Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम को लेकर तरह-तरह के दावे राजनीतिक दल कर रहे हैं. एनडीटीवी बैटलग्राउंड शो में पहुंचे एक्सपर्ट्स की आम राय यह है कि इस बार जनता के मूड को समझना कठिन है. हालांकि, भाजपा को बहुमत मिलना भी लगभग तय है. इसके पीछे एक्सपर्ट्स का तर्क है कि उत्तर के कुछ गढ़ों में भाजपा को कड़ी लड़ाई लड़नी पड़ी है, लेकिन उसे तेलंगाना, ओडिशा और बंगाल सहित गैर-भाजपा शासित राज्यों में फायदा होगा. बैटलग्राउंड का संचालन एनडीटीवी के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया ने किया और 2024 लोकसभा चुनाव को डिकोड किया.
यह चुनाव जटिल : नीरजा चौधरी
एक्सपर्ट्स का मानना है कि 2024 के चुनाव ने कोई लहर या जनता का गुस्से नहीं दिखा. यही कारण है कि यह चुनाव पिछले 10 वर्षों के चुनाव की तरह नहीं दिख रहा है. हां, असंतोष की भावना कहीं-कहीं जरूर है, लेकिन इसे विपक्ष अपने पक्ष में भुनाने में विफल रहा है. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विशेषज्ञ नीरजा चौधरी ने कहा कि यह चुनाव जटिल है और इसे समझना मुश्किल हो रहा है. अपनी बात को बढ़ाते हुए नीरजा ने कहा, "कुछ स्तर पर, हम उस मोदी लहर को नहीं देख रहे हैं. विपक्ष के पास स्थानीय मुद्दे हैं. विपक्ष इसे लेकर लड़ाई तो लड़ रहा है, लेकिन यह उसे जीत दिलाने में कारगर नहीं दिख रही है."
दो वर्ग तय करेंगे परिणाम : अमिताभ तिवारी
राजनीतिक रणनीतिकार अमिताभ तिवारी ने कहा, "चुनाव के बाद लहर का पता लगा है. मतदान एक भावनात्मक निर्णय है. पिछली बार, भाजपा को 40 प्रतिशत वोट मिले थे. यह सच है कि इस बार असंतोष है, लेकिन असंतोष का गुस्से में बदलना महत्वपूर्ण है. विपक्ष के लिए मतदाता के मानस को समझना आसान नहीं है. सोशल मीडिया के शोर को छोड़कर एक मूक मतदाता भी है, जो चुनाव शुरू होने से पहले ही तय कर लेता है कि किस रास्ते पर जाना है." यह पूछे जाने पर कि क्या विपक्ष सोशल मीडिया द्वारा पैदा किए गए भ्रम से भटक गया है और गुमराह हो गया है, अमिताभ तिवारी ने सहमति व्यक्त की. उन्होंने कहा, "लोग अपने और अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए वोट करते हैं... सोशल मीडिया की चर्चा से दो प्रमुख वर्ग गायब हैं - महिलाएं और कल्याणकारी परियोजनाओं के लाभार्थी. ये दो वर्ग हैं, जिन्होंने हाल के अधिकांश चुनावों की दिशा तय की है.
सीटों की संख्या पर अधिक चर्चा : संजय कुमार
सीएसडीएस लोकनीति के चुनाव विश्लेषक संजय कुमार ने कहा कि इस चुनाव में चर्चा इस बात की नहीं हो रही है कि बीजेपी चुनाव हार रही है या नहीं हार रही है. चर्चा बस इस बात की हो रही है कि बीजेपी को 272 से पहले रोका जाएगा या नहीं. आज चर्चा हो रही है कि 370 तो नहीं लेकिन 300 के आसपास तो आएगा. नुकसान हो भी रहा है तो वो कितना हो रहा है ये अहम है. यह चुनाव कुछ मुद्दों के साथ शुरू हुआ था, लेकिन जल्द ही उनसे भटक गया. भाजपा ने राष्ट्रीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करके चुनाव शुरू किया था, लेकिन अब संविधान में बदलाव सहित विपक्षी एजेंडे का भाजपा जवाब दे रही है. पहली बार कांग्रेस की तरफ से एजेंडा सेट किया जा रहा था और प्रधानमंत्री उसका काउंटर कर रहे थे. चुनाव की शुरुआत किसी मुद्दे से हुई थी और वो ट्रेवल करते हुए कई मील आगे निकल गया.
दो राज्यों की भूमिका अहम : संदीप शास्त्री
सीएसडीएस लोकनीति के संदीप शास्त्री ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर लहर नहीं दिख रही, लेकिन राज्यों में जाएंगे तो छोटी-छोटी लहर दिख रही है. कई जगहों पर हवा तेज है तो कई जगहों पर हवा धीमी है. मुझे लगता है कि हर राज्य में कुछ अलग नतीजा आएगा. हमें राज्यों में ध्यान देना होगा. काफी लंबी चुनाव प्रक्रिया के कारण इस बार राजनीतिक दलों में एक थकावट दिख रही है. पहले और अंतिम चरण के बीच 6 हफ्ते का फासला है. क्या यह एक जैसा ही परिणाम दिखाएगा? बीजेपी का आंकड़ा 304 से ऊपर रहता है या नीचे जाता है, यह 2 राज्य तय करेंगे. वो दोनों राज्य हैं महाराष्ट्र और बंगाल. महाराष्ट्र में बीजेपी को गठबंधन की सहयोगियों से समस्या है. पश्चिम बंगाल बीजेपी के लिए बेहद अहम है.
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