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This Article is From Sep 28, 2018

झारखंड के एक गांव में घुसा हाथियों का झुंड, तबाह कर दी फसलें; देखें-VIDEO

खूंटी जिले के एक गांव में घुसे करीब 15-20 जंगली हाथियों के झुंड ने खेतों में जाकर धान की फसल को रौंद डाला, फसल भी चरते रहे

झारखंड के एक गांव में घुसा हाथियों का झुंड, तबाह कर दी फसलें; देखें-VIDEO
झारखंड के खूंटी जिले के एक गांव से सटे खेत में धान की फसल चरता हुआ हाथियों का झुंड.
नई दिल्ली: झारखंड के खूंटी जिले के एक गांव में हाथियों के झुंड ने गुरुवार को भारी तबाही मचाई. करीब 15-20 हाथियों के इस झुंड ने खेतों में लगी धान की फसल को तबाह कर दिया.

गांव में गुरुवार को अचानक हाथियों का झुंड घुस आया. पांच से छह हाथियों के कुछ झुंड एके के बाद एक गांव में घुसे. हाथियों के झुंडों को देखकर गांव के लोग सहम गए और पर्याप्त दूरी बनाकर उन्हें देखते रहे. हथियों के झुंड गांव को सड़क को पार करके खेतों में घुस गए.

जंगली हाथियों के झुंड ने खेतों में जाकर धान की फसल को रौंद डाला. वे फसल को चरते भी रहे. इस दौरान खेतों के मालिक किसान दूर खड़े होकर अपनी फसलों को बरबाद होते देखने के अलावा कुछ नहीं कर सके.               

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गौरतलब है कि गत चार अगस्त को छत्तीसगढ़ की ओर से मवई नदी पार करके मध्यप्रदेश के सीधी जिले में घुसे पांच हाथियों के एक समूह ने भारी उत्पात मचाया था. वन विभाग ने बड़ी मुश्किल से इन हथियों को रेस्क्यू किया था. इन उत्पाती हाथियों को अब मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व भेजा जा रहा है.

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हाथियों के इस दल ने सबसे पहले संजय टाइगर रिजर्व के गांव कुन्दौर के समीप जंगल में डेरा जमाया था. उन्होंने रात में गांव के कच्चे घरों को तोड़कर उनमें रखा अनाज खा लिया और खेतों की फसलों को तबाह कर दिया था.    टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने तत्काल सोलर लाइट गांव की सीमा पर लगाई और हाथियों को गांव में घुसने से रोका. इसके बाद हाथी अन्य गांवों में भी इसी तरह उत्पात मचाते हुए सीधी जिला मुख्यालय की 15 किलोमीटर की परिधि में पहुंच गए. वन विभाग ने हाथियों को भगाने के लिए पश्चित बंगाल से विशेषज्ञ भी बुलाए.

VIDEO : गड्ढे में फंसे हाथी को बचाया

बचाव के उपायों की लगातार जानकारी देने के बावजूद हाथियों ने दो ग्रामीणों को मार डाला था. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक मृदुल पाठक के नेतृत्व में एक दल गठित किया गया जिसने 7 सितम्बर से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया. दल ने 9 सितम्बर को एक नर हाथी, 12 सितम्बर को हाथी का बच्चा, 15 सितम्बर को 2 मादा हाथी और 16 सितम्बर को 5वां और अंतिम हाथी रेस्क्यू किया.

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