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This Article is From Aug 21, 2017

झारखंड: 50 रुपये की कमी से हुई बच्चे की मौत, मंत्री बोले- 'जिसने खबर छापी उसे ही 10-10 रुपये चंदा देना चाहिए'

50 रुपये की कमी के कारण हुई बच्चे की मौत पर झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री ने बेहद शर्मनाक बयान दिया है.

झारखंड: 50 रुपये की कमी से हुई बच्चे की मौत, मंत्री बोले- 'जिसने खबर छापी उसे ही 10-10 रुपये चंदा देना चाहिए'
एक साल के मासूम के पिता के पास जांच की फीस में 50 रुपये कम पड़ गए थे
रांची: पहले उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के अस्पताल में बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हुई. उसके बाद झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल में भी एक बच्चे की मौत की ख़बर आई. खासबात यह है कि यहां बच्चे की मौत ऑक्सीजन या किसी दवा की कमी से नहीं बल्कि जांच के लिए पिता के पास 50 रुपये नहीं होने के कारण हुई है. और उस पर भी शर्मनाक यहां के स्वास्थ्य मंत्री का बयान रहा है. इस ख़बर को जब मीडिया में उछाला गया तो झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, 'जिसने खबर छापी उसे ही 10-10 रुपये चंदा देना चाहिए.'

झारखण्ड राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में पिता के पास 50 रुपये कम होने के कारण एक साल के मासूम श्याम का सीटी स्कैन नहीं हो पाया. इस कारण उसका समय पर इलाज शुरू नहीं हो सका. बेबस पिता संतोष कुमार अपने बच्चे को बचाने के लिए डॉक्टर और जांच घर के चक्कर लगाता रहा. पर वह अपने मासूम बच्चे को नहीं बचा पाया. आखिरकार उचित इलाज के अभाव में श्याम की मौत हो गई.

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श्याम के पिता संतोष कुमार रांची के जगन्नाथपुर का रहनेवाला है. रिक्शा चला कर किसी तरह अपने परिवार को जीवन चलाता है.  संतोष का एक साल का बेटा श्याम खेलने के दौरान घर की छत से गिरा गया था. उसके सिर में भी चोट आई थी. परिजन पहले पास में ही किसी डॉक्टर के पास ले गये. पर ठीक नहीं होने के कारण रविवार को उसे लेकर रिम्स पहुंचे. श्याम को रिम्स के शिशु इमरजेंसी में डॉक्टर को दिखाया गया. डॉक्टर ने श्याम का सीटी स्कैन कराने की सलाह दी. इसके बाद आनन-फानन में परिजन सीटी स्कैन की परची कटाने के लिए कैश काउंटर पर पहुंचे. पर 50 रुपये कम होने के कारण उसकी जांच नहीं हो पाई. 

VIDEO: महज 50 रुपये कम होने पर हुई बच्चे की मौत
इस पुरे मामले पर अब रिम्स प्रबंधन जांच कर करवाई कर की बात कर रहा है. वहीं, झारखण्ड के स्वास्थ्य मंत्री रामचन्द्र चंद्रवंशी ने मीडिया में गैर जिम्मेदाराना बयान देते हुए कहा कि जिसने खबर छापी उसे ही 10-10 रुपये चंदा देना चाहिए. स्वास्थ्य मंत्री के बयान की चारों तरफ कड़ी निंदा हो रही है. लेकिन सवाल वहीं खड़ा है कि आखिर जिस देश को नौजवानों का देश कहा जाता है, वहां नई पीढ़ी अपना बचपन भी नहीं देख पा रही है. कभी ऑक्सीजन की कमी तो कभी पैसों की कमी के कारण मासूम काल के गाल में समा रहे हैं.
 

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