सुप्रीम कोर्ट के जज और मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे मार्कंडेय काटजू के दावे को लेकर आज राज्यसभा में एआईएडीएमके सांसदों ने जमकर हंगामा किया, जिसके चलते सदन की कार्यवाही रोकनी पड़ी। उधर, लोकसभा में भी एआईएडीएमके सांसदों ने यह मुद्दा उठाया।
जस्टिस काटजू एनडीटीवी का इंटरव्यू अधूरा छोड़कर चले गए, जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने 10 साल बाद इस मामले को क्यों उठाया।
जस्टिस काटजू का दावा है कि यूपीए सरकार को गिरने से बचाने के लिए एक भ्रष्ट जज का प्रमोशन किया गया था। जस्टिस काटजू के मुताबिक, जब वह जज जिला जज थे तो उनके कामकाज को लेकर मद्रास हाईकोर्ट के कई जजों ने प्रतिकूल टिप्पणियां की थीं, लेकिन मद्रास हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस ने अपनी कलम की ताकत से एक ही झटके में सारी प्रतिकूल टिप्पणियों को हटा दिया और यह जज हाईकोर्ट में एडिशनल जज बन गए।
जस्टिस काटजू का कहना है कि नवंबर 2004 में उनके मद्रास हाईकोर्ट के जज बनकर जाने तक वह जज इसी पद पर रहे। इस जज को तमिलनाडु के एक बड़े नेता का समर्थन हासिल था, क्योंकि इस जज ने कभी उसे जमानत दी थी। जस्टिस काटजू का कहना है कि इस जज के बारे में भ्रष्टाचार की कई रिपोर्ट्स मिलने के बाद उन्होंने भारत के चीफ जस्टिस आरसी लोहाटी से इस जज के खिलाफ गुप्त जांच की गुजारिश की थी। बाद में जस्टिस लोहाटी ने फोन पर बताया कि आईबी को उस जज के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले हैं।
जस्टिस काटजू का कहना है कि उन्हें हैरानी तब हुई जब उस पर कार्रवाई की बजाय एडिशनल जज के तौर पर उनके कार्यकाल को एक साल के लिए और बढ़ा दिया गया। जस्टिस काटजू का कहना है कि दरअसल सुप्रीम कोर्ट की कॉलिजियम ने आईबी रिपोर्ट के आधार पर उस जज को आगे नियुक्त न करने की सिफारिश केन्द्र की यूपीए सरकार को भेजी थी, लेकिन सरकार को समर्थन दे रही तमिलनाडु की एक पार्टी ने इस सिफारिश का जोरदार विरोध किया और उस पार्टी के मंत्रियों ने मनमोहन सिंह को उनकी सरकार गिराने की धमकी भी दी थी।
भारत के पूर्व चीफ जस्टिस और अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन जस्टिस केजी बालकृष्णन ने इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि मैंने मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की सिफारिश के बाद जज को स्थायी किया था। जजों की नियुक्ति के मामले में ही सुप्रीम कोर्ट का कॉलिजियम फैसला लेता है, लेकिन मौजूदा जजों को स्थायी करने का मामला कॉलिजियम के पास नहीं जाता इसलिए मैंने मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की रिपोर्ट के आधार पर उन्हें स्थायी किया। ये आरोप लगे थे कि वह जज सत्तारूढ़ पार्टी के करीब है इसलिए स्थायी करने के बाद मैंने उनका तबादला आंध्र प्रदेश कर दिया था।
वहीं कांग्रेस का कहना है कि खबरों में बने रहने के लिए काटजू इस तरह की बयानबाज़ी करते रहते हैं। कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने यह भी कहा कि मौजूदा सरकार के करीब आने के लिए जस्टिस काटजू ने यह बयान दिया है। लेकिन यूपीए शासनकाल में कानूनमंत्री रह चुके हंसराज भारद्वाज ने काटजू के बयान पर सहमति जताते हुए कहा कि गठबंधन में दबाव होता है।
वहीं सूत्रों के हवाले से खबर है कि केंद्र सरकार जस्टिस काटजू के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहती। एनडीए सरकार के मुताबिक, यह पुरानी सरकार का मामला है और न्यायपालिका इस पर फैसला ले। साथ ही सरकार ने इस मुद्दे को उठाने की टाइमिंग पर भी सवाल खड़े किए हैं।
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