प. बंगाल के डीजीपी ने न्यायमूर्ति कर्णन के खिलाफ जारी जमानती वारंट उनके आवास पर उन्हें सौंप दिया
कोलकाता:
कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सीएस कर्णन द्वारा न्यायालय की अवमानना का मामला नित नई सुर्खियां बटोर रहा है. शुक्रवार को भारी पुलिस बल के बीच पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक ने खुद कर्णन के घर जाकर पहुंचे और न्यायमूर्ति को जमानती वारंट सौंपा. उनके साथ पुलिस बल के अलावा पुलिस विभाग के आला अधिकारी भी थे. यह वारंट सुप्रीम कोर्ट ने 10 मार्च को जारी किया था.
पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक सुरजीत कार पुरकायस्थ, कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार और डीआईजी (सीआईडी) राजेश कुमार तथा बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ न्यू टाउन एरिया स्थित न्यायमूर्ति कर्णन के आवास पर पहुंचे और उन्हें वारंट सौंपा. हालांकि पहले उन्होंने वारंट लेने से साफ इंकार कर दिया था. जस्टिस कर्णन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनके खिलाफ की जा रही कार्रवाई पर पूरी दुनिया हंस रही है.
पुलिस के बड़े अधिकारी ने बताया कि डीजीपी ने न्यायमूर्ति कर्णन के खिलाफ जारी जमानती वारंट उनके आवास पर उन्हें सौंप दिया.
उच्चतम न्यायालय ने अवमानना के एक मामले में न्यायमूर्ति कर्णन की 31 मार्च को न्यायालय में मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए अपने एक ऐतिहासिक आदेश में उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था.
उच्चतम न्यायालय के इस आदेश से नाराज न्यायमूर्ति कर्णन ने कहा कि उन्हें पद पर आसीन न्यायमूर्ति के खिलाफ जमानती वारेंट जारी करने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि एक दलित होने के कारण उन्हें निशाना बनाया जा रहा है.
न्यायमूर्ति कर्णन ने भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस केहर तथा छह अन्य न्यायधीशों के खिलाफ अनुसूचित जाति एंव अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) कानून 1989 के तहत मामला दर्ज करने के आदेश जारी किए हैं.
इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट की पिछली सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश खेहर ने कहा कि जस्टिस कर्णन ने 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में फैक्स भेजकर चीफ जस्टिस और जजों से मीटिंग की अपील की थी, लेकिन इसे जवाब नहीं माना जा सकता. फैक्स में जस्टिस कर्णन ने यह भी कहा कि उन्हें प्रशासनिक कामों की इजाजत दी जाए. वहीं AG ने कहा कि वह आदेश के बावजूद नहीं आए इसलिए उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किए जाने चाहिए. उसके बाद उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी हुए.
सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान पीठ कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस कर्णन पर अदालत की अवमानना मामले की सुनवाई कर रही है. उससे पिछली सुनवाई में नोटिस के बावजूद जस्टिस कर्णन सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं हुए थे और सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट में पेश होने के लिए तीन हफ्तों का वक्त दिया था. साथ ही जस्टिस करनन को कोई भी न्यायिक या प्रशासनिक काम करने पर रोक लगा दी थी.
(इनपुट भाषा से भी)
पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक सुरजीत कार पुरकायस्थ, कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार और डीआईजी (सीआईडी) राजेश कुमार तथा बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ न्यू टाउन एरिया स्थित न्यायमूर्ति कर्णन के आवास पर पहुंचे और उन्हें वारंट सौंपा. हालांकि पहले उन्होंने वारंट लेने से साफ इंकार कर दिया था. जस्टिस कर्णन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनके खिलाफ की जा रही कार्रवाई पर पूरी दुनिया हंस रही है.
पुलिस के बड़े अधिकारी ने बताया कि डीजीपी ने न्यायमूर्ति कर्णन के खिलाफ जारी जमानती वारंट उनके आवास पर उन्हें सौंप दिया.
उच्चतम न्यायालय ने अवमानना के एक मामले में न्यायमूर्ति कर्णन की 31 मार्च को न्यायालय में मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए अपने एक ऐतिहासिक आदेश में उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था.
उच्चतम न्यायालय के इस आदेश से नाराज न्यायमूर्ति कर्णन ने कहा कि उन्हें पद पर आसीन न्यायमूर्ति के खिलाफ जमानती वारेंट जारी करने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि एक दलित होने के कारण उन्हें निशाना बनाया जा रहा है.
न्यायमूर्ति कर्णन ने भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस केहर तथा छह अन्य न्यायधीशों के खिलाफ अनुसूचित जाति एंव अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) कानून 1989 के तहत मामला दर्ज करने के आदेश जारी किए हैं.
इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट की पिछली सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश खेहर ने कहा कि जस्टिस कर्णन ने 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में फैक्स भेजकर चीफ जस्टिस और जजों से मीटिंग की अपील की थी, लेकिन इसे जवाब नहीं माना जा सकता. फैक्स में जस्टिस कर्णन ने यह भी कहा कि उन्हें प्रशासनिक कामों की इजाजत दी जाए. वहीं AG ने कहा कि वह आदेश के बावजूद नहीं आए इसलिए उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किए जाने चाहिए. उसके बाद उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी हुए.
सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान पीठ कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस कर्णन पर अदालत की अवमानना मामले की सुनवाई कर रही है. उससे पिछली सुनवाई में नोटिस के बावजूद जस्टिस कर्णन सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं हुए थे और सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट में पेश होने के लिए तीन हफ्तों का वक्त दिया था. साथ ही जस्टिस करनन को कोई भी न्यायिक या प्रशासनिक काम करने पर रोक लगा दी थी.
(इनपुट भाषा से भी)
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