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कर्नाटक का सियासी ड्रामा जारी, अब तक नहीं हो पाया विश्वास मत, विधानसभा सोमवार तक के लिए स्‍थगित - 10 बातें

राज्यपाल के दो-दो बार समय और तारीख़ तय कर देने के बावजूद कर्नाटक विधानसभा में अब तक विश्वास मत नहीं हो पाया है. दोनों पक्ष एक-दूसरे पर विधायकों की ख़रीद-फ़रोख़्त का आरोप लगा रहे हैं.

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कर्नाटक विधानसभा में शुक्रवार को भी विश्‍वास मत पर वोटिंग नहीं हो पाई
नई दिल्‍ली/बेंगलुरू:

राज्यपाल के दो-दो बार समय और तारीख़ तय कर देने के बावजूद कर्नाटक विधानसभा में अब तक विश्वास मत नहीं हो पाया है. दोनों पक्ष एक-दूसरे पर विधायकों की ख़रीद-फ़रोख़्त का आरोप लगा रहे हैं. अब जेडीएस कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं. मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के बड़े भाई किसी ज्योतिषी के कहने पर इन दिनों ख़ाली पांव विधानसभा आते हैं- इस उम्मीद में कि इससे उनके भाई की सरकार बच जाएगी. उधर सरकार बचाने में जुटे कुमारस्वामी ने राज्यपाल वजूभाई वाला की दी हुई दूसरी तारीख भी नाकाम कर दी. राजयपाल वजू भाई वाला ने पहले कहा था कि गुरुवार डेढ़ बजे तक विश्वास मत हो जाए, फिर शुक्रवार का समय दिया. ये भी बताया कि उनके पास विधायकों की ख़रीद-फ़रोख़्त की शिकायत पहुंच रही है. उधर जेडीएस ने सदन में बीजेपी पर 2 गंभीर आरोप लगाए. जेडीएस विधायक श्रीनिवास गौड़ा ने आरोप लगाया कि बीजेपी के 2 विधायकों ने उन्हें पाला बदलने के लिए 5 करोड़ रुपये उनके घर पहुंचाए. पर्यटन मंत्री सारा महेश ने कहा कि जेडीएस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ ने उन्हें 30 करोड़ के ऑफर की बात कही. इस बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देश गुण्डु राव और मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है. गुण्डु राव की अपील व्हिप पर लगी शर्तिया रोक पर है और कुमारस्वामी ने राज्यपाल के हस्तक्षेप पर सवाल उठाए हैं. कर्नाटक के राज्यपाल वाजु भाईवाला पर बीजेपी नेता फ्लोर टेस्ट के लिए दबाव बनाते रहे और राज्यपाल नई नई समय सीमा तय करते रहे. सवाल एक बार फिर नए सिरे से उठ खड़ा हुआ है कि राज्यपाल का ऐसे मामलों में हस्तछेप का अधिकार है या नहीं. कर्नाटक सरकार की तरफ से दलील दी गई कि 1999 में वाजपेयी जी सरकार को लेकर बहस और वोटिंग 10 दिन चली जबकि कर्नाटक समेत दूसरे कई राज्यों में 4 दिनों से ज्‍यादा. ऐसे में इस बार जल्दबाजी किस बात की. फिलहाल विधानसभा सोमवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है.

