कर्नाटक (Karnataka) के उप मुख्यमंत्री (Deputy Chief Minister) सीएन अश्वत्थ नारायण (CN Ashwath Narayan) ने कहा है कि राज्य में गौ संरक्षकों के जीवन पर संकट था, इसलिए सरकार ने बीफ बैन बिल लाया है. एनडीटीवी से खास बातचीत में मंत्री ने कहा, कानून आने से पहले गौरक्षकों का जीवन जोखिम में था... जो लोग (मवेशी) व्यापार में हैं, उनके जीवन पर कोई संकट नहीं थे." उन्होंने कहा, "राज्य का नया गौ-हत्या वध विधेयक 'गौ रक्षकों' की रक्षा करेगा और उन्हें आगे प्रेरित करेगा."
कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने विधानसभा में कड़े विरोध के बीच बुधवार (09 दिसंबर, 2020) को पशुवध की रोकथाम और मवेशी संरक्षण विधेयक, 2020 को पारित कर दिया. हालांकि, राज्य में 1960 से ही गोहत्या पर प्रतिबंध है. नए विधेयक में 13 साल से कम उम्र के बैल और भैंस को शामिल करने के लिए "मवेशी" की परिभाषा का विस्तार किया गया है और पशु वध के किसी भी रूप में शामिल लोगों को कठोर सजा देने का प्रावधान किया गया है.
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नए विधेयक की धारा 17 ऐसे लोगों को कानूनी कार्रवाई से संरक्षण देती है जो सामाजिक सद्भाव के तौर पर काम कर रहे हैं. हालांकि, यह अब तक स्पष्ट नहीं है कि गौरक्षकों पर यह धारा लागू होगी या नहीं? हालांकि, मंत्री ने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए ही विधेयक बनाया गया है. उन्होंने कहा, "गौरक्षकों या कोई भी जो इस उद्देश्य के लिए काम कर रहे हैं और कानून की रक्षा के लिए प्रयत्नशील हैं, उनके लिए इस विधेयक में गुंजाइश होनी चाहिए."
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एनडीटीवी द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2015 के बाद से, देश भर में मवेशियों से संबंधित मॉब लिंचिंग की 115 घटनाएं हुई हैं, जिसमें 46 लोग मारे गए हैं और 146 लोग घायल हुए हैं. इनमें से एक भी गौरक्षक हमलावर शामिल नहीं है.
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