निर्मला सीतारमण (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
संसद सत्र से पहले वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को विभिन्न दलों के विरोध के कारण अटके भूमि अधिग्रहण विधेयक को जल्दी पारित कराने पर जोर देते हुए कहा कि प्रस्तावित विधेयक से किसानों को 2013 के पूर्व अधिनियम के मुकाबले अधिक लाभ होगा।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासित राज्यों समेत विभिन्न राज्य सरकारें भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 में बदलाव पर जोर दे रही हैं और उन्हें ‘प्रतिस्पर्धी संघवाद’ में इस कानून के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
उन्होंने यहां एक समारोह में कहा कि हम आगे बढ़ना चाहते हैं, क्योंकि हमारा मानना है कि हम किसी को उसके अधिकार से वंचित नहीं कर रहे। बजाय इसके इस विधेयक से किसानों को 2013 के अधिनियम में सुनिश्चित लाभ से अधिक फायदा होगा।
विभिन्न राजनीतिक दलों के विरोध के कारण भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनःस्थापना में उचित मुआवजा एवं पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 में संशोधन का विधेयक अटका हुआ है। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस इसके खिलाफ आक्रामक रूप से अभियान चला रही है।
विधेयक की जांच फिलहाल संसद की 30 सदस्यीय संयुक्त समिति कर रही है। समित इस महीने रपट सौंपेगी, जिसे 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के सत्र में पेश किया जाएगा। सीतारमण ने यहां एक समारोह में कहा ‘‘कांग्रेस के अपने मुख्यमंत्री हमें कह रहे हैं कि निश्चित तौर पर कुछ चीजों पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।
यदि कुछ ऐसे राज्य हैं जो कहते हैं कि संशोधन की जरूरत है तो हमें ऐसे अधिनियम की जरूरत है, जो हमें जमीन प्राप्त करने में मदद मिलेगी क्योंकि बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू होने का इंतजार कर रही हैं और बिना बुनियादी ढांचे के आप किसी भी चीज में सुधार कैसे करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि यदि राज्यों को लगता है कि उनके लिए विधेयक जरूरी है तो उन्हें ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए क्योंकि यह ‘प्रतिस्पर्धी संघवाद’ का दौर है। मंत्री ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित कर रही है राज्यों के विचार सुने जाएं।
यह पूछने पर कि क्या सरकार अध्यादेश फिर से जारी करेगी, सीतारमण ने कहा ‘‘मुझे नहीं पता इस बार क्या होगा। इस संबंध में सरकार आने वाले समय में विचार करेगी।’’ सरकार ने राज्य सभा में विधेयक में संशोधन पारित न होने पर भूमि अधिग्रहण अध्यादेश तीन बार जारी किया।
उन्होंने कहा कि अध्यादेश बिना विचार किए जारी नहीं होता और ऐसे महत्वपूर्ण विधेयक से कई सुधार जुड़े होते हैं। मैं कहना चाहती हूं कि ऐसा किसानों को उनके कानूनी अधिकार से वंचित करने के लिए नहीं किया जाता।’’ सीतारमण ने कहा ‘‘सरकार सुधार के लिए प्रतिबद्ध है जो विभिन्न विधेयकों में स्पष्ट है जो हमने लाए हैं और यह :भूमि अधिग्रहण: उनमें से एक है।’’
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हाल ही में कहा है कि कुछ राज्य अपने कानून लाने के इच्छुक हैं ताकि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया आसान हो, क्योंकि वे केंद्रीय विधेयक पर सहमति के लिए अनिश्चित काल के लिए इंतजार नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासित राज्यों समेत विभिन्न राज्य सरकारें भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 में बदलाव पर जोर दे रही हैं और उन्हें ‘प्रतिस्पर्धी संघवाद’ में इस कानून के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
उन्होंने यहां एक समारोह में कहा कि हम आगे बढ़ना चाहते हैं, क्योंकि हमारा मानना है कि हम किसी को उसके अधिकार से वंचित नहीं कर रहे। बजाय इसके इस विधेयक से किसानों को 2013 के अधिनियम में सुनिश्चित लाभ से अधिक फायदा होगा।
विभिन्न राजनीतिक दलों के विरोध के कारण भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनःस्थापना में उचित मुआवजा एवं पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 में संशोधन का विधेयक अटका हुआ है। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस इसके खिलाफ आक्रामक रूप से अभियान चला रही है।
विधेयक की जांच फिलहाल संसद की 30 सदस्यीय संयुक्त समिति कर रही है। समित इस महीने रपट सौंपेगी, जिसे 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के सत्र में पेश किया जाएगा। सीतारमण ने यहां एक समारोह में कहा ‘‘कांग्रेस के अपने मुख्यमंत्री हमें कह रहे हैं कि निश्चित तौर पर कुछ चीजों पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।
यदि कुछ ऐसे राज्य हैं जो कहते हैं कि संशोधन की जरूरत है तो हमें ऐसे अधिनियम की जरूरत है, जो हमें जमीन प्राप्त करने में मदद मिलेगी क्योंकि बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू होने का इंतजार कर रही हैं और बिना बुनियादी ढांचे के आप किसी भी चीज में सुधार कैसे करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि यदि राज्यों को लगता है कि उनके लिए विधेयक जरूरी है तो उन्हें ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए क्योंकि यह ‘प्रतिस्पर्धी संघवाद’ का दौर है। मंत्री ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित कर रही है राज्यों के विचार सुने जाएं।
यह पूछने पर कि क्या सरकार अध्यादेश फिर से जारी करेगी, सीतारमण ने कहा ‘‘मुझे नहीं पता इस बार क्या होगा। इस संबंध में सरकार आने वाले समय में विचार करेगी।’’ सरकार ने राज्य सभा में विधेयक में संशोधन पारित न होने पर भूमि अधिग्रहण अध्यादेश तीन बार जारी किया।
उन्होंने कहा कि अध्यादेश बिना विचार किए जारी नहीं होता और ऐसे महत्वपूर्ण विधेयक से कई सुधार जुड़े होते हैं। मैं कहना चाहती हूं कि ऐसा किसानों को उनके कानूनी अधिकार से वंचित करने के लिए नहीं किया जाता।’’ सीतारमण ने कहा ‘‘सरकार सुधार के लिए प्रतिबद्ध है जो विभिन्न विधेयकों में स्पष्ट है जो हमने लाए हैं और यह :भूमि अधिग्रहण: उनमें से एक है।’’
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हाल ही में कहा है कि कुछ राज्य अपने कानून लाने के इच्छुक हैं ताकि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया आसान हो, क्योंकि वे केंद्रीय विधेयक पर सहमति के लिए अनिश्चित काल के लिए इंतजार नहीं कर सकते।
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