मैसूर के ननजुंगोडु के हल्लारे गांव के समीप एक मादा तेंदुआ और उसके दो शावक मरे हुए मिले. कर्नाटक के वन विभाग के डॉक्टर नागराज ने बताया कि 'मृत तेंदुओं के शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं मिले. इसके अलावा जहां उनके शव मिले उस स्थान पर संघर्ष के भी कोई निशान नहीं मिले.' डॉ नागराज ने सबसे पहले तेंदुओं के शवों को देखा और उनका पोस्ट मार्टम कराया. चार साल की मादा तेंदुआ और उसके चार माह के नर और मादा शावकों की मौत कैसे हुई, यह एक रहस्य बना हुआ है. क्या यह मानव और वन्य जीव के बीच संघर्ष का परिणाम है? क्या इन वन्य प्राणियों की मौत जहर के कारण हुई? आशंकाएं कई हैं.
मौत के कारणों का खुलासा विस्तृत पोस्ट मार्टम रिपोर्ट से ही हो सकेगा जो कि इस सप्ताहांत में आएगी.
मैसूर क्षेत्र के इस ग्रामीण इलाके में वन्य जीवों का विचरण आम बात है. यहां हाथी, जंगली भैंसा और हिरण तो अक्सर देखे जाते हैं लेकिन तेंदुए बहुत कम दिखाई देते हैं. जहरीले सांप भी इस इलाके में बहुतायत से पाए जाते हैं.
तेंदुओं के शव सोमवार को दोपहर के बाद देखे गए हालांकि तेंदुओं की मौत एक दिन पहले, यानी रविवार को हुई थी. फिलहाल वन विभाग के अधिकारियों ने तेंदुओं की असामान्य मौत का मामला दर्ज किया है.
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गौरतलब है कि हाल ही में मध्यप्रदेश के इंदौर में स्पेशल टास्क फोर्स ने दुर्लभ तेंदुए किंग लेपर्ड की खाल के साथ जानवरों की खाल की तस्करी करने वाले गिरोह को गिरफ्तार किया था. मध्य प्रदेश एसटीएफ एडीजी अशोक अवस्थी ने बताया कि इंदौर यूनिट को मुखबिर के जरिए पता लगा था कि चंदन नगर इलाके में लेपर्ड की खाल बेचने के लिए कुछ लोग घूम रहे हैं जिसके बाद एसटीएफ की टीम ने मौके पर पहुंचकर तस्करी करने वाले मुख्य आरोपी गफ्फार और उसके साथी को किंग लेपर्ड की खाल के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार किया.
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