भगवान श्रीराम अगले साल 22 जनवरी को अयोध्या में अपने जन्मस्थान पर बने अपने भव्य मंदिर में लौटेंगे और फिर 500 साल के संघर्ष के बाद लोगों के "दिमाग और दिल" में रहेंगे. आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने शनिवार को
एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि धर्म की स्थापना के लिए हमेशा संघर्ष होता रहा है और यह कभी-कभी "सृजन" के लिए आवश्यक होता है.
संघ कार्यवाह ने कहा, 'श्री राम जन्मभूमि' के लिए 72 बार संघर्ष हुआ और हर पीढ़ी ने संघर्ष किया, लेकिन कभी हार नहीं मानी. हर भाषा, वर्ग, समुदाय और संप्रदाय'' के लोगों ने इस संघर्ष में भाग लिया.' राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एक बयान में होसबले के हवाले से कहा, "14 साल के वनवास के बाद भगवान श्रीराम सबसे पहले अपने राजमहल लौटे थे. अब 500 साल के संघर्ष के बाद भगवान राम 22 जनवरी को अपने जन्मस्थान पर बने भव्य मंदिर में लौट रहे हैं. इसके बाद श्रीराम मन और मानस में लौट आएंगे."
आरएसएस के सरकार्यवाह ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व वीएचपी और अन्य दक्षिणपंथी संगठनों ने राष्ट्रीय एकता के लिए किया था. उन्होंने कहा, "राम शुभ हैं, राम प्रेरणा हैं, राम आस्था हैं... राम मंदिर (अयोध्या में) सिर्फ एक और मंदिर या पर्यटन स्थल नहीं है, बल्कि यह तीर्थ का एक स्तंभ है. श्रीराम की अयोध्या का अर्थ है त्याग, अयोध्या का अर्थ है लोकतंत्र, अयोध्या का अर्थ है गरिमा."
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