दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल....
नई दिल्ली:
दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार से 97 करोड़ रुपये वसूले जाएंगे. दिल्ली के एलजी अनिल बैजल ने ये आदेश दिया है, क्योंकि अरविंद केजरीवाल के चेहरे वाले विज्ञापन सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के खिलाफ हैं. एलजी ने मुख्य सचिव को यह पैसा 30 दिन के अंदर वसूलने का आदेश दिया है. यह आदेश सूचना और प्रसारण मंत्रालय की जांच के बाद दिया गया. इससे पहले CAG ने भी पिछले साल ये बात उठाई थी कि सरकार का विज्ञापन के लिए 526 करोड़ का बजट पार्टी के विज्ञापन पर ज़्यादा खर्च हो रहा है ना कि सरकार के कामकाज पर.
अनिल बैजल ने 97 करोड़ वसूलने के आदेश दिए
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली के मुख्य सचिव से कहा है कि 'दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने विज्ञापन में जिस तरह से केजरीवाल को प्रोजेक्ट किया गया वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है, इसलिए इन विज्ञापनों में जो सरकारी पैसा खर्च हुआ उसकी भरपाई आम आदमी पार्टी से 97 करोड़ रुपये वसूल करके की जाए.'
तीन सदस्यीय समिति ने दी है रिपोर्ट
दरअसल दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार का विज्ञापन बजट और विज्ञापन में दिए जा रहे संदेश केजरीवाल के सत्ता में आने यानी बीते दो साल से चर्चा में हैं. जिनको लेकर कोर्ट में भी मामला गया. बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार की बनाई गई तीन सदस्यीय समिति को केजरीवाल सरकार के विज्ञापन का सारा मामला भेजा गया. इस समिति में वरिष्ठ पत्रकार और संपादक रजत शर्मा भी शामिल हैं. समिति ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने जिस तरह और जिस तरह के संदेश विज्ञापन में दिए वह सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है इसलिए सरकारी खजाने से खर्च हुए पैसे आम आदमी पार्टी से वसूले जाएं.
30 दिन में रकम वसूलने के आदेश
इसके बाद मुख्य सचिव ने दिल्ली सरकार के प्रचार विभाग डायरेक्टरेट ऑफ इनफार्मेशन एंड पब्लिसिटी से पूछा कि समिति ने जिस, जिस श्रेणी में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश का उल्लंघन पाया है उसमें कितना खर्चा हुआ. डीआईपी ने 97 करोड़ रुपये की रकम बताई. इस पर लॉ डिपार्टमेंट ने सिफारिश दी कि यह रकम पार्टी से वसूलने के लिए नोटिस दिया जाए और 30 दिन में रकम वसूली जाए. इस सिफारिश पर एलजी ने कार्रवाई के आदेश दे दिए.
दिल्ली में एमसीडी चुनावों की तैयारियां
दिल्ली में एमसीडी चुनाव चल रहे हैं. ऐसे में विपक्ष को केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी पर हमले का मौका मिल गया. दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि 'यह खेद का विषय है कि जो व्यक्ति सुचिता की राजनीति का वादा करके सत्ता में आया था आज वह सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का दोषी पाया गया है. अरविंद केजरीवाल की जगह कोई और होता तो वह इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेकर अपने पद से इस्तीफा देता.' केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी के पास अभी इस आदेश से संबंधित कोई औपचारिक संदेश नहीं पहुंचा है इसलिए उसकी प्रतिक्रिया अभी नहीं मिल पाई है.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली का 97 करोड़ रुपया जिसके कारण सफाई कर्मचारी परेशान हैं और ये पैसा अपनी पार्टी के प्रचार पर खर्च कर रहे हैं. इस जानकारी से दिल्ली ठगा महसूस करेगी. दिल्ली की जनता का गुस्सा आगामी चुनाव में नजर आएगा.
बीजेपी के नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को जनता की सेवा के लिए चुना गया था. जनता के पैसे को अपने प्रचार में खर्च करना गलत है.जनता के पैसे को सरकारी खजाने में जमा करवाना होगा. केजरीवाल सरकार पर उपराज्यपाल का फैसला सही है.
कांग्रेस के नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि ये न्यायपूर्ण बात है. ये बेतहाशा पैसा खर्च कर रहे हैं. आप के दफ्तर में छापा पड़े तो बहुत पैसा निकलेगा.
इस मामले में कुछ पेंच भी नजर आ रहे हैं-
1. सरकार और पार्टी दो अलग-अलग कानूनी एंटिटी होती हैं. ऐसे में जब पार्टी को पैसे देने का नोटिस आएगा तो पार्टी कह सकती है कि जब हमने प्रचार के लिए कहा नहीं तो हम पैसा क्यों दें? जाहिर है मामला अदालत में जाएगा.
