झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Elections) में झारखंड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Morcha) ने शानदार प्रदर्शन किया है. 81 सदस्यीय विधानसभा में झामुमो के साथ ही इंडिया गठबंधन की पार्टियों ने कुल 56 सीटों पर जीत के साथ सत्ता में वापसी की है. इस जीत में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन की मेहनत किसी से छिपी नहीं है. हालांकि झारखंड में मुश्किल चुनौतियों से पार पाने और फिर विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के पीछे कई कारण हैं, जिनके कारण हेमंत सोरेन लगातार दूसरी बार झारखंड में जीत हासिल कर सके हैं.
1. मईयां सम्मान योजना
झारखंड की सोरेन सरकार ने महिलाओं के लिए प्रतिमाह 2500 रुपये का वादा किया है और चुनाव से पहले प्रतिमाह 1000 रुपये जारी करने ने जनता का भरोसा जीता.
2. कल्पना का सहज अंदाज
हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के सहज अंदाज और जनसंपर्क ने उन्हें सबसे लोकप्रिय प्रचारक बना दिया.
3. सोरेन की जेल यात्रा
इसके साथ ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जेल यात्रा और फिर उनके दावे कि वह आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं, उससे जनता का जुड़ाव और मजबूत हुआ.
4. सीएनटी एक्ट
2016 में भाजपा ने सीएनटी एक्ट में बदलाव की कोशिश की थी. शायद इसी ने आदिवासियों को बीजेपी से नाराज कर दिया है.
5. घुसपैठ बनाम क्षेत्रीय मुद्दे
भाजपा ने झारखंड चुनाव में घुसपैठ को मुद्दा बनाया, जबकि इंडिया गठबंधन ने क्षेत्रीय समस्याओं पर ध्यान केंद्रित किया.
मुश्किल चुनौती से जीत तक का सफर
इन वजहों से झारखंड मुक्ति मोर्चा और उसके सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत मिली, लेकिन चुनौती बेहद मुश्किल थी. इन चुनौतियों और इससे निपटकर जीत की दहलीज तक पहुंचने का सफर हम 10 अध्यायों में जान सकते हैं.
इस साल की शुरुआत में कहानी कुछ और थी. 31 जनवरी 2024 की रात को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमीन घोटाले के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. उनके परिवार और पार्टी पर संकट के बादल मंडरा रहे थे, लेकिन साथ में थीं उनकी पत्नी कल्पना सोरेन. एक ऐसा नाम जो अब तक सिर्फ उनके करीबियों के बीच जानी जाती थीं.
अध्याय-1 परछाइयों से उभरते हुए
करीब 300 दिनों बाद कल्पना सोरेन लौटीं तो न सिर्फ एक पत्नी के तौर पर बल्कि एक सशक्त नेता के रूप में. एक गृहिणी से लेकर स्टार प्रचारक बनने की उनकी यात्रा अद्भुत है. उस नेता के रूप में जो जनता की भाषा में संवाद करती हैं, उनकी संस्कृति को जीती हैं और उनके संघर्षों को समझती हैं.
उनके भाषण परंपरा की गहराई लिए होते हैं, लेकिन सोच आधुनिक है. एक ऐसा संगम जिसने न सिर्फ झारखंड बल्कि पूरे देश को आकर्षित किया.
अध्याय-2 बदलाव का मोड़
5 मार्च 2024 को गिरीडीह में झारखंड मुक्ति मोर्चा के स्थापना दिवस पर कल्पना सोरेन ने सक्रिय राजनीति में कदम रखने की औपचारिक घोषणा की. हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी ने पार्टी नेतृत्व में एक खाली जगह छोड़ दी थी, लेकिन कल्पना ने इसे दृढ़ता और साहस के साथ भरा.
अध्याय-3 गृहिणी से नायिका तक
कल्पना सोरेन का अभियान केवल राजनीतिक नहीं था, व्यक्तिगत भी था. उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण, आदिवासी पहचान और अपने पति के लिए न्याय की बात की. मईयां सम्मान योजना जैसे कार्यक्रम महिलाओं में गहराई तक जुड़ाव बना सके, जिससे पार्टी को एक मजबूत समर्थन मिला.
