत्रीजी से कहा है कि साइबर क्राइम का एक्सपर्ट नहीं है. 3 महीने का समय दिया है. उन्होंने आश्वासन दिया है. मैंने मंत्रीजी को फिर धन्यवाद दिया है साइबर अपराध से सजग होने पर जागरूक किया है. कोविड में इतनी बड़ी ठगी हो जाए, तो आश्चर्य होता है. साइबर एक्सपर्ट की नियुक्ति ना हो तो नीचे की टीम काम कैसे करेगी.
आपको बता दें कि किसी भी सायबर अपराध का इन्वेस्टिगेशन आईपीसी अपराध से ज्यादा जटिल होता है. लंबी तकनीकी विश्लेषण, अपराधी व्हाइट कॉलर...जैसे-जैसे इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ रहा है. सायबर अपराध भी. गृहमंत्री अमित शाह ने भी साइबर अपराधों पर लगाम लगाने की सलाह पुलिस अफसरों को दी थी.
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