विज्ञापन
This Article is From Feb 11, 2023

जम्‍मू कश्‍मीर में 26 साल पहले भी हुई थी लिथियम की खोज, अभी जश्न मनाना हो सकता है जल्दबाजी

खनन मंत्रालय के एक बयान में मंगलवार को कहा गया, "जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने पहली बार जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में 59 लाख टन लिथियम संसाधन (जी3) की पुष्टि  की है."

जम्‍मू कश्‍मीर में 26 साल पहले भी हुई थी लिथियम की खोज, अभी जश्न मनाना हो सकता है जल्दबाजी
सलाल के लोगों को उम्‍मीद है कि यह खोज उनके गांव की तकदीर बदल देगी.
श्रीनगर:

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India) द्वारा इस सप्ताह जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में लिथियम के विशाल भंडार पाए जाने की घोषणा की गई है. हालांकि यह घोषणा करीब दो दशक पहले भी हो सकती थी, यह बेहद घातक निष्क्रियता और भूल को दर्शाती है. करीब 26 साल पहले जीएसआई ने केंद्र शासित प्रदेश के इसी सलाल क्षेत्र में लिथियम की उपस्थिति के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, लेकिन ऐसा लगता है कि इसे लेकर अब तक कोई सार्थक कार्रवाई नहीं हुई.  

खनन मंत्रालय के एक बयान में मंगलवार को कहा गया, "जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने पहली बार जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में 59 लाख टन लिथियम संसाधन (जी3) की पुष्टि  की है."

1995-97 के पिछले निष्कर्षों की तरह ही जीएसआई की नई खोज भी प्रारंभिक है. अधिकारी मानते हैं कि यह खोज और निष्कर्ष संगठन के पिछले काम पर आधारित हैं. जीएसआई की 1997 की रिपोर्ट में कहा गया, "निरंतर लिथियम की वैल्‍यू और कई स्थानों पर व्यापक बॉक्साइट कॉलम (पैलियोप्लानर सतह) की उपस्थिति को देखते हुए लिथियम की संभावना आशाजनक प्रतीत होती है."

सूत्रों के अनुसार, इस खोज को आगे बढाने के लिए कोई कोशिश नहीं की गई. 

विशेषज्ञ आगाह करते हैं कि अभी जश्न मनाना जल्दबाजी होगी. खनिज संसाधनों के लिए संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क क्‍लासिफिकेशन के अनुसार, खोज के चार चरण हैं. जीएसआई के निष्कर्ष वर्तमान में दूसरे स्तर पर हैं, दो और स्तर बाकी हैं. 

संभावना है कि यह खोज भारत को दुनिया की प्रमुख लिथियम खानों में से एक के रूप में मानचित्र पर ला सकती है, क्योंकि दुनिया में करीब 50 प्रतिशत लिथियम तीन दक्षिण अमेरिकी देशों अर्जेंटीना, बोलीविया और चिली में पाया जाता है. 

यह खोज हल्की धातुओं के आयात पर भारत की निर्भरता को समाप्त कर सकती है और चिकित्सा बुनियादी ढांचे जैसे अन्य प्रमुख क्षेत्रों को बढ़ावा देने के अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों पर स्विच करने की देश की महत्वाकांक्षी योजना में सहायता कर सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि बैटरी, मोबाइल फोन, लैपटॉप और डिजिटल कैमरों के अलावा, लिथियम का उपयोग बाइपोलर डिस्‍ऑर्डर के इलाज के लिए भी किया जाता है. 

सलाल में स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि इस खोज से गांव का भाग्य बदल सकता है. कई ग्रामीणों को चट्टानों को ले जाते हुए और उन्हें एक बड़ी संपत्ति के रूप में प्रदर्शित करते देखा जाता है, जो क्षेत्र में बेरोजगारी को समाप्त कर सकता है. 

एक ग्रामीण ने कहा, "ये साधारण पत्थर नहीं हैं. ये गांव की तकदीर बदल देंगे. ये पत्थर रियासी की तकदीर बदल देंगे."

ये भी पढ़ें :

* देश में पहली बार जम्मू-कश्मीर में लिथियम मिला, आनंद महिंद्रा ने कहा- भारत का भविष्य उज्जवल है!
* भारत में पहली बार : जम्मू एवं कश्मीर में मिला लाखों टन लिथियम का भंडार
* यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए पुतिन को क्या पीएम मोदी मना सकते हैं? अमेरिका ने दिया खास संदेश

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com