Bihar Caste Census Report: बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी कर दिये. इसे लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है.बिहार में जातिगत गणना की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद सरकार का क्या अगला कदम होगा इस पर बात जनता दल यूनाइटेड की राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने एनडीटीवी से बात की.
उन्होंने कहा कि बिहार में जो महागठबंधन की सरकार है, जो नीतीश कुमार की सरकार है उनका पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग के लोगों के उत्थान के लिए समर्पण है.
राज्य सरकार रिपोर्ट का अध्ययन करके उचित कदम उठाएगी
ललन सिंह ने कहा कि जातीय आधारित गणना का रिपोर्ट सामने आ गया है. राज्य सरकार उस रिपोर्ट का अध्ययन करके उत्थान के लिए जो भी कदम होगा वो जरूर उठाएगी.
संविधान में आबादी के हिसाब से आरक्षण को लेकर संसोधन की जरूरत
इस रिपोर्ट में एक बात सामने आई है कि जो पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग है उसकी आबादी करीब 63 प्रतिशत है.लेकिन उसको आरक्षण का लाभ सिर्फ 27 प्रतिशत है. जबकि अगली जाति को समूह 15 प्रतिशत है, उसे आबादी की तुलना में 10 प्रतिशत आरक्षण मिला हुआ है. इसपर उन्होंने कहा कि संविधान में जो बाधाएं हैं उसके मुताबिक, आप 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं दे सकते हैं. उस बाध को दूर करना पड़ेगा. संविधन में ये संसोधन करना होगा कि आबादी के हिसाब से आरक्षण मिलना चाहिएऔर 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा को खत्म करना चाहिए.
बिहार में जातीय आधारित गणना पर बीजेपी के समर्थन को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि बीजेपी ने मजबूरी में समर्थन दिया था.
बिहार की कुल आबादी में ओबीसी और ईबीसी की 63% हिस्सेदारी
बता दें कि बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी किए हैं. बिहार के विकास आयुक्त विवेक सिंह द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्य की कुल आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है. वहीं, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें ईबीसी (36 प्रतिशत) सबसे बड़े सामाजिक वर्ग के रूप में उभरा है, इसके बाद ओबीसी (27.13 प्रतिशत) है.
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