अध्याय-4 चुनावी जंग
झारखंड चुनाव एक जंग थी और मुकाबला बिलकुल भी आसान नहीं था. एक ओर भाजपा के दिग्गज नेताओं ने आक्रामक प्रचार किया, लेकिन कल्पना ने 100 से अधिक रैलियां की और अनुभवी राजनेताओं को पीछे छोड़ दिया.
अध्याय-5 पहचान में जड़ें
कल्पना सोरेन केवल प्रचारक नहीं थीं, वे झारखंड की पहचान का प्रतीक बन गईं. इंडिया गठबंधन ने 81 में से 56 सीटें जीतीं. एक ऐसी जीत जो कल्पना और हेमंत सोरेन के जनता में बनाए गए विश्वास का प्रतीक है.
हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन की कहानी केवल राजनीतिक अस्तित्व की कहानी नहीं है, यह संघर्ष, साझेदारी और झारखंड की अदम्य आत्मा की गवाही हैं. साथ ही उन्होंने नेतृत्व को फिर से परिभाषित करते हुए यह साबित किया कि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी जीत कैसे मिल सकती है.
उस राज्य में जहां पर जमीन अपनी आदिवासी विरासत के गीत गाती है, वहां जीत का एक नया अध्याय लिखा गया. झारखंड की मिट्टी से जुड़े नेता हेमंत सोरेन ने एक बार फिर अपने लोगों की उम्मीदों और संघर्षों को दिल में लेकर नेतृत्व किया.
अध्याय-6 चुनौतियों भरा रास्ता
हेमंत सोरेन के लिए 2024 की शुरुआत उन परीक्षाओं से हुई जो किसी भी नेता को तोड़ सकती थीं. उन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया. एक ऐसा क्षण जिसमें उनकी पार्टी और कार्यकर्ताओं को संकट में डाल दिया, लेकिन हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को उनके पतन के रूप में नहीं बल्कि झारखंड के आदिवासियों की आवाज को चुप कराने के प्रयासों के खिलाफ एक प्रतीक के रूप में देखा गया.
अध्याय-7 मईयां ने पार कराई नैया
हेमंत सोरेन की जीत के केंद्र में मईयां सम्मान योजना है. एक कल्याणकारी योजना, जिसे झारखंड की महिलाओं की ताकत और संघर्षों को मान्यता दी. इस योजना के तहत 18 से 50 वर्ष की महिलाओं के खाते में 1000 रुपये सीधे जमा किये गए. वादा इसे 2500 रुपये तक बढ़ाने का है.
झारखंड की 29 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है. इन इलाकों में महिलाएं भी वोट देने के लिए बड़ी संख्या में आगे आईं. कुल मिलाकर 68 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा वोट किया. ज्यादा महिला वोट वाली 28 सीटों पर जेएमएम और उनकी सहयोगी पार्टियों को बढ़त मिली.
पार्टी ने यह बात हर घर तक पहुंचा दी कि मईयां सम्मान योजना सिर्फ एक योजना नहीं है बल्कि यह हर झारखंडी महिला से किया गया वादा है कि वो मायने रखती हैं.
अध्याय-8 जुड़ाव का अभियान
हेमंत सोरेन का अभियान भव्यता के बारे में नहीं था, यह जुड़ाव के बारे में था. उन्होंने जनता की भाषा में बात की, उनके संघर्षों को जिया और उनकी जमीनी पहचान और संस्कृति की रक्षा का वादा किया.
अध्याय- 9 आदिवासी पहचान
हेमंत सोरेन का आदिवासी पहचान पर काफी जोर रहा. सरना धर्म कोड के समर्थन से लेकर भूमि अधिकारों की लड़ाई तक उन्होंने झारखंड की आत्मा के संरक्षक के रूप में खुद को स्थापित किया. साथ में हर वक्त रहीं कल्पना. हेमंत और कल्पना ने मिलकर 200 से अधिक रैलियां की और उनका संदेश स्पष्ट था कि यह चुनाव झारखंड की पहचान और उसकी महिलाओं और उसके भविष्य के बारे में है.
अध्याय-10 जीत का उत्सव
23 नवंबर 2024 को जब झारखंड चुनाव के नतीजे आए तो उन्होंने शब्दों से अधिक गूंज पैदा की. झामुमो के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन ने झारखंड में 81 में से 56 सीटें जीतीं और हेमंत सोरेन को एक बार फिर झारखंड का नेतृत्व करने के लिए चुना गया.
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