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This Article is From Jun 25, 2017

दोषियों की सजा कम करने से कानून पर जनता का भरोसा कमजोर होगा: हाईकोर्ट

कोर्ट ने कहा कि दोषियों को अपर्याप्त जेल की सजा देकर उनके प्रति अनावश्यक सहानुभूति दिखाने से लोगों का कानून की क्षमता पर भरोसा कमजोर होगा.

दोषियों की सजा कम करने से कानून पर जनता का भरोसा कमजोर होगा: हाईकोर्ट
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायायल ने अपने पूर्व नियोक्ता की बहू से बलात्कार एवं उसकी हत्या का प्रयास करने के दोषी व्यक्ति को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई 10 साल जेल की सजा को बरकरार रखा. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि दोषियों को अपर्याप्त जेल की सजा देकर उनके प्रति अनावश्यक सहानुभूति दिखाने से लोगों का कानून की क्षमता पर भरोसा कमजोर होगा.

जस्टिस एस पी गर्ग ने सजा कम करने से संबद्ध 45 वर्षीय व्यक्ति की याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि अपर्याप्त जेल की सजा देना समाज के लिए एक गंभीर खतरा है, जो इसे सहन करने में सक्षम नहीं होगा. उन्होंने कहा, हर अदालत का यह कर्तव्य है कि वह अपराध की प्रकृति और उसे अंजाम देने के तरीके के अनुरूप दोषी को उचित सजा सुनाए. निचली अदालत ने एक व्यक्ति को पीड़ित से बलात्कार के लिए 10 साल की जेल और उसकी हत्या करने की कोशिश के लिए सात साल की सजा सुनाई थी. पीड़ित आरोपी को नौकरी पाने में सहायता कर रही थी और उसके बच्चों को पढ़ाती भी थी. 


(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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