पीएम नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के विज्ञान भवन में दीनदयाल उपाध्याय संपूर्ण वाङ्मय का विमोचन किया
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दीनदयाल उपाध्याय के जन्म के 100 साल पूरे होने के मौके पर उनके संदेश का प्रसार करने के लिए उनके कार्यों की एक श्रृंखला का विमोचन किया. इस मौके पर उन्होंने कहा, दीनदयाल उपाध्याय संपूर्ण वाङ्मय की 15 किताबें उनकी जीवन यात्रा की त्रिवेणी है. उन्होंने कहा कि दीनदयाल का जीवनकाल लंबा नहीं था लेकिन उन्होंने एक विचार को विकल्प बना दिया.
उन्होंने इस मौके पर कहा- वो कहते थे कि राष्ट्र में जो सेना है, वो सेना अत्यंत सामर्थ्यवान होनी चाहिए, तब जाकर राष्ट्र सामर्थ्यवान बनता है.
पीएम मोदी ने कहा- इतने कम समय में एक राजनीतिक दल विपक्ष से लेकर विकल्प की यात्रा तय कर ले यह छोटी बात नहीं और यह पंडित जी के प्रयासों का परिणाम है. कोई भी पंडित जी के बारे में सोचता है तो सादगी की छवि उभर कर आती है. मुझे तो उनके दर्शन करने का सौभाग्य नहीं मिला.
पीएम मोदी ने कहा, श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि मेरे पास दो दीनदयाल होते तो मैं देश की राजनीति का चरित्र बदल देता. सुदर्शन चक्रधारी मोहन से चरखाधारी मोहन तक जो हम सुनते आए हैं पंडित जी ने उसे आधुनिक अर्थों में प्रस्तुत किया है.
15 संस्करण वाले 'द कम्प्लीट वर्क्स ऑफ दीनदयाल उपाध्याय' संग्रह में उपाध्याय के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं और 1965 भारत-पाकिस्तान युद्ध, ताशकंद समझौता और गोवा की मुक्ति जैसी अहम घटनाओं समेत देश और जन संघ की यात्रा को रेखांकित किया गया है.
इसके अंतिम में पहले वाले संस्करण में उपाध्याय के 1967 में जनसंघ प्रमुख बनने के तुरंत बाद उनकी हत्या संबंधी घटनाओं की भी जिक्र किया गया है. इसमें उपाध्याय के उन बौद्धिक संवादों और उपदेशों, विभिन्न लेखों और भाषणों का संग्रह है जिनमें एकात्म मानववाद के दर्शन के बारे में बताया गया है.
उन्होंने इस मौके पर कहा- वो कहते थे कि राष्ट्र में जो सेना है, वो सेना अत्यंत सामर्थ्यवान होनी चाहिए, तब जाकर राष्ट्र सामर्थ्यवान बनता है.
Wo kehte the rashtra mein jo sena hai,wo sena atyant samarthvan honi chahiye,tab jaake rashtr samarthvan banta hai: PM on Deendayal Upadhyay pic.twitter.com/Ka43PD9InY
— ANI (@ANI_news) October 9, 2016
पीएम मोदी ने कहा- इतने कम समय में एक राजनीतिक दल विपक्ष से लेकर विकल्प की यात्रा तय कर ले यह छोटी बात नहीं और यह पंडित जी के प्रयासों का परिणाम है. कोई भी पंडित जी के बारे में सोचता है तो सादगी की छवि उभर कर आती है. मुझे तो उनके दर्शन करने का सौभाग्य नहीं मिला.
पीएम मोदी ने कहा, श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि मेरे पास दो दीनदयाल होते तो मैं देश की राजनीति का चरित्र बदल देता. सुदर्शन चक्रधारी मोहन से चरखाधारी मोहन तक जो हम सुनते आए हैं पंडित जी ने उसे आधुनिक अर्थों में प्रस्तुत किया है.
15 संस्करण वाले 'द कम्प्लीट वर्क्स ऑफ दीनदयाल उपाध्याय' संग्रह में उपाध्याय के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं और 1965 भारत-पाकिस्तान युद्ध, ताशकंद समझौता और गोवा की मुक्ति जैसी अहम घटनाओं समेत देश और जन संघ की यात्रा को रेखांकित किया गया है.
इसके अंतिम में पहले वाले संस्करण में उपाध्याय के 1967 में जनसंघ प्रमुख बनने के तुरंत बाद उनकी हत्या संबंधी घटनाओं की भी जिक्र किया गया है. इसमें उपाध्याय के उन बौद्धिक संवादों और उपदेशों, विभिन्न लेखों और भाषणों का संग्रह है जिनमें एकात्म मानववाद के दर्शन के बारे में बताया गया है.
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