नई दिल्ली:
इतालवी जहाज ‘एनरिका लेक्सी’ को छोड़े जाने की मांग करने वाली एक याचिका की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को इटली की सरकार से जवाब तलब किया।
गौरतलब है कि ‘एनरिका लेक्सी’ के दो रक्षकों ने दो भारतीयु मछुआरों- जेलस्टाइन और बिंकी की बीते फरवरी महीने में कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी थी।
न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा और न्यायमूर्ति एच एल गोखले की पीठ ने जहाज के मालिक ‘डॉल्फिन टैंकर्स’ की याचिका पर मंगलवार की सुबह साढ़े 10 बजे तक के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। उच्चतम न्यायालय ने इटली से कल सुबह साढ़े 10 बजे तक अपना जवाब दायर करने को कहा है।
इससे पहले, दो घंटे लंबी चली बहस के दौरान उच्चतम न्यायालय ने केरल सरकार पर इसके लिए सवाल उठाया कि उसने उस समझौते का विरोध क्यों नहीं किया जो मारे गए मछुआरों और इतालवी जहाज के मालिकों के बीच हुआ। कहा जा रहा है कि जहाज के मालिक ने पीड़ितों के परिवार को एक-एक करोड़ रुपए दिए।
समझौते का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘यह भारतीय न्याय प्रणाली के लिए एक चुनौती है, इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।’’
शीर्ष न्यायालय ने इस ओर भी संकेत किया कि वह जहाज के चालक दल के सदस्यों और दो रक्षकों को उस वक्त तक रोके रखने के पक्ष में नहीं है जब तक उनकी मौजूदगी जांच अधिकारियों के लिए जरूरी न हो। पीठ ने यह साफ कर दिया कि देश में मौजूद न सिर्फ भारत के बल्कि विदेशी नागरिक भी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन एवं स्वतंत्रता के अधिकार के हकदार हैं।
इससे पहले, 23 अप्रैल को न्यायालय ने इटली सरकार की उस याचिका पर केंद्र और केरल सरकार से जवाब तलब किया था जिसमें हत्या के आरोपी दोनों रक्षकों के खिलाफ दर्ज मुकदमे को खारिज करने की मांग की गई थी। उच्चतम न्यायालय भारतीय अधिकारियों की ओर से एनरिका लेक्सी को जब्त करके रखने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की भी सुनवाई कर रहा है। विशेष अनुमति याचिका एनरिका के मालिकों ‘डॉल्फिन टैंकर्स’ की ओर से दायर की गयी थी। याचिका में जहाज को छोड़े जाने के फैसले पर रोक लगाने के केरल उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गयी है।
गौरतलब है कि ‘एनरिका लेक्सी’ के दो रक्षकों ने दो भारतीयु मछुआरों- जेलस्टाइन और बिंकी की बीते फरवरी महीने में कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी थी।
न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा और न्यायमूर्ति एच एल गोखले की पीठ ने जहाज के मालिक ‘डॉल्फिन टैंकर्स’ की याचिका पर मंगलवार की सुबह साढ़े 10 बजे तक के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। उच्चतम न्यायालय ने इटली से कल सुबह साढ़े 10 बजे तक अपना जवाब दायर करने को कहा है।
इससे पहले, दो घंटे लंबी चली बहस के दौरान उच्चतम न्यायालय ने केरल सरकार पर इसके लिए सवाल उठाया कि उसने उस समझौते का विरोध क्यों नहीं किया जो मारे गए मछुआरों और इतालवी जहाज के मालिकों के बीच हुआ। कहा जा रहा है कि जहाज के मालिक ने पीड़ितों के परिवार को एक-एक करोड़ रुपए दिए।
समझौते का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘यह भारतीय न्याय प्रणाली के लिए एक चुनौती है, इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।’’
शीर्ष न्यायालय ने इस ओर भी संकेत किया कि वह जहाज के चालक दल के सदस्यों और दो रक्षकों को उस वक्त तक रोके रखने के पक्ष में नहीं है जब तक उनकी मौजूदगी जांच अधिकारियों के लिए जरूरी न हो। पीठ ने यह साफ कर दिया कि देश में मौजूद न सिर्फ भारत के बल्कि विदेशी नागरिक भी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन एवं स्वतंत्रता के अधिकार के हकदार हैं।
इससे पहले, 23 अप्रैल को न्यायालय ने इटली सरकार की उस याचिका पर केंद्र और केरल सरकार से जवाब तलब किया था जिसमें हत्या के आरोपी दोनों रक्षकों के खिलाफ दर्ज मुकदमे को खारिज करने की मांग की गई थी। उच्चतम न्यायालय भारतीय अधिकारियों की ओर से एनरिका लेक्सी को जब्त करके रखने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की भी सुनवाई कर रहा है। विशेष अनुमति याचिका एनरिका के मालिकों ‘डॉल्फिन टैंकर्स’ की ओर से दायर की गयी थी। याचिका में जहाज को छोड़े जाने के फैसले पर रोक लगाने के केरल उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गयी है।
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