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  1. विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने कांग्रेस-जद(एस) सरकार के राज्यपाल वजु भाई वाला द्वारा तय की गई दो समय सीमाओं को पूरा ना कर पाने पर सदन को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया. अब सभी निगाहें राज्यपाल वजुभाई वाला के अगले कदम पर हैं.
  2. सदन को स्थगित करने से पहले अध्यक्ष ने यह स्पष्ट कर दिया कि सोमवार को विश्वास प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा और इसे अन्य किसी भी परिस्थिति में आगे नहीं बढ़ाया जाएगा. इस पर सरकार सहमत हो गई.
  3. कुमारस्वामी और कांग्रेस ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर कहा कि राज्यपाल सदन की कार्यवाही में हस्तक्षेप कर रहे हैं जब सदन में विश्वास मत पर चर्चा हो रही है. मुख्यमंत्री ने न्यायालय से उसके 17 जुलाई के आदेश पर स्पष्टीकरण देने का अनुरोध किया है जिसमे कहा गया था कि 15 बागी विधायकों को सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता है.
  4. कुमारस्वामी ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में एक और याचिका दायर कर कहा है कि राज्यपाल वजूभाई वाला विधानसभा को निर्देशित नहीं कर सकते कि विश्वास मत प्रस्ताव किस तरह लिया जाये. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को भेजे दूसरे संदेश में कहा कि सत्तारूढ़ जनता दल (एस)-कांग्रेस गठबंधन “प्रथम दृष्टया” सदन का विश्वास खो चुका है.
  5. राज्यपाल ने कुमारस्वामी को दूसरे पत्र में कहा, ‘‘जब विधायकों की खरीद-फरोख्त के व्यापक स्तर पर आरोप लग रहे हैं और मुझे इसकी कई शिकायतें मिल रही हैं, यह संवैधानिक रूप से अनिवार्य है कि विश्वास मत बिना किसी विलंब के आज ही पूरा हो.'' उन्होंने कहा, “मैं, इसलिये कह रहा हूं कि अपना बहुमत साबित करें और विश्वास मत की प्रक्रिया को पूरा कर आज ही इसे संपन्न करें.” राज्यपाल ने विधायकों की खरीद-फरोख्त के व्यापक आरोपों का जिक्र करते हुए कहा कि यह संवैधानिक रूप से अनिवार्य है कि विश्वास मत प्रक्रिया बिना किसी विलंब के शुक्रवार को ही पूरी हो.
  6. विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान, कुमारस्वामी ने कहा, “मुझे राज्यपाल से “दूसरा प्रेम-पत्र” मिला है. उन्हें अब ‘ज्ञानोदय' (जागरुकता) हुआ है. राज्यपाल ने अब पत्र में खरीद-फरोख्त का जिक्र किया है...क्या अब तक उन्हें इसका पता नहीं था.” “आइये राजनीति करते हैं...हम भी यहां हैं...हम डरेंगे नहीं और न ही भागेंगे. राज्यपाल तब खरीद-फरोख्त क्यों नहीं देख सके जब विधायक इस्तीफा दे रहे थे.”
  7. राज्यपाल वाला द्वारा गुरुवार को विश्वास मत की समयसीमा (दोपहर डेढ़ बजे) बीत जाने के कुछ ही देर बाद उन्होंने मुख्यमंत्री से विश्वास मत पूरा करने को कहते हुए एक और समयसीमा दे दी.
  8. सदन में इस बात को लेकर भी तीखी बहस देखने को मिली कि विश्वास मत कब पूरा किया जाना चाहिए. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, “काफी चर्चा हो चुकी है. मैं इसे (विश्वास मत प्रक्रिया को) आज खत्म करना चाहता हूं.” कुमारस्वामी ने कहा, “मैंने शुरुआती प्रतिवेदन में बता दिया है, हम इसे (प्रक्रिया को) सोमवार तक पूरा कर सकते हैं.” भाजपा नेता सुरेश कुमार ने कहा कि विश्वास मत को अगर खींचा गया तो इसकी शुचिता खत्म हो जाएगी और जोर देकर कहा कि इस प्रक्रिया को शुक्रवार को ही पूरा किया जाए. वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बी एस येदियुरप्पा ने कहा कि वह आधी रात तक इंतजार करने के इच्छुक हैं.
  9. मुख्यमंत्री ने भाजपा पर दलबदल विरोधी कानून को दरकिनार करने के तरीकों का सहारा लेने का भी आरोप लगाया. राज्य की विपक्षी पार्टी पर निशाना साधते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि विधायकों को लुभाने के लिए 40-50 करोड़ रुपये की पेशकश की गई और इसके साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि यह पैसा किसका है.
  10. जदएस विधायक श्रीनिवास गौड़ ने आरोप लगाया कि सरकार को गिराने के लिए उन्हें भाजपा ने पांच करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की थी. मुख्यमंत्री ने भाजपा पर दलबदल विरोधी कानून को दरकिनार करने के तरीकों का सहारा लेने का भी आरोप लगाया. कुमारस्वामी ने भाजपा से कहा, ‘‘जिस दिन से मैं सत्ता में आया हूं, मुझे पता है कि यह लंबे समय तक नहीं रहेगा... आप कब तक सत्ता में बैठेंगे, मैं भी यहां देखूंगा कि... आपकी सरकार उन लोगों के साथ कितनी स्थिर होगी जो अभी आपकी मदद कर रहे हैं.'' उन्होंने भाजपा से यह भी पूछा कि अगर वह अपनी संख्या को लेकर इतने ही आश्वस्त है तो एक दिन में ही विश्वास मत पर बहस को खत्म करने की जल्दी में क्यों है.

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