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This Article is From May 14, 2011

कर्नाटक में गर्म हुई राजनीति, येदियुरप्पा से मांगा इस्तीफा

नई दिल्ली/बेंगलुरू: कर्नाटक के बागी 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने वाला फैसला सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निरस्त किए जाने के बाद राज्य में राजनीतिक सरगर्मी गरमाने लगी है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शनिवार को जहां अपने 11 विधायकों पर मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का समर्थन करने का दबाव बनाया वहीं विपक्षी पार्टियां कांग्रेस एवं जनता दल (सेक्युलर) ने येदियुरप्पा को अपने पद से हटने के लिए कहा। ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायलय ने 16 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने वाले फैसले को शुक्रवार को खारिज कर दिया। इनमें पांच विधायक निर्दलीय हैं। इस फैसले के लिए न्यायालय ने मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और विधानसभा अध्यक्ष केजी बोपैया की भी आलोचना की। इस बीच शनिवार को भाजपा के 11 विधायकों ने नई दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली से मुलाकात की। भाजपा जहां बागी विधायकों का विश्वास जीतने की कोशिश में लगी है वहीं राज्यपाल एचआर भारद्वाज ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि यह एक 'शिष्टाचार भेंट' थी जिसमें कर्नाटक के बारे में चर्चा नहीं हुई। भाजपा के बागी विधायकों में से एक पूर्व मत्स्य पालन मंत्री आनंद असनोतिकर ने शनिवार को नई दिल्ली में कहा कि 11 विधायकों ने पार्टी नहीं छोड़ी है और वे केवल राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे हैं। भाजपा सूत्रों ने हालांकि बेंगलुरू में कहा कि पार्टी के केंद्रीय नेताओं को इस बात का भरोसा है कि बागी विधायक मान जाएंगे और वे येदियुरप्पा के तत्काल पद छोड़ने पर जोर नहीं देंगे। उन्होंने कहा, "हमारे केंद्रीय नेतृत्व ने समस्या सुलझाने का वादा किया है।" येदियुरप्पा जिनका राजनीतिक भविष्य इन 11 विधायकों पर टिका है उन्होंने विधायकों को मनाने के लिए तीन मंत्रियों एमपी रेणुकाचार्या, गोविंद कारजोला एवं उमेश कात्ती को नई दिल्ली भेजा। बेंगलुरू में कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) ने जोर देकर कहा कि विधायकों की अयोग्यता खारिज हो जाने पर येदियुरप्पा सरकार अल्पमत में आ गई है और उन्हें तुरंत अपना पद छोड़ देना चाहिए। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष बोपैया के इस्तीफे की भी मांग की है। नई दिल्ली में कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि भाजपा 'गढ़े हुए बहुमत के साथ अल्पमत की सरकार चला रही है।' उन्होंने कहा, "कर्नाटक में भाजपा जो कुछ भी कर रही है वह पूरी तरह से गलत है। चाहे वह संविधान का उल्लंघन हो, चाहे कर्नाटक का साम्प्रदायीकरण हो अथवा वह चाहे प्राकृतिक संसाधनों के लूट का मामला हो।" येदियुरप्पा के इस्तीफे की मांग जहां जोर पकड़ रही है वहीं विधानसभा का सत्र 16 मई से बुलाने के लिए वह राज्यपाल एचआर भारद्वाज की अनुमति की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जनता दल (सेक्युलर) और कांग्रेस ने विधानसभा का सत्र बुलाए जाने का विरोध किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जी. परमेश्वर एवं विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्दारमैया ने शनिवार को कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद येदियुरप्पा और बोपैया को अपना पद छोड़ देना चाहिए। विधानसभा में (जेडी-एस) के नेता एचडी रेवन्ना आरोप लगाया कि भाजपा 'पार्टी के 11 विधायकों का समर्थन पाने के लिए खरीद-फरोख्त' में जुट गई है। इसलिए राज्यपाल को विधानसभा का सत्र नहीं बुलाना चाहिए। कर्नाटक में राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा ने 11 विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह देने, राज्य द्वारा संचालित बोर्डो अथवा सहकारी संस्थाओं का अध्यक्ष बनाने की पेशकश की है। उल्लेखनीय है कि 225 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा के पास विधानसभा अध्यक्ष सहित विधायकों की संख्या 109 है। उसे एक निर्दलीय सदस्य का समर्थन भी है। विधानसभा में कांग्रेस के 71 और (जेडी-एस) के 26 सदस्य हैं।

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कर्नाटक, येदियुरप्पा, इस्तीफे
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