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करगिल विजय दिवस: YFLO ने भारतीय वायु सेना के जवानों की वीरता और बलिदान को किया याद

इस कार्यक्रम की शुरुआत पंखुड़ी मुकीम नंदी के भाषण से हुई. उन्होंने सभी सम्मानित गेस्ट्स और वाईएफएलओ के सदस्यों का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया. उन्होंने करगिल विजय दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला. 

करगिल विजय दिवस: YFLO ने भारतीय वायु सेना के जवानों की वीरता और बलिदान को किया याद
नई दिल्ली:

यंग एफआईसीसीआई लेडीज ऑर्गनाइजेशन (वाईएफएलओ) की अध्यक्ष डॉ. पायल कनोडिया और माइंड, बॉडी एंड सोल मंत्रालय ने 25वें करगिल विजय दिवस के खास मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में उन्होंने हमारी भारतीय वायु सेना के जवानों की वीरता और बलिदान का जश्न मनाया. 

इस कार्यक्रम की शुरुआत पंखुड़ी मुकीम नंदी के भाषण से हुई. उन्होंने सभी सम्मानित गेस्ट्स और वाईएफएलओ के सदस्यों का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया. उन्होंने करगिल विजय दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला. 

डॉ. पायल कनोडिया ने अपने भाषण में भारतीय वायु सेना के नायकों के प्रति गहरा सम्मान और प्रशंसा व्यक्त करते हुए कहा, "आज जब हम करगिल दिवस मना रहे हैं, तो हमें अपने सशस्त्र बलों की असीम बहादुरी और बलिदान की याद आती है. हम रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर अर्चना कपूर और ग्रुप कैप्टन नितिन वेल्डे की कहानियों को सुनेंगे जो देश के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दिखाता है. हमारी सिक्योरिटी फोर्स और बोर्डर एरिया के जवान का हमें आदर करना चाहिए और समर्थन करना चाहिए. उनकी वीरता हमें साहस, सम्मान और निस्वार्थता के मूल्य को बनाए रखने के लिए प्रेरित करती है."

अर्चना कपूर (रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर) ने YFLO की युवतियों के साथ अपनी जिंदगी का एक हिस्सा भी साझा किया और खुद की करगिल युद्ध की प्रेरणा देने वाली कहानी सुनाई. इसके साथ ही उन्होंने अपना व्यक्तिगत शक्ति मंत्र, "बस पूछो, और पूरी संभावना है कि आपको वह मिलेगा जो आप चाहते हैं" भी साझा किया. वह भारतीय वायु सेना की पहली महिला पायलटों में से एक हैं. उन्होंने करगिल युद्ध के दौरान अपनी प्रेरक यात्रा और अनुभवों के बारे में बात की. दृढ़ता और बाधाओं को तोड़ने की उनकी कहानी ने सभी मौजूद लोगों के लिए प्रेरणा का एक गहरा स्रोत प्रदान किया.

5,000 घंटे से ज़्यादा उड़ान के अनुभव वाले वीरता पुरस्कार से सम्मानित एयर वेटरन ग्रुप कैप्टन नितिन वेल्डे ने भी अपने उल्लेखनीय अनुभव इस कार्यक्रम में साझा किए. उन्होंने करगिल युद्ध के दौरान अपने अभियानों और कर्तव्य के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता को याद किया, जो उनकी सेवा के वर्षों से भी आगे तक फैली हुई है. युवा विकास और राष्ट्र निर्माण के प्रति उनका समर्पण उनके भावुक संबोधन में साफ दिखाई दे रहा था, जिसने समाज पर एक अमिट छाप छोड़ी है. 

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