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This Article is From Mar 19, 2024

राज ठाकरे की अमित शाह से मुलाकात : 2.25% वोट शेयर वाली MNS को साथ लाने को BJP क्‍यों बेकरार?

2019 के विधानसभा चुनावों में एमएनएस का एक ही विधायक चुनकर आया था, लेकिन एमएनएस को महाराष्ट्र के कुल 2.25% वोट मिले थे. अबकी बार 400 पार का नारा देने वाली बीजेपी एक-एक वोट को जोड़ने में लगी है. 

राज ठाकरे की अमित शाह से मुलाकात : 2.25% वोट शेयर वाली MNS को साथ लाने को BJP क्‍यों बेकरार?
राज ठाकरे ने अपने बेटे अमित ठाकरे के साथ दिल्‍ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की.
नई दिल्‍ली:

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) से पहले एनडीए में एक और पार्टी के शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं. माना जा रहा है कि एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray) भी अब एनडीए के कुनबे में शामिल हो सकते हैं. इन अटकलों को उस वक्‍त बल मिला जब राज ठाकरे ने अपने बेटे अमित ठाकरे के साथ दिल्‍ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मुलाकात की. माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में मराठी वोटों को विभाजन रोकने के लिए बीजेपी राज ठाकरे को साथ ले रही है. हालांकि इस मुलाकात के बाद अभी तक न बीजेपी की तरफ से और न ही एमएनएस की तरफ से कोई प्रतिक्रिया आई है. 

अब तक सभी नेता राज ठाकरे से मिलने उनके घर पर आते थे, लेकिन पहली बार राज ठाकरे दिल्ली में किसी दूसरे दल के नेता से मिलने पहुंचे और वो भी अपने बेटे अमित ठाकरे के साथ. उनकी दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात तकरीबन आधे घंटे चली, लेकिन क्या बात हुई इस पर न बीजेपी ने और न ही एमएनएस की तरफ से किसी ने कुछ कहा है. 

MNS के साथ से बीजेपी को क्‍या होगा फायदा?

माना जा रहा है कि बीजेपी मराठी वोटों का विभाजन रोकने के लिए एमएनएस को साथ ले रही है. वो एमएनएस को दक्षिण मुंबई की लोकसभा सीट दे सकती है, साथ ही विधानसभा चुनावों और बीएमसी चुनाव में मदद भी. 

2019 के विधानसभा चुनावों में एमएनएस का एक ही विधायक चुनकर आया था, लेकिन एमएनएस को महाराष्ट्र के कुल 2.25%  यानी 12,42,135 वोट मिले थे. अबकी बार 400 पार का नारा देने वाली बीजेपी एक-एक वोट को जोड़ने में लगी है. 

MP-MLA आए, लेकिन मतदाता किस तरफ?

कह सकते हैं कि इस वक्त दोनों को ही एक दूसरे की जरूरत है, क्योंकि शिवसेना टूटने के बाद सांसद और विधायक तो बड़ी संख्या में एकनाथ शिंदे के साथ आए लेकिन मराठी वोटर कितने आए ये अभी साफ नहीं है.

शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत ने कहा, "वो जानते हैं सारे मराठी मतदाता उद्धवजी के साथ हैं, क्‍योंकि जिस तरह से संवैधानिक सरकार बनी है, बीएमसी का चुनाव नहीं ले पाए. वो जानते हैं कि उनके पैरों तले जमीन खिसक चुकी है. इसलिए कहीं से भी किसी को साथ ले लो. बात विचार की नहीं, एक ही विचार है सत्ता पाना. इसके लिए वो कुछ भी करेंगे."

कांग्रेस ने बताया हिंदी भाषियों का अपमान 

इस बीच, उत्तर भारतीयों के खिलाफ एमएनएस के हिंसक आंदोलनों को याद दिलाते हुए कांग्रेस ने इसे हिंदी भाषियों का अपमान बताया है. हालांकि इसके पहले एनडीटीवी से बात करते हुए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस साफ कर चुके हैं कि राज ठाकरे अब हिंदुत्व की भी बात करते हैं, हिंदुत्व एक ऐसी बात है जो हमें आपस में जोड़ती है. 

उत्तर प्रदेश में 80 लोक सभा सीटों के बाद महाराष्ट्र दूसरा राज्य है जहां 48 लोकसभा की सीटें हैं. हालांकि राज्य का राजनीतिक समीकरण कुछ इस तरह उलझा है कि मतदाताओं के मन की थाह लगाना भी मुश्किल है. इसलिए बीजेपी अपने पक्ष में वोट जोड़ने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहती है. 

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