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This Article is From May 23, 2019

Lok Sabha Election 2019 : क्या अमेठी में राहुल गांधी की हार रायबरेली में हुई इंदिरा गांधी की हार की तरह है?

Lok Sabha Election 2019 : लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के अमेठी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के हार गए हैं. चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को 362248 और बीजेपी प्रत्याशी 410326 वोट मिले हैं. यानी दोनों के बीच 48 हजार के वोटों का अंतर है.  हालांकि नतीजे घोषित होने से पहले ही राहुल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हार स्वीकर कर ली थी.

Lok Sabha Election 2019 : क्या अमेठी में राहुल गांधी की हार रायबरेली में हुई इंदिरा गांधी की हार की तरह है?
Lok Sabha Election Results 2019 : राहुल गांधी ने अमेठी में हार स्वीकार कर ली है
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के अमेठी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के हार गए हैं. चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को 362248 और बीजेपी प्रत्याशी 410326 वोट मिले हैं. यानी दोनों के बीच 48 हजार के वोटों का अंतर है.  हालांकि नतीजे घोषित होने से पहले ही राहुल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हार स्वीकर कर ली थी. लेकिन अमेठी में राहुल गांधी की हार कोई साधारण घटना नहीं है. कांग्रेस के इतिहास में यह दूसरी घटना है जब गांधी परिवार से संबंध रखने वाला इतना बड़ा नेता अमेठी जैसी परंपरागत सीट पर हार गया है. अमेठी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को उनके ही परिवार को मेनका गांधी भी नहीं हरा पाई थीं. दूसरी ओर एक तरह से देखें तो अमेठी की बगल वाली सीट पर जब इंदिरा गांधी चुनाव हारी थीं तो उनके खिलाफ इमरजेंसी को लेकर सत्ता विरोधी लहर थी और इंदिरा सत्ता में रहते हुए काफी कमजोर हो गई थीं. लेकिन इस बार राहुल गांधी किसी सत्ता विरोधी लहर का सामना नहीं कर रहे थे और उनके प्रचार में प्रियंका गांधी भी कूद गई थीं. लेकिन अमेठी में बीजेपी की जीत के पीछे अगर कोई यह मोदी लहर थी तो थोड़ा गलत होगा क्योंकि साल 2014 के चुनाव में हारने के बाद भी स्मृति ईरानी अमेठी में राहुल गांधी से ज्यादा सक्रिय दिखीं. स्मृति ईरानी केंद्र में मंत्री होते हुए भी अमेठी का दौरा करती रहीं. स्मृति ईरानी की खास बात यह भी थी कि इन सालों में उन्होंने अमेठी के इलाकों गली मोहल्ले और कार्यकर्ताओं तक के नाम याद कर लिए थे. इसके साथी ईरानी आम जनता से जुड़ती चली गई.

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राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी की छवि एक पोलिटिकल टूरिस्ट की बन गई थी जो चुनाव में आते थे लेकिन सामान्य दिनों में वह दो दिन के लिए आते और कार के अंदर से हाथ हिलाकर चले जाते थे. अमेठी में हार का एक बड़ा कारण राहुल गांधी का वायनाड से चुनाव लड़ना भी रहा है. हालांकि राहुल गांधी ने यहां पर जीत के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. बीजेपी ने अमेठी में यह प्रचार जमकर किया कि हार की डर से राहुल गांधी वायनाड चले गए. एक ओर यहां भी ध्यान देने वाली है कि अमेठी और रायबरेली में सपा-बसपा गठबंधन ने प्रत्याशी नहीं उतारा था. अगर ऐसा होता तो यहां कांग्रेस के लिए और मुश्किल हो जाती. फिलहाल कांग्रेस को पूरे देश में अभी जो सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं उसके मुताबिक उसे 11 सीटें मिल सकती हैं. इस हिसाब से उसे पिछली बार की तरह फिर मुख्य विपक्ष दल का दर्जा मिलना मुश्किल होगा क्योंकि इसके लिए 55 सीटें चाहिए होंगी. वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार पर बृहस्पतिवार को कहा कि वह जनता के फैसले का सम्मान करती हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं भाजपा को बधाई देती हैं. 

अमेठी की जनता का फैसला स्वीकार - राहुल गांधी​

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