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This Article is From Jun 27, 2011

हमारा मसौदा असहमति नोट नहीं : हज़ारे पक्ष

नई दिल्ली: गांधीवादी अन्ना हज़ारे के साथी कार्यकर्ता और लोकपाल विधेयक मसौदा समिति के सह-अध्यक्ष शांति भूषण ने सोमवार को सरकार से कहा कि समिति की बैठकों के बाद समाज के सदस्यों द्वारा तैयार किया गया मसौदा विधेयक कोई असहमति नोट नहीं है। भूषण ने मसौदा समिति के अध्यक्ष और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को आज लिखे पत्र में विधि मंत्री एम वीरप्पा मोइली द्वारा दोनों पक्षों के मसौदों का तुलनात्मक विवरण जारी करने और हज़ारे पक्ष के मसौदे को कथित तौर पर असहमति नोट बताने पर ऐतराज जताया। मोइली मसौदा समिति के संयोजक थे। संयुक्त मसौदा समिति की 21 जून को हुई नौंवीं और अंतिम बैठक के बाद हज़ारे पक्ष की ओर से इस पत्र के जरिये सरकार से पहली बार आधिकारिक रूप से संपर्क किया गया है। पूर्व विधि मंत्री भूषण ने पत्र में कहा, बताया जा रहा है कि मोइली ने तुलनात्मक तालिका जारी की, जिसे कैबिनेट और सभी राजनीतिक दलों को भेजा जाएगा। ..यह तालिका (हज़ारे पक्ष के मसौदे) जनलोकपाल विधेयक को सही तरह से पेश नहीं करती क्योंकि इसमें कई खामियां हैं और कई जगहों पर हमारे मसौदे के प्रावधानों का भी पूरी तरह से संदर्भ नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, यह भी कहा जा रहा है कि मोइली ने कहा कि सरकार का मसौदा वास्तविक है और हज़ारे पक्ष का मसौदा एक असहमति वाला नोट है। हम इससे सहमत नहीं हैं। समिति में 10 सदस्य थे। पांच सदस्यों ने एक मसौदे का समर्थन किया, जबकि शेष पांच सदस्यों ने दूसरे मसौदे को स्वीकार किया।   भूषण ने कहा, लिहाजा, जहां तक संयुक्त समिति के नतीजे का सवाल है तो दोनों मसौदों को समान समर्थन प्राप्त है। मैं आपसे (मुखर्जी से) अनुरोध करूंगा कि दोनों मसौदों को संयुक्त समिति का साझा परिणाम ही मानें। ...मेरे विचार से दोनों मसौदों को संयुक्त मसौदा समिति का साझा परिणाम मानना अच्छा फैसला रहेगा। उन्होंने कहा कि संयुक्त समिति की पिछली बैठक में दोनों पक्षों ने फैसला किया था कि लोकपाल विधेयक के दोनों मसौदों को कैबिनेट और राजनीतिक दलों के समक्ष रखा जाएगा। मुखर्जी को लिखे पत्र में पूर्व विधि मंत्री ने कहा, हालांकि, अगर आप दोनों मसौदों को एक तालिका के रूप में मिलाना चाहें तो हम ऐसी कोशिश कर सकते हैं, लेकिन कृपया इसे सभी सदस्यों की सहमति के बिना जारी नहीं करें। भूषण ने सरकार द्वारा तैयार तालिका को हज़ारे पक्ष के पास भेजने की भी पेशकश रखी ताकि उसमें सुधार कर उसे सरकार को लौटाया जा सके। सरकार ने जहां लोकपाल के मुद्दे पर तीन जुलाई को सर्वदलीय बैठक बुलायी है, वहीं हज़ारे पक्ष भी राजनीतिक दलों से संवाद साधने की कवायद शुरू कर चुका है।

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