2. आम आदमी पार्टी के पास 97 करोड़ जैसी रकम चुकाने के लिए एकाउंट में पैसा नहीं है. सूत्रों के मुताबिक पंजाब चुनाव में खर्च के बाद पार्टी के पास इस समय कुछ लाख रुपये ही हैं, तो ऐसे में कैसे वह यह भारी रकम चुकाएगी?
अनिल बैजल ने 97 करोड़ वसूलने के आदेश दिए
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली के मुख्य सचिव से कहा है कि 'दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने विज्ञापन में जिस तरह से केजरीवाल को प्रोजेक्ट किया गया वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है, इसलिए इन विज्ञापनों में जो सरकारी पैसा खर्च हुआ उसकी भरपाई आम आदमी पार्टी से 97 करोड़ रुपये वसूल करके की जाए.'
तीन सदस्यीय समिति ने दी है रिपोर्ट
दरअसल दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार का विज्ञापन बजट और विज्ञापन में दिए जा रहे संदेश केजरीवाल के सत्ता में आने यानी बीते दो साल से चर्चा में हैं. जिनको लेकर कोर्ट में भी मामला गया. बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार की बनाई गई तीन सदस्यीय समिति को केजरीवाल सरकार के विज्ञापन का सारा मामला भेजा गया. इस समिति में वरिष्ठ पत्रकार और संपादक रजत शर्मा भी शामिल हैं. समिति ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने जिस तरह और जिस तरह के संदेश विज्ञापन में दिए वह सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है इसलिए सरकारी खजाने से खर्च हुए पैसे आम आदमी पार्टी से वसूले जाएं.
30 दिन में रकम वसूलने के आदेश
इसके बाद मुख्य सचिव ने दिल्ली सरकार के प्रचार विभाग डायरेक्टरेट ऑफ इनफार्मेशन एंड पब्लिसिटी से पूछा कि समिति ने जिस, जिस श्रेणी में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश का उल्लंघन पाया है उसमें कितना खर्चा हुआ. डीआईपी ने 97 करोड़ रुपये की रकम बताई. इस पर लॉ डिपार्टमेंट ने सिफारिश दी कि यह रकम पार्टी से वसूलने के लिए नोटिस दिया जाए और 30 दिन में रकम वसूली जाए. इस सिफारिश पर एलजी ने कार्रवाई के आदेश दे दिए.
दिल्ली में एमसीडी चुनावों की तैयारियां
दिल्ली में एमसीडी चुनाव चल रहे हैं. ऐसे में विपक्ष को केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी पर हमले का मौका मिल गया. दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि 'यह खेद का विषय है कि जो व्यक्ति सुचिता की राजनीति का वादा करके सत्ता में आया था आज वह सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का दोषी पाया गया है. अरविंद केजरीवाल की जगह कोई और होता तो वह इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेकर अपने पद से इस्तीफा देता.' केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी के पास अभी इस आदेश से संबंधित कोई औपचारिक संदेश नहीं पहुंचा है इसलिए उसकी प्रतिक्रिया अभी नहीं मिल पाई है.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली का 97 करोड़ रुपया जिसके कारण सफाई कर्मचारी परेशान हैं और ये पैसा अपनी पार्टी के प्रचार पर खर्च कर रहे हैं. इस जानकारी से दिल्ली ठगा महसूस करेगी. दिल्ली की जनता का गुस्सा आगामी चुनाव में नजर आएगा.
बीजेपी के नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को जनता की सेवा के लिए चुना गया था. जनता के पैसे को अपने प्रचार में खर्च करना गलत है.जनता के पैसे को सरकारी खजाने में जमा करवाना होगा. केजरीवाल सरकार पर उपराज्यपाल का फैसला सही है.
कांग्रेस के नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि ये न्यायपूर्ण बात है. ये बेतहाशा पैसा खर्च कर रहे हैं. आप के दफ्तर में छापा पड़े तो बहुत पैसा निकलेगा.
इस मामले में कुछ पेंच भी नजर आ रहे हैं-
1. सरकार और पार्टी दो अलग-अलग कानूनी एंटिटी होती हैं. ऐसे में जब पार्टी को पैसे देने का नोटिस आएगा तो पार्टी कह सकती है कि जब हमने प्रचार के लिए कहा नहीं तो हम पैसा क्यों दें? जाहिर है मामला अदालत में जाएगा.
2. आम आदमी पार्टी के पास 97 करोड़ जैसी रकम चुकाने के लिए एकाउंट में पैसा नहीं है. सूत्रों के मुताबिक पंजाब चुनाव में खर्च के बाद पार्टी के पास इस समय कुछ लाख रुपये ही हैं, तो ऐसे में कैसे वह यह भारी रकम चुकाएगी?
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