समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की स्थापना मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav)ने की थी. उनका अक्तूबर 2022 में निधन हो गया था. उनके निधन के बाद समाजवादी पार्टी पहली बार चुनाव मैदान में है. पार्टी के साथ-साथ मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) भी पहली बार बिना पिता के चुनाव मैदान में हैं. उनके कंधे पर पार्टी का प्रदर्शन सुधारने की बड़ी जिम्मेदारी है.
साल 2024 के लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) में एक बड़ा बदलाव किया है. उन्होंने केवल पांच यादवों को ही दिया है. ये सभी यादव उनके परिवार के ही सदस्य हैं. आइए देखते हैं कि यादव परिवार का कौन कौन सा सदस्य कहां से चुनाव लड़ रहा है.
सपा इस बार का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के साथ गठबंधन में लड़ रही है. समझौते में उसे 62 सीटें मिली हैं.सपा अबतक 59 उम्मीदवार घोषित कर चुकी है. लेकिन इसमें केवल पांच ही यादव हैं. सपा के यादव उम्मीदवारों में मैनपुरी से डिंपल यादव, कन्नौज से अखिलेश यादव, आजमगढ़ से धर्मेंद्र यादव, फिरोजाबाद से अक्षय यादव और बदायूं से आदित्य यादव के नाम शामिल हैं.
अखिलेश यादव पर है कितनी जिम्मेदारी
सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस समय विधानसभा सदस्य हैं. वो पहली बार विधानसभा चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे हैं. उन्होंने लोकसभा चुनाव में कन्नौज सीट से पर्चा दाखिल किया है.सपा ने इस सीट से पहले तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार बनाया था. लेकिन कार्यकर्ताओं के दबाव को देखते हुए सपा प्रमुख ने खुद इस सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया. उन्होंने इस सीट से पर्चा दाखिल कर दिया है. कन्नौज में उनका मुकाबला भाजपा के सुब्रत पाठक से है.
कन्नौज सीट से ही अखिलेश यादव पहली बार लोकसभा पहुंचे थे. कन्नौज लोकसभा सीट पर 2000 में हुए उपचुनाव में अखिलेश यादव ने पहली बार चुनाव लड़ा और जीता था.वो इस सीट से 2004 और 2009 में भी सांसद चुने गए. लेकिन 2012 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद अखिलेश ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी डिंपल यादव निर्विरोध सांसद चुनी गई थीं.
मैनपुरी से डिंपल यादव फिर उम्मीदवार
अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव एक बार फिर मैनपुरी से ताल ठोक रही हैं. नेता जी यानी कि मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में डिंपल यादव ने जीत दर्ज की थी.सपा ने एक बार फिर मैनपुरी में डिंपल पर ही भरोसा जताया है.मैनपुरी अखिलेश यादव के परिवार की पारिवारिक सीट है. इस सीट पर समाजवादी पार्टी का 1996 से कब्जा है. इसमें से केवल दो बार ही उनके परिवार के बाहर के एक व्यक्ति ने जीत दर्ज की है.1998 और 1999 के चुनाव में सपा के टिकट पर बलराम सिंह यादव जीते थे.डिंपल ने इस सीट पर 2022 में हुए उपचुनाव में भाजपा के रघुराज सिंह शाक्य को करीब तीन लाख वोटों के अंतर से हराया था.
डिंपल यादव ने अपना पहला चुनाव 2009 में फिरोजाबाद सीट पर हुए उपचुनाव में लड़ा था. लेकिन उन्हें हार का समाना करना पड़ा था. वो पहली बार 2012 में कन्नौज सीट पर हुए उपचुनाव को निर्विरोध जीतकर संसद पहुंची थीं. वो कन्नौज से 2014 में भी सांसद चुनी गई थीं.लेकिन कन्नौज में उन्हें 2019 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.डिंपल यादव छठी बार लोकसभा का चुनाव लड़ रही हैं.
आजमगढ़ के मैदान में फिर धर्मेंद्र यादव
अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव एक बार फिर आजमगढ़ के चुनाव मैदान में हैं.इस सीट को यादव बहुल माना जाता है. अब तक हुए 17 लोकसभा चुनाव में यादव सरनेम वाली 12 लोगों ने यहां से जीत दर्ज की है. अखिलेश यादव की रणनीति इस सीट से पूर्वांचल को साधने की है. अखिलेश यादव इस सीट से 2019 में चुने गए थे. लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में मैनपुरी की करहल सीट से विधायक चुने जाने के बाद उन्होंने सांसदी से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद हुए उपचुनाव में सपा ने धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा था. लेकिन वो बहुत ही करीबी मुकाबले में भाजपा के दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ से हार गए थे. सपा सांसद मुलायम सिंह यादव इस सीट से 2014 में चुने गए थे.
धर्मेंद्र यादव बदायूं लोकसभा सीट से 2009 और 2019 में सांसद चुने गए थे.वो 2019 का चुनाव बदायूं सीट से भाजपा की संघमित्रा मौर्य से हार गए थे. धर्मेंद्र यादव पांचवीं बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं.
फिरोजाबाद में अक्षय यादव की परीक्षा
सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव फिरोजाबाद सीट से तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं. वो इस सीट से 2014 में सांसद चुने गए थे. लेकिन 2019 के चुनाव में उन्हें भाजपा के चंद्रसेन जादौन के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. इस हार की वजह थी, परिवार में पड़ी फूट. अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव ने सपा से बगावत कर इसी सीट से चुनाव लड़ा था. ऐसे में सपा के वोटों में हुए बंटवारे की वजह अक्षय की हार का कारण बनी थी.सपा ने एक बार फिर अक्षय को चुनाव मैदान में उतारा है.
पहली बार चुनाव मैदान में हैं आदित्य यादव
शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य यादव को बदायूं सीट से सपा के उम्मीदवार हैं. इस सीट पर सपा ने जबरदस्त सस्पेंस बनाए रखा.सपा ने बदायूं सीट से पहले धर्मेंद्र यादव के नाम की घोषणा की थी. लेकिन बाद में शिवपाल यादव के नाम की घोषणा कर दी गई.उनके बाद आदित्य यादव को उम्मीदवार बनाया गया. आदित्य यादव पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं.
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