केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद को लेकर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात की. इस मुलाकात के बाद अमित शाह ने कहा कि, ''सीमा के मुद्दे पर दोनों मुख्यमंत्रियों से बात की, बातचीत अच्छे माहौल में हुई. इस बात पर सहमति बनी कि जब तक सुप्रीम कोर्ट फैसला नहीं करता, कोई राज्य सरकार दावा नहीं करेगी.''
गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को दो राज्यों के बीच सीमा विवाद पर चर्चा के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ बैठक की. अमित शाह ने कहा कि, ''विवाद का समाधान बातचीत से होना चाहिए. दोनों राज्यों के तीन-तीन मंत्रियों की कमेटी बनेगी.'' उन्होंने कहा कि, ''दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच अच्छी सहमति बनी है. इसको राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहिए. सबको सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए.''
अमित शाह ने कहा कि, ''एक सीनियर आईपीएस अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी जो सीमावर्ती इलाके में शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने पर नजर रखेगा. अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी बनाने पर दोनों राज्य सहमत हुए हैं. अन्य भाषाई लोगों के समुदाय के लोगों का सम्मान होना चाहिए. उन्हें किसी भी तरह की कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए.''
उन्होंने कहा कि, ''बैठक में यह तय हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट का जब तक फैसला नहीं आता, दोनों ही राज्य सरकारें शांति बनाए रखेंगी. जो लोग शांति को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं उनके खिलाफ एफआईआर और कानूनी कार्रवाई होगी.''
उन्होंने कहा कि, ''लोकतंत्र में विवाद का समाधान सड़क पर नहीं हो सकता, संविधान सम्मत मार्ग से हो सकता है.'' उन्होंने कहा कि, ''दोनों राज्यों के तीन-तीन मंत्रियों की कमेटी विवाद और उसके समाधान को लेकर चर्चा करेगी. वे दोनों राज्यों के बीच छोटे-छोटे अन्य मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे और समाधान करेंगे.''
शाह ने कहा कि, ''इस विवाद को बढ़ाने में फेक ट्वीट ने भी भूमिका निभाई. कुछ फेक ट्वीट सर्वोच्च नेताओं के नाम से जनरेट किए गए और फैलाए गए. यह मामला गंभीर इसलिए भी है क्योंकि इस तरह के ट्वीट से दोनों ओर की जनता की भावनाएं उद्वेलित होती हैं और घटनाएं होती हैं. तो तय हुआ है कि इस तरह के फेक ट्वीटर एकाउंट के मामलों में एफआईआर रजिस्टर की जाएगी. जिन्होंने ट्वीट किए उनको जनता के सामने एक्सपोज किया जाएगा.''
उन्होंने कहा कि, ''दोनों राज्यों के विपक्ष के नेताओं से अपील करना चाहता हूं कि राजनीतिक विरोध जो भी हो, लेकिन दोनों राज्यों की जनता के हित में, बार्डर पर बसे अन्य भाषाई लोगों के हित में अब इसको कम से कम राजनीतिक मुद्दा न बनाएं. जो कमेटी बनाई गई है, उसकी चर्चा के आउटकम और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जाएगा.''
कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा को लेकर विवाद 1957 में भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद से जारी है. महाराष्ट्र बेलगावी पर दावा करता है, जो कि तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था. इस इलाके में मराठी भाषी आबादी का एक बड़ा हिस्सा है. महराष्ट्र ने 814 मराठी भाषी गांवों पर भी दावा किया है जो कि वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं.
कर्नाटक राज्य पुनर्गठन अधिनियम और 1967 और महाजन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भाषाई आधार पर सीमांकन को दिए गए अंतिम रूप का पालन करता है. उसका दावा है कि बेलगावी राज्य का एक अभिन्न अंग है.
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